(Bhiwani News) लोहारू। कहते हैं कि कुत्ता यानी डॉग बिना झोली का फकीर होता है। कुत्ता ही एक ऐसा बेजुबान जानवर है जो वफादार कहलाता है। बात भी सच है कि वफादारी की मिसाल केवल और केवल डॉग के लिए दी जाती हैं। शहर हो या गांव कई हिस्सों में आवारा कुत्ते हैं ये भोजन और आश्रय के लिए सडक़ों, पार्कों और आस-पड़ोस में घूमते रहते हैं। जबकि कुछ लोग इन्हें एक उपद्रव के रूप में देखते हैं। परंतु गांव रहीमपुर निवासी जग महेंद्र फिलिंग स्टेशन के संचालक जग महेंद्र कस्वां इन बेजुबानों के लिए किसी फरिश्ते से कम नहीं हैं। कस्वां इन आवारा कुत्तों के लिए भोजन मेें रोटी, बिस्किट से लेकर दूध तक की व्यवस्था करते हैं। तभी उनकी गाड़ी की आहट मात्र से ही दर्जनभर से अधिक बेजुबान आवारा कुत्ते उनके पंप पर पहुंच जाते हैं और पूंछ हिलाकर अपनी वफादारी दिखाते हैं बदले में कस्वां उनके लिए रोटी, बिस्कुट व दूध परोसते हैं।
कोरोना काल में लॉकडाउन के समय से ही 5 वर्षों से बेजुबानों की सेवा में लगे हुए हैं कस्वां
समाजसेवी जगमहेंद्र कस्वां ने बताया कि इन जानवरों के प्रति अपनी जिम्मेदारी को पहचानना और उनकी भलाई सुनिश्चित करने के लिए उचित उपाय करना आवश्यक है। जिस प्रकार इंसान अपने और अपनों की देखभाल करते हैं उसी प्रकार आवारा पशुओं की देखभाल का जिम्मा भी इंसानों का ही है। सडक़ों पर घूमते आवारा पशु, कुत्ता, गाय को अनदेखा करने के बजाय एक सकारात्मक सोच के साथ उनकी सुध लेनी चाहिए। वह भी इसी समाज में हम लोगों के बीच रहते हैं। वह सभी पशु भी हम इंसानों से सेवा भाव की अपेक्षा रखते हैं।
गाड़ी के आने की आहट से ही झुंड में आते हैं उनके पास
उन्होंने बताया कोरोना महामारी के दौरान मार्च 2019 में पूरे देश में लॉकडाउन लगा हुआ था। सडक़ों, गांव, शहर में दूर-दूर तक देखने के लिए इंसान नहीं थे। उन्होंने बताया कि सरकार की हिदायत के अनुसार पेट्रोल पंप पर जरूरी सेवा के लिए रहना पड़ता था। इस दौरान बहुत से बेजुबान कुत्ते उनके पंप पर आ जाते थे। भूख की तड़प उनमें देखी जा सकती थी। उन्होंने बताया कि सप्ताह भर तक उन्होंने खुद के खाने में से उनको रोटी खिलाते थे। इसके बाद बेजुबान कुत्तों की संख्या उनके पंप पर बढ़ने लगी तब उनके लिए घर से एक्स्ट्रा रोटी और बाजार से बिस्किट लाने लगे। इसके बाद उनके लिए दूध की व्यवस्था की गई। धीरे-धीरे बेजुबानों की संख्या बढ़ने लगी और आज भी दर्जनभर से अधिक बेजुबान उनके पंप पर स्थाई रूप से रह रहे हैं। जिनके लिए रोजाना दूध, बिस्कुट और रोटी खिलाने का काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस कार्य के करने से उनको एक प्रकार का सुकून मिलता है। यह रोज की दिनचर्या में शामिल रहता है। इन बेजुबानों की सेवा में उनकी धर्मपत्नी मुकेश देवी भी इनका बखूबी साथ दे रही हैं। उनकी पत्नी ने कहा कि यह बेजुबान कुत्ते उनके बच्चे की तरह है। बेजुबानों को सिर्फ खाना ही नहीं खिलाते हैं बल्कि बीमार होने पर इनकी देखभाल भी करते हैं व उनका इलाज भी करवाते हैं।