Bhiwani News : कुलदेवी के रूप में क्षेत्र के घर-घर में है पहाड़ी माता की मान्यता

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Pahadi Mata is recognized as Kuldevi in ​​every household of the region
पहाड़ी माता मंदिर में माता की भव्य प्रतिमा।
  • नवरात्र में 9 से 17 अप्रैल तक लगेगा भव्य मेला
  • 400 फुट ऊंची पहाड़ी पर स्थित है माता का भव्य मंदिर, राजस्थान, दिल्ली, पश्चिमी बंगाल सहित दूरदराज से आते है भक्तजन

(Bhiwani News) लोहारू। लोहारू के गांव पहाड़ी स्थित माता मंदिर में नवरात्र पर्व के दौरान आयोजित किए जाने वाले वार्षिक मेले की तैयारियां प्रशासन द्वारा शुरू कर दी गई है। पहाड़ी माता मंदिर में 9 से 17 अप्रैल तक भव्य मेले का आयोजन किया जाएगा जिसके लिए पहाड़ी माता मंदिर के रिसीवर एवं नायब तहसीलदार लोहारू ने संबंधित विभागों को पत्र लिखकर सभी व्यवस्थाएं पूर्ण करने के निर्देश दिए है ताकि मेले में दर्शनार्थ आने वाले श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े।

नवरात्रों में प्रतिवर्ष लाखों लोग देशभर से यहां माता के चरणों में शीश नवाने के लिए आते

ध्यान रहे कि नवरात्रों के दौरान लोहारू के गांव पहाड़ी में करीब 400 फुट ऊंची पहाड़ी पर स्थित करीब 850 वर्ष पुराना माता मंदिर स्वर्णिम आभा के साथ श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र रहता है। नवरात्रों में प्रतिवर्ष लाखों लोग देशभर से यहां माता के चरणों में शीश नवाने के लिए आते हैं। लोहारू सहित आसपास क्षेत्र के गांवों में कुलदेवी के रूप में पहाड़ी माता की मान्यता है। पहाड़ी पर बने मंदिर में माता की भव्य प्रतिमा अनायास ही भक्तों को अपनी ओर आकर्षित कर लेती है।

ऐसी मान्यता है कि जो भक्त माता के मंदिर में मनोकामनाएं लेकर आते हैं उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती है तथा जो भक्त एक बार पहाड़ी माता के दर्शनों के लिए आता है, वह सदैव के लिए माता का भक्त बन जाता है। पहाड़ी पर चढ़ने के लिए माता वैष्णो देवी की तर्ज पर घुमावदार सीढ़ियाँ व लिफ्ट की भी सुविधा है। प्रत्येक घुमाव पर हनुमानजी, श्रीकृष्ण, भगवान शिव, लक्ष्मी जी, सरस्वती, शनिदेव सहित अनेक छोटे बड़ी प्रतिमाएं व मंदिर स्थापित है। प्रचलित कथा के अनुसार मंदिर में माता की प्रतिमा पर स्वर्ण देखकर डाकुओं ने लूट के उद्देश्य से प्रतिमा को खंडित कर दिया और वे इसे उठाकर चले ही थे कि पहाड़ी माता ने उन्हें पहाड़ से उतरते समय अंधा कर दिया। पहाड़ी से उतरते समय वे गिर गए व उनकी मौत हो गई।

डाकू माता की सोने की नथ आदि लेकर अर्थात माता की नाक काटकर भागे थे इसलिए इसे नकटी माता के नाम से भी जाना जाता है तथा जहां डाकू गिरकर मरे थे वहां अब नकीपुर गांव बसा है। दिल्ली के तोमर वंश के राजा पहाड़ी माता की पूजा व आर्शीवाद प्राप्त करने के लिए यहां आते थे व पांडव भी अज्ञातवास के दौरान यहां माता के दर्शनों के लिए ठहरे थे। क्षेत्र के भक्त माता के दर्शनों के साथ अपने नवजात शिशुओं का मुंडन संस्कार भी यहीं करवाते है।

प्रतिवर्ष नवरात्रों के दौरान यहां विशाल मेला लगता है, जिसमें हरियाणा के साथ-साथ राजस्थान, पश्चिम बंगाल, गोवा, असम, तमिलनाडु सहित अनेक स्थानों से आने वाले लाखों भक्त माता के दर्शन करने के लिए पहुंचते है। क्षेत्र में पहाड़ी माता के प्रति अटूट श्रद्धा व भक्ति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पैदल जत्था के रूप में बच्चे एवं महिलाएं भी काफी संख्या में पहाड़ी माता के मंदिर में शीश झुकाने के लिए पैदल रवाना होते है तथा हर घर में कुलदेवी के रूप में पहाड़ी माता की पूजा होती है।

 

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