Bhiwani News : चुनावों को लेकर माहौल भांपने में लगे है छुटभैया कार्यकर्ता

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Petty workers are trying to gauge the atmosphere regarding the elections

(Bhiwani News ) लोहारू। विधानसभा चुनावों को लेकर दिनोंदिन राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ती जा रही है तथा श्री कृष्ण जन्माष्टमी व गोगा नवमी पर्व के बाद चुनाव को लेकर सभी दल व प्रत्याशी पूरी तरह से चुनावी रंग में रंगे नजर आऐंगे। विधानसभा चुनावों को लेकर लोगों में उत्साह देखने को मिल रहा है वहीं युवा वर्ग भी खासा उत्साहित नजर आ रहा है। चुनावों की घोषणा के बाद से ही ऐसे कार्यकर्ता भी सक्रिय हो गए है जो पांच वर्ष तक कभी कभार ही जनता के सुख-दुख में भागीदारी करते नजर आए। राजनीतिक गतिविधियों के बीच विभिन्न दलों के कार्यकर्ताओं का सफेद कुर्ता पायजामा में घरों से बाहर निकलने का सिलसिला शुरू हो गया है। कार्यकर्ता अब सार्वजनिक स्थानों व चौपालों पर राजनीतिक चर्चाओं को जन्म देते नजर आ रहे है। ऐसे छुटभैया कार्यकर्ता अपने भाव बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते तथा खुलकर संभावित प्रत्याशियों के करीब होने का दावा करने लगे है। इन कार्यकर्ताओं के लिए वह नेता अधिक खास है जो उन्हें पूछे व उनकी कद्र करे। चुनाव प्रचार के लिए गाड़ी, खाने पीने से लेकर रोजाना खर्च का जुगाड़ जो प्रत्याशी उनके लिए करेगा वह उसी दल की भाषा में बात करने का हुनर रखते है। विशेष बात यह है कि पहले जहां ऐसे कार्यकर्ता अधेड़ आयु के होते थे वहीं अब युवाओं की संख्या भी बढ़ रही है।

यह और बात है कि हर बार चुनाव में पाला बदलने के साथ उनके नारे व भाषण भी बदल जाते है। ऐसा भी नहीं है कि प्रत्याशी उनके बारे में न जानते हो, लेकिन क्या करे, उन्हें जनता के बीच अपने समर्थकों की संख्या दिखाने की मजबूरी है। ऐसे लोगों की फितरत व मंशा को वे अच्छे से समझते है परंतु उन्हें दूर करने का जोखिम कोई भी प्रत्याशी नहीं उठाना चाहेगा। चुनाव प्रचार के दिनों में उनकी लुभावनी बातों, दावों व विरोधियों की हर बात की काट ऐसे लोग अपने साथ रखते है तथा अपने इसी हुनर के कारण उनकी पूछ होती है। बहरहाल दिनोंदिन बन रहे चुनावी माहौल को लेकर अनेक छुटभैया नेता पनप गए है जो जनभावनाओं को टटोलने के साथ ही अपनी आस्था बदलते भी देर नहीं लगा रहे। लोहारू व सतनाली में ऐसे कार्यकर्ताओं की बाढ़ है तथा उनकी खूब चर्चा भी हो रही है जो गत दस वर्ष के दौरान अब तक तीन से चार बार अपनी आस्था बदल चुके है। ऐसे कार्यकर्ताओं के लिए अभी यह भी तय नहीं है कि वे कब तक दल या प्रत्याशी विशेष के साथ रहेंगे परंतु इतना अवश्य है कि उन्हें जिस दल के प्रत्याशी से अधिक भाव व मान सम्मान मिलेगा वे उसके लिए सक्रियता से काम करेंगे तथा चुनावी रंग जोर पकड़ता नजर आएगा।

 

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