गुप्त नवरात्रि का त्योहार रविवार से शुरू हुआ। इस बार गुप्त नवरात्रि 11 जुलाई से शुरू होकर 18 जुलाई तक रहेंगे। इस नवरात्रि में नौ की जगह 10 देवियों की पूजा होती है। यह बात स्थानीय सिद्धपीठ बाबा जहरगिरी आश्रम के पीठाधीश्वर और अंतर्राष्ट्रीय श्रीमहंत जूना अखाड़ा डॉ अशोक गिरी जी महाराज ने गुप्त नवरात्रि के अवसर पर मां राजराजेश्वरी महात्रिपुर सुंदरी ललितांबिका का वैदिक विधि विधान से पूजन् अर्चन करते हुए कही। इस मौके पर श्रीमहंत ने सर्वप्रथम मां राजराजेश्वरी महात्रिपुर सुंदरी ललितांबिका का महास्नान, षोडशोपचार विधि द्वारा पुजन के पश्चात् मां ललितांबिका के एक हजार नामों से अर्चन किया गया।
श्रीमहंत ने कहा कि इस दिन सबसे पहले सुबह-सुबह उठकर स्नान करें और विधि विधान से पूजा-अर्चना करें। कलश स्थापना से पहले मंदिर की अच्छे से साफ-सफाई कर गंगाजल छिडके। इसके बाद मिट्टी के पात्र में जौ के बीज को बोएं और उसके बाद कलश रखें। कई लोग गुप्त नवरात्रि के नौ दिन व्रत रखते हैं। अष्टमी और नवमी तिथि को नौ कन्या खिलाकर व्रत का पारण करें। नवरात्रि पूजा के लिए सात तरह के अनाज, पवित्र नदी के रेत, पान, हल्दी, सुपारी, चंदन, रोली, रक्षा धागा, जौ, कलश, फूल, अक्षत और गंगाजल की जरूरत होती है। अशोक गिरी महाराज ने कहा कि गुप्त नवरात्रि का व्रत माता दुर्गा के भक्तों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। मान्यता है कि इस व्रत को शक्ति साधना, क्रियाएं, तांत्रिक और मंत्रों को साधने के लिए ये नवरात्रि बहुत महत्वपूर्ण होती। इस व्रत को करने से व्यक्ति निरोगी होता है. सच्चे मन से देवी दुर्गा की पूजा करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। इस अवसर पर बाबा कैलाश गिरी, बसंत शास्त्री, विशाल पाठक, दीपक पाठक, शुभम, कार्तिक सहित अनेक लोग उपस्थित रहे।