- संतुनाथ महाराज की जलधारा तपस्या के समापन पर हवन एवं भंडारा 22 को : ओमनाथ महाराज
(Bhiwani News) भिवानी। भारत देश की पहचान साधु-संतों की भूमि के रूप में होती रही है। यहां के साधु-संतों ने विश्व में देश को नई पहचान दिलाई है। साधु-संतों ने अपने तप के बल पर बड़े से बड़े संकट को दूर करने का काम किया है। इसलिए साधु-संत को भगवान स्वरूप दर्जा दिया जाता है।
ओमनाथ महाराज के शिष्य संतु नाथ महाराज मंदिर में 41 दिवसीय जलधारा तपस्या पर
देश में सुख, शांति व समृद्धि की कामना के साथ स्थानीय ग्वार फैक्ट्री के नजदीक स्थित प्राचीन नवग्रह शनिदेव त्रिवेणी धाम मंदिर के महंत ओमनाथ महाराज के शिष्य संतु नाथ महाराज मंदिर में 41 दिवसीय जलधारा तपस्या पर है। इस बारे में जानकारी देते हुए महंत ओमनाथ महाराज व आध्यात्मिक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष देवेंद्र अत्री ने बताया कि संतु नाथ महाराज ने जलधारा तपस्या 12 दिसंबर को शुरू की थी, जो कि 22 जनवरी को संपन्न होगी।
देश भर से साधु-संत एवं श्रद्धालुगण पहुंचेंगे
उन्होंने बताया कि जलधारा तपस्या के समापन पर मंदिर में संत समागम, हवन व भंडारे का आयोजन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि 22 जनवरी को प्रात: 10 बजे हवन होगा, जिसमें देश भर से साधु-संत एवं श्रद्धालुगण पहुंचेंगे। इसके उपरांत भंडारे का आयोजन किया जाएगा।
महंत ओमनाथ महाराज ने कहा कि संत का संसार में बड़ा महत्व है, वह ईश्वर का एक प्रतिनिधि होता है। उन्होंने कहा कि एक संत का पूरा जीवन ईश्वर को समर्पित होता है तथा वह सिर्फ विश्व कल्याण की सोच ही रखता है। उन्होंने कहा देश की सुख, शांति एवं अमन कायम बना रहे, इसी उद्देश्य के साथ संतु नाथ महाराज द्वारा जलधारा तपस्या की जा रही है।
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