Bhiwani News : श्रीमद्भागवत कथा गीता ज्ञान यज्ञ में हवन एवं प्रसाद वितरण से हुआ 51 दिवसीय कार्यक्रमों का समापन

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Bhiwani News : श्रीमद्भागवत कथा गीता ज्ञान यज्ञ में हवन एवं प्रसाद वितरण से हुआ 51 दिवसीय कार्यक्रमों का समापन
हवन में आहुति डालते गणमान्य लोग।
  • भागवत कथा समापन पर हवन व भंडारा कथा के दौरान अर्जित पुण्य का है विस्तार : चरणदास महाराज

(Bhiwani News) भिवानी। अंतर्राष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव को लेकर युवा जागृति एवं जनकल्याण मिशन ट्रस्ट द्वारा गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज की प्रेरणा से शुरू किए गए 51 दिवसीय कार्यक्रमों का रविवार को सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा गीता ज्ञान यज्ञ के उपरांत हवन एवं प्रसाद वितरण के साथ समापन हो गया।

अनेक श्रद्धालुगण मौजूद रहे, जिन्होंने प्रसाद ग्रहण किया

51 दिवसीय कार्यक्रमों की कड़ी में स्थानीय हनुमान ढ़ाणी स्थित हनुमान जोहड़ी मंदिर में बालयोगी महंत चरणदास महाराज के सान्निध्य में जारी श्रीमद्भागवत कथा गीता ज्ञान यज्ञ में कथा का वाचन साध्वी महामंडलेश्वर करूणा गिरी जी महाराज द्वारा किया गया। इस मौके पर अनेक श्रद्धालुगण मौजूद रहे, जिन्होंने प्रसाद ग्रहण किया।

51 दिवसीय गीता जयंती समापन कार्यक्रम के मुख्या यजमान मनोज दिवान एवं सरिता दिवान रहे। मंदिर के महंत बालयोगी चरणदास महाराज ने बताया कि 51 दिवसीय कार्यक्रमों के दौरान गीता प्रचार रथ, गीता की पुस्तकें भेंट करना, गीता श£ोकोच्चारण सहित गीता के प्रचार-प्रसार के लिए अनेक कार्यक्रम आयोजित किए, ताकि गीता के महत्व को जन-जन तक पहुंचाया जा सकें।

कार्यक्रमों का एकमात्र उद्देश्य गीता का अधिक से अधिक प्रचार करना

इसके उपरांत कार्यक्रमों के अंतिम चरण में सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा गीता ज्ञान यज्ञ का आयोजन करवाया गया, जिसका रविवार को हवन एवं प्रसाद वितरण के साथ समापन हुआ। उन्होंने बताया कि इन कार्यक्रमों का एकमात्र उद्देश्य गीता का अधिक से अधिक प्रचार करना था, ताकि प्रत्येक नागरिक, विशेषकर युवा पीढ़ी को प्रेरित किया जा सकें कि वे गीता के उपदेशों को अपने जीवन में आत्मसात करें, ताकि वे एक सभ्य व संस्कारवान नागरिक बन सकें।

बालयोगी महंत चरणदास महाराज ने कहा कि भागवत कथा के समापन पर हवन और भंडारा कथा के दौरान अर्जित पुण्य का विस्तार है। यह भगवान की कथा सुनने के बाद अपने कर्मों को सेवा और दान के माध्यम से व्यक्त करने का एक मार्ग है। इससे ना केवल धार्मिक संतोष मिलता है, बल्कि सामाजिक और आध्यात्मिक लाभ भी प्राप्त होते हैं।

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