• मुक्तिधाम का सौंदर्य अन्य गांव के लिए बन रही प्रेरणा, अब मौत के बाद नहीं, जिंदगी के साथ सुकून के दो पल बिताने भ्रमण के लिए मुक्ति धाम जाते है लोग

(Bhiwani News) लोहारू। मुक्तिधाम जो मनुष्य के जीवन यात्रा का अंतिम पड़ाव या अंतिम धाम होता है उसकी कायाकल्प का बीड़ा उठाते हुए 21 सदस्यीय मुक्तिधाम विकास समिति ने लोहारू में मुक्तिधाम से समस्याओं की मुक्ति का संकल्प लिया गया है। करीब 9 वर्ष पूर्व समिति सदस्य सुनील डालमिया, रामकिशन जांगिड़, विनोद गर्ग, प्रदीप तायल, बालकिशन, मनोज सिंघल, प्रेम प्रकाश सोनी, अशोक अग्रवाल, अमित डालमिया, सौरभ गर्ग, डॉ. आलोक मिश्रा, मा. पवन स्वामी आदि मुक्तिधाम पहुंचे तो वहां सुविधाओं की कमी खली मन में कसक के चलते मुक्तिधाम का स्वरूप बदलने का प्रण लिया।

जून 2016 में उत्साही साथियों ने मुक्तिधाम में पौधारोपण किया और उनके संरक्षण की शपथ के साथ ही शुरू हो गया एक सफर। समिति के प्रयासों से अनेकों भामाशाह इस नेक काम में आगे आए और करीब और उनके सहयोग से एक करोड़ से अधिक के विकास कार्य यहां हुए।

9 वर्ष पहले प्रयास संगठन के सदस्यों ने पौधा रोपण से की थी शुरुआत

लोहारू के रेलवे अंडरपास के नजदीक बने मुक्तिधाम में 2016 में लोहारू के सामाजिक संगठन प्रयास-एक कोशिश ने सुधार व व्यवस्थाओं की जिम्मा उठाते हुए जून 2016 में पौधारोपण अभियान की शुरुआत की थी। इसके बाद नगरवासियों गणमान्य लोगों के सहयोग से मुक्तिधाम के विकास के लिए मुक्तिधाम विकास समिति का गठन किया गया व प्रयास-एक कोशिश संगठन के प्रयासों का सफलता मिलने लगी।

संगठन के संरक्षक मा. पवन स्वामी ने बताया कि मौत के बाद अंतिम सफर तो मुक्तिधाम में आकर समाप्त होता ही है लेकिन यदि उसी मुक्तिधाम में जीवन के कुछ पल सुकून के बिताने का अवसर मिले तो यह एक सुखद अहसास होता है। उन्होंने मुक्तिधाम के जीर्णोद्धार व व्यवस्था के लिए पौधरोपण के साथ बीड़ा उठाया था वह अब साकार रूप ले चुका है तथा इसमें सभी नगरवासियों को सहयोग व आशीर्वाद रहा जो आज फलीभूत हो रहा है।

सुकून के दो पल बिताने भ्रमण के लिए आज भ्रमण करने को आते हैं शहर के लोग

मुक्तिधाम का हरियाली भरा नजारा देखकर लोग इसे पार्क मानकर यहां सुबह व शाम भ्रमण के लिए आते है तथा दो पल सुकून भरे यहां बीताते है। मुक्तिधाम में बैठने के लिए कुर्सियां भी रखवाई गई है तथा पक्षियों के दाना पानी की व्यवस्था के लिए चबूतरे का निर्माण भी किया गया है।

सुबह व सायं के समय पक्षियों की चहचहाहट से यहां का नजारा देखने लायक बन जाता है। मुक्तिधाम में बच्चों के अंतिम संस्कार के लिए अलग से वर्गीकरण किया गया है तथा भविष्य में यहां की चारदीवारी पर चित्रकारी की भी योजना है। मुक्तिधाम में भामाशाहों द्वारा शेड भी लगाए गए है। चौकीदार मुक्तिधाम में पेड़ पौधों की नियमित देखरेख व पानी डालने के साथ-साथ इसके रखरखाव की जिम्मेवारी को निभा रहा है। मुक्तिधाम में बना भव्य पार्क व फूलदार पौधे भी यहां की सुंदरता को चार चांद लगाते है।

करीब एक करोड़ की राशि से हो चुका है मुक्तिधाम का जीर्णोद्धार

समिति के प्रयासों से मुक्तिधाम में 2016 से अब तक करीब एक करोड़ रूपये खर्च किए जा चुके हैं। वर्तमान में मुक्तिधाम के विकास को लेकर कई योजनाएं चल रही हैं यह सब कुछ सरकारी स्तर पर नहीं, बल्कि सामाजिक स्तर पर चल रहा है। कुछ लोग श्रमदान कर रहे हैं, तो कुछ लोग समय दान. कुछ लोगों ने धन दान कर रहे हैं। मुक्तिधाम को एक आदर्श मुक्तिधाम के रूप में स्थापित करने को लेकर अभियान के रूप में समिति के प्रयास जारी हैं।

अब यहां हरियाली है और एक व्यवस्था भी बन गई है, अनेक प्रकार के पक्षी अब यहां आने लगे है। अब उसी मुक्तिधाम में करीब 400 पौधों की हरियाली है, बिजली के लिए सोलर प्लांट है, पानी के लिए बोरिंग किया हुआ है, शव दहन के लिए लकडिय़ों की व्यवस्था बनी हुई है और साथ-साथ उस स्थान की देख रेख के लिए पिछले 6 वर्षों से एक चौकीदार भी सेवा दे रहा है।

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