Bhiwani News :अरावली पहाड़ी पर खनन शुरू करने की संभावना के बीच एकजुट हुए राजावास के ग्रामीण,

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Villagers of Rajawas united amid the possibility of starting mining on Aravalli hills
गांव राजावास में आयोजित पंचायत में मौजूद ग्रामीण।
  • -सरकार ने खनन शुरू करने का प्रयास किया तो करेंगे आंदोलन

(Bhiwani News) सतनाली। गांव राजावास स्थित अरावली पहाड़ी पर सरकार द्वारा खनन शुरू किए जाने की संभावना के बीच ग्रामीणों द्वारा एक पंचायत का आयोजन किया गया। पंचायत में ग्रामीणों ने स्पष्ट रूप से कहा कि वे यहां किसी भी सूरत में खनन नहीं होने देंगे तथा यदि सरकार ने खनन शुरू करवाने का प्रयास किया तो उसका डटकर विरोध किया जाएगा व आंदोलन से भी ग्रामीण पीछे नहीं हटेंगे। ग्रामीणों ने कहा कि यदि यहां माइनिंग शुरू होगी तो क्षेत्र में पानी का स्तर नीचे चला जाएगा तथा उसकी उड़ने वाली धूल लोगों के फेफड़े कमजोर कर देगी। इस मौके पर पीपल फॉर अरावली की चेयरमैन भी दिल्ली से यहां पहुंची तथा उन्होंने ग्रामीणों की मदद का भरोसा दिलाया। गांव राजावास के सरपंच मोहित ने बताया कि उनके गांव  में माइनिंग शुरू होने जारी रही है। इससे पूरा गांव प्रदूषित हो जाएगा। यदि माइनिंग शुरू हुई तो इसका विरोध करेंगे। हालांकि अभी पहाड़ी माइनिंग के लिए अलॉट नहीं हुई है लेकिन आचार संहिता हटने के बाद सरकार अलॉट किए जाने की संभावना है, ऐसे में पूरा गांव पहले ही एकजुट हो गया है। उन्होंने बताया कि 2016-17 में माइनिंग अलॉट हुई थी उस समय ब्लास्टिंग से घरों में दरारें आ गई थीं। उन्होंने स्पष्ट किया कि वो यहां माइनिंग बिल्कुल नहीं चलने देंगे।

मकान या अन्य निर्माण कार्य के लिए सरकार कोई विकल्प निकालें ताकि इन धरोहरों को बचाया जा सके

वहीं पीपल फॉर अरावली की संस्थापक नीलम ने बताया कि ग्रामीणों की सूचना पर वह यहां आई है। अरावली को बचाना बहुत जरूरी है। इसके लिए उन्होंने सभी राजनीतिक पार्टियों को भी सूचित किया है कि प्राकृतिक संसाधनों को बचाना बहुत जरूरी है। मकान या अन्य निर्माण कार्य के लिए सरकार कोई विकल्प निकालें ताकि इन धरोहरों को बचाया जा सके। वह अरावली को बचाने के लिए ग्रामीणों के साथ हैं। वहीं ग्रामीणों का कहना है कि यदि माइनिंग शुरू हुई तो पहाड़ के पास करीब 500 घरों की बस्ती है वे कहां जाएंगे तथा पशु चराने के लिए भी जगह नहीं रहेगी। गांव पाली के सरपंच देशराज फौजी ने बताया कि अगर सरकार ने माइनिंग की अनुमति दी तो गलत है। पर्यावरण के साथ खिलवाड़ करना ठीक नहीं है। ब्लास्टिंग की आवाज 15 से 20 किलोमीटर तक जाती है और पूरा महेंद्रगढ़ क्षेत्र इससे प्रभावित होता है। माइनिंग से उड़ने वाली धूल फेफड़े के अंदर चली जाती है जो फेफड़ों को कमजोर करती है। अगर सरकार ने अनुमति दी तो वो एक महापंचायत करेंगे और उसके बाद बड़ा आंदोलन करेंगे। इस दौरान अनेक संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे।

 

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