(Bhiwani News) भिवानी। श्री अध्यात्म साधना केंद्र द्वारा एमसी कॉलोनी, भिवानी में श्री गीता जयंती के उपलक्ष्य में त्रिदिवसीय गीता मानस अमृत महोत्सव का शुभारंभ हुआ। कार्यक्रम में पूज्य गुरुदेव डॉ. स्वामी दिव्यानंद जी महाराज भिक्षु ने धर्म और जीवन की वास्तविक परिभाषा पर प्रकाश डाला।
स्वामी दिव्यानंद जी ने दिया धर्म का सही अर्थ समझने का संदेश
स्वामी जी ने अपने प्रवचन में कहा कि विकृत और घटिया सोच ही आज की सभी समस्याओं की जड़ है। इसे बदलना ही धर्म साधना का मूल उद्देश्य होना चाहिए। उन्होंने युवा पीढ़ी की वर्तमान स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें धर्म की सही परिभाषा समझाने की आवश्यकता है, न कि उस पर धर्म की विरासत थोपने की। उन्होंने इसे चींटी पर लड्डू रखने के समान बताया, जो उसके लिए मीठा होने के बजाय बोझ बन जाता है।
धर्म में बोझ नहीं, मिठास होनी चाहिए। स्वामी जी ने गीता के प्रथम अध्याय का उदाहरण देते हुए अर्जुन के मनोविज्ञान को समझाया। उन्होंने कहा कि अर्जुन जो पूरी तैयारी के साथ युद्ध क्षेत्र में आया था, अपने अपनों को देखकर उसकी सोच बदल गई, जिससे वह महारथी भी धनुष उठाने में असमर्थ हो गया। उन्होंने बताया कि जीवन की समस्याओं का समाधान केवल शारीरिक श्रम या दवाइयों में नहीं, बल्कि सोच और बुद्धि को सही दिशा देने में है।
स्वामी जी ने कहा कि धर्म का अर्थ केवल पूजा-पाठ तक सीमित नहीं है। इसमें भरोसा, धैर्य, शौर्य, सरलता, और विवेक जैसे गुणों का होना आवश्यक है। वर्तमान समय में इन्हीं धार्मिक मूल्यों को अपनाने की जरूरत है। कार्यक्रम में विजय विज ने दीप प्रज्ज्वलन कर महोत्सव का शुभारंभ किया। इस अवसर पर राजू मदान, विशम्बर अरोड़ा, नरेंद्र बेनीवाल, सतीश बतरा और सुरेश अरोड़ा जैसे विशिष्ट अतिथियों ने आशीर्वाद प्राप्त किया।
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