- सेठ छाजूराम लांबा ने अपने जीवन की पूरी कमाई के 88 लाख रुपये किए थे दान : सुनील लांबा
(Bhiwani News) भिवानी। दानवीर सेठ छाजूराम की 159वीं जयंती पर स्थानीय हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड के नजदीक स्थित उनकी प्रतिमा पर उनके प्रपौत्र सुनील लांबा ने माल्यार्पण कर याद किया। इसके अलावा स्व. सेठ छाजूराम के पैतृक गांव अलखपुरा में हवन एवं खेलों का भी आयोजन किया गया।
सेठ छाजूराम का जन्म 28 नवंबर 1865 को बवानीखेड़ा तहसील के तहत आने वाले अलखपुरा गांव में हुआ था
इस मौके पर सेठ छाजूराम लांबा के पड़पौत्र सुनील लांबा ने बताया किया सेठ छाजूराम का जन्म 28 नवंबर 1865 को भिवानी के बवानीखेड़ा तहसील के तहत आने वाले अलखपुरा गांव में हुआ था। बचपन में ही पढ़ाई में उनकी विशेष रूचि थी। उन्होंने रेवाङी में एसएन रॉय के बच्चों को एक रूपये प्रति माह के हिसाब से ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया। जब रॉय कलकता चले गए तो उन्होंने छाजूराम के भी वहीं बुला लिया।
छाजूराम ने सुभाष चन्द्र बोस को जर्मनी जाते समय आर्थिक मदद की
यहां छाजूराम ने ट्यूशन के साथ व्यापार शुरू कर दिया तथा वे कलकता के बड़े व्यापारी बन गए थे। जब भगत सिंह ने अंग्रेजी अधिकारी सांडर्स की गोली मारकर हत्या की तो छाजूराम ने भगत सिंह को कलकता में अपने मकान पर ढ़ाई महीने शरण लेकर रहे। वहीं छाजूराम ने सुभाष चन्द्र बोस को जर्मनी जाते समय आर्थिक मदद की। यही नहीं उन्होंने किसान मसीहा छोटूराम की पढ़ाई का पूरा खर्च उठाया।
सुनील लांबा ने कहा कि सेठ छाजू राम शिक्षा के महत्व को समझते थे। उन्होंने शिक्षा के प्रसार के लिए अथक प्रयास किया तथा अपनी नेक कमाई के 88 लाख रूपये दान देकर शिक्षण संस्थान, अस्पताल, प्याऊ, धर्मशालाएं बनवाई थी। उन्होंने कहा कि राष्ट्र के विकास में सेठ छाजूराम का योगदान अविस्मरणीय है, जिसके चलते वे हमेशा प्रेरणा स्त्रोत रहेंगे। इस अवसर पर अधिवक्ता अनिल सांगवान, सुनील स्वामी हालुवासिया, अधिवक्ता निशांत ढांडा, अधिवक्ता गौतम सिंह, अनिल काठपालिया, महिपाल, सोनू, सतबीर सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे।
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