Bhiwani News : दिनोद राधास्वामी आश्रम में सत्संग : “परमात्मा की भक्ति जीवन का सर्वोच्च लक्ष्य”

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Bhiwani News : दिनोद राधास्वामी आश्रम में सत्संग : "परमात्मा की भक्ति जीवन का सर्वोच्च लक्ष्य"
गांव दिनोद स्थित राधास्वामी आश्रम में सत्संग में बोलते हुए परम संत सतगुरु कँवर साहेब जी महाराज।

(Bhiwani News) भिवानी। “दुनियादारी की बानी के कई अर्थ हो सकते हैं, लेकिन संत बानी का सार एक ही है और वह है परमात्मा की भक्ति। जो व्यक्ति भक्ति की लगन में लग जाता है, उसकी दुनियादारी की अन्य इ‘छाएं समाप्त हो जाती हैं।” यह प्रेरक वचन परम संत सतगुरु कँवर साहेब जी महाराज ने दिनोद गांव स्थित राधा स्वामी आश्रम में सत्संग के दौरान कहे।

कर्म ऐसे करो कि परमात्मा स्वयं आपका हाथ थाम ले

गुरु महाराज ने उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे जल की मुर्गी पानी में रहती है, लेकिन उसके पंख भीगते नहीं, वैसे ही भक्त को दुनियादारी में रहते हुए उसमें लिप्त नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि कर्म ऐसे करो कि परमात्मा स्वयं आपका हाथ थाम ले। “यदि आप परमात्मा का हाथ पकड़ते हैं, तो वह छूट सकता है, लेकिन जब परमात्मा आपका हाथ पकड़ता है, तो वह कभी नहीं छूटता।”

जो हृदय में बसा हो, वह कभी नहीं निकल सकता

गुरु महाराज ने सूरदास जी का उदाहरण देते हुए कहा कि परमात्मा को हृदय में बसाना चाहिए। उन्होंने कहा, “हाथ से पकड़ा गया कुछ भी छूट सकता है, लेकिन जो हृदय में बसा हो, वह कभी नहीं निकल सकता।” हुजूर ने संगति की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि साधक को हमेशा अच्छे साधकों की संगति करनी चाहिए। उन्होंने कहा, “जैसे ब्याही स्त्री की स्थिति को केवल एक ब्याही स्त्री ही समझ सकती है, वैसे ही प्रभु के मर्म को कोई मर्मी ही समझ सकता है।”

उन्होंने यह भी कहा कि संतों के पास अनुभव की बानी होती है। “संत ब्रह्मदर्शी होते हैं और परमात्मा के गुणों के ग्राही होते हैं। संत और परमात्मा में कोई भेद नहीं है। दुनिया प्रमाण मांगती है, लेकिन संत अनुभव कराते हैं।” गुरु महाराज ने कहा कि जप और तप से रिद्धि-सिद्धि और शक्ति प्राप्त हो सकती है, लेकिन राधास्वामी दयाल भक्ति, विवेक और सूझ प्रदान करते हैं। उन्होंने कहा, “राम नाम का प्याला केवल बिरले संतों को मिलता है। वक़्त रहते संतों की बानी को समझो, और उसे अपने जीवन में उतारो।”

संत सतगुरु के दर्शन मात्र से जीवन सुधर सकता

उन्होंने भक्तों को प्रेरित करते हुए कहा कि संत सतगुरु के दर्शन मात्र से जीवन सुधर सकता है। “यदि उनकी संगति और वचन में रहेंगे, तो कितना अधिक कल्याण होगा। परमात्मा की रजा में रहना सीखें, क्योंकि उसकी इच्छा से ही सब कुछ होता है।”

सत्संग के दौरान उपस्थित श्रद्धालुओं ने संत बानी और गुरु महाराज के उपदेशों को ध्यानपूर्वक सुना। संत कँवर साहेब जी महाराज के वचनों ने श्रद्धालुओं को आत्मा और परमात्मा के मिलन के महत्व और जीवन में भक्ति के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी।

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