(Bhiwani News) भिवानी। सतगुरु के दरबार में जाने का हर कदम यज्ञ के समान है, जो मन और वातावरण को शुद्ध करता है। यह वचन परमसंत सतगुरु कंवर साहेब जी महाराज ने दिनोद गांव स्थित राधास्वामी आश्रम में साध-संगत को संबोधित करते हुए कहे। उन्होंने सत्संग के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मन में सत्संग का विचार भी आंतरिक शुद्धि का मार्ग प्रशस्त करता है।
हुजूर कंवर साहेब ने कहा कि इंसान इस दुनियादारी में उलझा जरूर है, लेकिन वह उस साधन की तलाश में रहता है, जो उसे काल जाल से मुक्ति दिला सके। इसका सबसे प्रभावशाली माध्यम सतगुरु ही हैं। उन्होंने वर्तमान समय की चिंताओं पर चर्चा करते हुए कहा कि आज दुनिया मोबाइल और एसएमएस में उलझी हुई है। उन्होंने साध-संगत को संदेश दिया कि एसएमएस का मतलब ‘सच्चे मन से सुमिरन’ होना चाहिए।
गुरु महाराज ने चार प्रमुख दोषों का उल्लेख किया
गुरु महाराज ने चार प्रमुख दोषों का उल्लेख किया जो इंसान को उभरने नहीं देते। पहला दोष दुष्चरित्र है। उन्होंने कहा कि जिसका चरित्र अच्छा नहीं, वह इंसानी श्रेणी में नहीं आता। दूसरा दोष नशा है, जो जीवन का नाश कर देता है। तीसरा दोष मांसाहार है, जो दयाभाव को समाप्त कर देता है। दया के बिना भक्ति संभव नहीं है। चौथा दोष जुआ है, जो आर्थिक रूप से इंसान को बर्बाद कर देता है।
उन्होंने साध-संगत को प्रेरित करते हुए कहा कि अपने घरों में प्रेम और शांति बनाए रखें। माता-पिता और बुजुर्गों का सम्मान करें, क्योंकि भगवान को देखने की इच्छा रखने वालों को अपने माता-पिता के चेहरे में ईश्वर की झलक देखनी चाहिए। अंत में, उन्होंने परोपकार और परमार्थ के मार्ग पर चलने का संदेश दिया।
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