(Bhiwani News) भिवानी। शिक्षा के बदलते परिदृश्य में शिक्षक की भूमिका केवल ज्ञान प्रदान करने तक सीमित नहीं है, बल्कि वह छात्रों के संपूर्ण व्यक्तित्व विकास में सहायक होता है। इसी दृष्टिकोण को सशक्त बनाने के लिए सीबीएसई उत्कृष्टता केंद्र पंचकूला के तत्वावधान में आर्यन स्कूल भिवानी में ‘हैप्पी क्लासरूम’ विषय पर एक विशेष शिक्षक प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित की गई।
इस कार्यशाला का संचालन प्रख्यात शिक्षाविद, राष्ट्रीय शिक्षा नीति विशेषज्ञ एवं सीबीएसई के वरिष्ठ मास्टर ट्रेनर राजन शर्मा ने किया। जो वर्तमान में बिरला स्कूल पिलानी में कार्यरत हैं, राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा के क्षेत्र में एक प्रतिष्ठित नाम हैं। वे अब तक देशभर के अनेक राज्यों में 40,000 से अधिक शिक्षकों को प्रशिक्षित कर चुके हैं और अपने प्रभावी शिक्षण प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लिए विख्यात हैं।
वर्तमान समय में शिक्षा केवल पुस्तकों और कक्षाओं तक सीमित नहीं रह सकती
अपने गहन अनुभव साझा करते हुए मास्टर राजन शर्मा ने कहा कि वर्तमान समय में शिक्षा केवल पुस्तकों और कक्षाओं तक सीमित नहीं रह सकती, बल्कि इसे वास्तविक जीवन से जोड़ना अनिवार्य है। हैप्पी क्लासरूम की संकल्पना इस विचार पर आधारित है कि यदि कक्षा का वातावरण संवादमूलक, भयमुक्त और रचनात्मक हो, तो छात्र न केवल विषयों को बेहतर ढंग से समझ पाते हैं, बल्कि उनमें आत्मविश्वास, तार्किक सोच और समस्या-समाधान की क्षमता का भी विकास होता है।
उन्होंने कहा कि शिक्षक किसी छात्र का केवल पथप्रदर्शक नहीं होता, बल्कि वह उनके नैतिक विकास, संस्कृति एवं जीवन कौशल को संवारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। नवाचारी और रोचक शिक्षण पद्धतियाँ अपनाकर ही छात्र की जिज्ञासा, रचनात्मकता और तार्किक क्षमता को बढ़ाया जा सकता है।
छात्रों को केवल सुनाने के बजाय उनके साथ संवाद करना, उन्हें प्रश्न पूछने और विचार साझा करने के लिए प्रोत्साहित करना आवश्यक
मास्टर राजन शर्मा ने शिक्षकों को ‘हैप्पी क्लासरूम’ बनाने के बारे में टिप्स देते हुए बताया कि छात्रों को केवल सुनाने के बजाय उनके साथ संवाद करना, उन्हें प्रश्न पूछने और विचार साझा करने के लिए प्रोत्साहित करना आवश्यक है। कक्षा में ऐसा वातावरण होना चाहिए जहां छात्र अपनी शंकाओं को खुलकर रख सकें और गलतियाँ करने से न डरें। पारंपरिक शिक्षण पद्धतियों से हटकर, गेम-आधारित शिक्षण, डिजिटल टूल्स, कहानी-कथन और प्रायोगिक शिक्षण को अपनाना चाहिए।हर छात्र की सीखने की शैली अलग होती है, इसलिए शिक्षकों को पाठ योजनाओं को उनकी रुचि और क्षमताओं के अनुसार ढालने की आवश्यकता है।
प्रत्येक शिक्षक के लिए प्रति वर्ष 50 घंटे का प्रशिक्षण अनिवार्य किया गया
शिक्षक को स्वयं का मूल्यांकन करना चाहिए और नियमित रूप से नए कौशल सीखकर स्वयं को अपडेट रखना चाहिए। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का उल्लेख करते हुए बताया कि इसके तहत प्रत्येक शिक्षक के लिए प्रति वर्ष 50 घंटे का प्रशिक्षण अनिवार्य किया गया है। यह प्रशिक्षण शिक्षकों को आधुनिक शिक्षण तकनीकों से अवगत कराता है और उनकी दक्षता में निरंतर सुधार लाने का अवसर प्रदान करता है।
उन्होंने कहा कि शिक्षण केवल एक व्यवसाय नहीं, बल्कि समाज के भविष्य को आकार देने की प्रक्रिया है। एक शिक्षक अपने छात्रों को न केवल विषयों की जानकारी देता है, बल्कि उनमें मूल्यों, नैतिकता और जीवन जीने की कला का भी संचार करता है। कार्यशाला के अंत में मास्टर राजन शर्मा ने कहा कि शिक्षक केवल किताबों का ज्ञान नहीं देते, बल्कि वे सपनों को उड़ान देने वाले पंख भी प्रदान करते हैं। एक शिक्षक के रूप में, छात्रों को प्रेरित करना, उनकी क्षमताओं को निखारना और उन्हें सफलता की ऊँचाइयों तक पहुँचाना ही सच्ची उपलब्धि है।
इस अवसर पर आर्यन स्कूल भिवानी के प्राचार्य एवं शिक्षकों ने भी अपने विचार साझा किए और इस प्रशिक्षण सत्र को अत्यंत प्रभावी बताया। उन्होंने कहा कि इस तरह के कार्यशालाएं शिक्षकों को न केवल प्रेरित करती हैं, बल्कि उन्हें नवीनतम शिक्षण पद्धतियों से अवगत कराकर छात्रों के विकास में अधिक योगदान देने योग्य बनाती हैं।
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