- जाति प्रथा का विरोध करने वाले संतराम का संघर्ष प्रत्येक नागरिक के लिए प्रेरणादायक : गणेशीलाल वर्मा
- महानायक संतराम बीए के नाम से शहर में बनाया जाए भव्य स्मारक : कामरेड ओमप्रकाश
(Bhiwani News) भिवानी। स्थानीय नेहरू पार्क में विभिन्न सामाजिक संगठनों ने शुक्रवार को महानायक संतराम बीए की 138वीं जयंती एवं पुलवामा हमले के शहीदों को नमन किया। इस दौरान संगठनों के प्रतिनिधियों ने पुलवामा हमले के 42 शहीदों के नाम से 42 दीप तथा महानायक संतराम बीए के नाम से एक दीप प्रकोशोत्सव के रूप में जलाया।
इस मौके पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए वरिष्ठ समाजसेवी गणेशीलाल वर्मा, कामरेड ओमप्रकाश, सुरेश प्रजापति, देवराज महता, दलबीर उमरा, पार्षद विनोद प्रजापति ने कहा कि महानायक संतराम बीए का जन्म पंजाब के होशियारपुर के बस्सी गांव में रामदास कुम्हार व मालिनी देवी के घर 14 फरवरी 1887 को हुआ था। इन्होंने युगांतर उषा आर्य मुसाफिर भारतीय आदि पत्रिकाओं का संपादन कर उस दौर में समाज सरोकार की पत्रकारिता को धार देकर वर्णवादियों से लोहा लिया था।
वर्ष 1922 में जाति-पाति तोड़क मंडल की स्थापना की
आचार्य विश्वबंधु, भगवादास नागपाल, उपेंद्रनाथ अश्क, विष्णु प्रभाकर व बाबा साहेब अंबेडकर संतराम बीए के प्रबल समर्थक थे तथा संतराम स्वामी दयानंद सरस्वती और श्रद्धानंद के विचारों से काफी प्रभावित थे। जिसके बाद वे परमानंद के संपन्न संपर्क में आए तथा दोनों ने मिलकर वर्ष 1922 में जाति-पाति तोड़क मंडल की स्थापना की। जाति प्रथा को खत्म करने के उद्देश्य से उन्होंने 88 वर्ष पहले अपने बच्चों का अंतरजातीय विवाह करवाया तथा जाति प्रथा का जमकर विरोध किया।
उन्होंने कहा कि संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर भी महानायक संतराम बीए की विचारधारा से इस मौके पर कामरेड ओमप्रकाश ने सरकार से मांग की कि शहर में महानायक संतराम बीए के नाम से भव्य स्मारक बनाया जाए, ताकि युवा पीढ़ी उनके तप एवं त्याग से प्रेरणा ले सकें।
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