- सामाजिक संगठन के प्रयासों से मुक्तिधाम ने लिया पार्क का रूप, सुबह व सायं के समय आकर्षित करती है मुक्तिधाम की हरियाली
अमित वालिया
(Bhiwani News) लोहारू। इंसान चाहे तो क्या नहीं कर सकता बस सच्ची लगन और जज्बा होने की जरूरत होती है जी हां यह पंक्तियां सटीक बैठती है लोहारू के रेलवे अंडरपास के नजदीक बने मुक्तिधाम पर। जब व्यक्ति अपनी सांसारिक यात्रा पूरी करने के बाद अंतिम पड़ाव के लिए जाता है उस समय उसके चाहने वाले कंधा देकर मुक्तिधाम तक ले जाते हैं। उस यात्रा में कोई सुविधा न हो यह बात कुछ युवाओं के मन को पीड़ा पहुंचती है।
इस व्यथा को लोहारू के युवाओं ने महसूस किया और मुक्तिधाम में सुधार व व्यवस्थाओं की जिम्मा उठाया लोहारू के सामाजिक संगठन प्रयास एक कोशिश ने। संगठन ने जून 2016 में उत्साही साथियों के सहयोग से मुक्तिधाम में पौधारोपण के साथ इसके जीर्णोद्धार का संकल्प लिया तथा इसके साथ ही शुरू हो गया मुक्तिधाम के विकास का शानदार सफर। नगरवासियों गणमान्य लोगों के सहयोग से मुक्तिधाम के विकास के लिए मुक्तिधाम विकास समिति का गठन किया गया व प्रयास एक कोशिश संगठन के प्रयासों का सफलता मिलने लगी।
मुक्तिधाम में देखरेख के लिए गत 7 वर्षो से एक चौकीदार भी सेवा दे रहा
वर्तमान में मुक्तिधाम में करीब 400 पौधों की हरियाली है वहीं बिजली के लिए सोलर प्लांट लगाया गया है। पानी की व्यवस्था के लिए यहां बोर किया गया तथा पेयजल के लिए वाटर कूलर भी लगाया गया है। इतना ही नहीं शव दहन के लिए मुक्तिधाम में लकडिय़ों की भी व्यवस्था है तथा मुक्तिधाम में देखरेख के लिए गत 7 वर्षो से एक चौकीदार भी सेवा दे रहा है। मुक्तिधाम का हरियाली भरा नजारा देखकर लोग इसे पार्क मानकर यहां सुबह व शाम भ्रमण के लिए आते है तथा दो पल सुकून भरे यहां बीताते है। मुक्तिधाम में बैठने के लिए कुर्सियां भी रखवाई गई है तथा पक्षियों के दाना पानी की व्यवस्था के लिए चबूतरे का निर्माण भी किया गया है। सुबह व सायं के समय पक्षियों की चहचहाहट से यहां का नजारा देखने लायक बन जाता है।
मुक्तिधाम में बच्चों के अंतिम संस्कार के लिए अलग से वर्गीकरण किया गया है तथा भविष्य में यहां की चारदीवारी पर चित्रकारी की भी योजना है। मुक्तिधाम में भामाशाहों द्वारा शेड भी लगाए गए है। चौकीदार ओमप्रकाश ने बताया कि मुक्तिधाम में पेड़ पौधों की नियमित देखरेख व पानी डालने के साथ.साथ इसके रखरखाव की जिम्मेवारी वे निभा रहे है, इससे उन्हें मानसिक व आत्मिक संतुष्टि मिलती है।
कहना गलत नहीं होगा कि यह सब प्रयास एक कोशिश संगठन के प्रयास ही है जिनकी बदौलत लोगों में जागरूकता आई तथा उन्होंने इस मुक्तिधाम के विकास के लिए दिन रात एक कर इसे भ्रमण स्थल का रूप प्रदान किया। मुक्तिधाम में बना भव्य पार्क व फूलदार पौधे भी यहां की सुंदरता को चार चांद लगाते है। ध्यान रहे कि नगर के सामाजिक संगठन व अनेकों भामाशाह के सहयोग से अब तक मुक्तिधाम में करीब एक करोड़ के विकास कार्य करवाए जा चुके है तथा व्यवस्था में सुधार का सिलसिला अभी भी जारी है।
संगठन के संरक्षक मा. पवन स्वामी ने बताया कि मौत के बाद अंतिम सफर तो मुक्तिधाम में आकर समाप्त होता ही है लेकिन यदि उसी मुक्तिधाम में जीवन के कुछ पल सुकून के बिताने का अवसर मिले तो यह एक सुखद अहसास होता है। उन्होंने मुक्तिधाम के जीर्णोद्धार व व्यवस्था के लिए पौधरोपण के साथ बीड़ा उठाया था वह अब साकार रूप ले चुका है तथा इसमें सभी नगरवासियों को सहयोग व आशीर्वाद रहा जो आज फलीभूत हो रहा है।
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