आज समाज डिजिटल, भिवानी :
सोमवार को हरियाणा शेखावाटी ब्रहमचार्य आश्रम में सुनील शास्त्री की अगुवाई में संस्कृत विषय को अनिवार्य विषय के रूप में लागू करने की मांग को लेकर संस्कृत भारती के बनैर तले विद्यार्थियों ने हस्ताक्षर अभियान चलाया। हस्ताक्षर अभियान के माध्यम से विद्यार्थियों ने सभी स्कूलों में संस्कृत विषय के टीचरों को नियुक्ति करने की भी मांग की। इस दौरान सभी गुरुकुलों को हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड से जोड़ने की गुजारिश की गई। अभियान के तहत विद्यार्थियों ने बताया कि सरकार के उपेक्षित रवैये के चलते संस्कृत विषय पिछड़ता जा रहा है। छठी कक्षा से लेकर 8वीं कक्षा तक संस्कृत विषय के साथ पंजाबी व उर्दू भाषा का विकल्प है तथा नौवीं से 12 वीं तक संस्कृत विषय के विकल्प में प्रक्टिकल विषय पढ़ाए जा रहे है। जो कि न्यायसंगत नहीं है, जबकि सभी भाषाओं की जननी भी संस्कृत ही है।
उन्होंने बताया कि हैरानी की बात यह है कि वर्ष 2018 में तत्कालीन शिक्षामंत्री ने संस्कृत विषया को अनिवार्य विषय करने की घोषणा की थी,लेकिन आज तक उस तरफ एक भी कदम नहीं बढा है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में छठी से लेकर 8वीं तक के स्कूलों में संस्कृत विषय को हिंदी अध्यापक पढाते है। जोकि उचित नहीं है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में 75 गुरुकुलों व उनमें अध्ययन कर रहे है। राज्य के सभी गुरूकुलों को 12 वीं हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड तथा स्नातक, स्नातकोत्तर सम्बद्धता महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय मूंदड़ी कैथल से की जाए। इस दौरान उन्होंने सरकार से वर्ष 2017 में संस्कृत अध्यापकों व प्राध्यापकों की नियुक्ति से संबंधित जो नियम परिवर्तित किए गए थे उनको वर्ष 2012 से ही माना जाने, संस्कृत महाविद्यालयों तथा गुरुकुलों से प्राप्त उपाधियों को यूजीसी के नियमानुसार विशारद को 12 वीं, शास्त्री को बीए, शिक्षा शास्त्री व ओटी को बीएड तथा आचार्य को एमए के समकक्ष करने, राज्य में पारम्परिक अध्ययन के लिए सरकार द्वारा संचालित माता मनसा संस्कृत महाविद्यालय में सम्बद्ध विषय विशेषज्ञों की नियुक्ति करने तथा महाविद्यालय का प्राचार्य भी पारम्परिक संस्कृत विषय विशेषज्ञ ही होने की मांग की। उन्होंने बताया कि संस्कृत विषय के प्रति युवाओं में जबरदस्त उत्साह है। हस्ताक्षरों अभियान के माध्यम से सरकार से उनकी मांग पूरी करने की मांग की।