
- वैश्य महाविद्यालय, भिवानी के स्वपोषित विभाग के गणित विभाग में किया गया “भारतीय गणित की यात्रा”विषय पर विस्तार व्याख्यान का आयोजन
(Bhiwani News) भिवानी। वैश्य महाविद्यालय, भिवानी के स्वपोषित विभाग के गणित विभाग में “भारतीय गणित की यात्रा”विषय पर विस्तार व्याख्यान का आयेाजन किया गया। विस्तार व्याख्यान में मुख्य वक्ता के रूप में ओम स्टर्लिंग ग्लोबल यूनिवर्सिटी हिसार के डीन पाठ्यक्रम, गणित के प्रोफेसर डॉ महेंद्र पूनिया ने शिरकत की। विस्तार व्याख्यान का शुभारंभ मुख्य वक्ता डॉ महेंद्र पूनिया के स्वागत के साथ महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ संजय गोयल स्वपोषित विभाग की निर्देशिका डॉ प्रोमिला सुहाग, गणित विभागाध्यक्ष डॉ श्रुति रानी द्वारा किया गया।
अपने स्वागतीय उद्बोधन में प्राचार्य डॉ संजय गोयल ने अतिथि का स्वागत करते हुए कहा कि हमारा जीवन गणित पर आधारित हैं।गणित हमारे हर क्षेत्र में काम आता है। संसार के संचार, उद्योगों मेडिकल, निर्माण व अर्थ जगत के सभी कार्यों का आधार गणित हैं।
हर क्षेत्र पर एक अमिट छाप छोड़ी
विस्तार व्याख्यान में मुख्य वक्ता ओम स्टर्लिंग ग्लोबल यूनिवर्सिटी हिसार के डीन पाठ्यक्रम, डॉ महेंद्र पूनिया ने अपने वक्तव्य में भारतीय गणित की यात्रा पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि भारतीय गणित गणितीय इतिहास में एक विशेष स्थान रखता है जिसने हर क्षेत्र पर एक अमिट छाप छोड़ी है। प्राचीन काल से ही, भारतीय गणित अद्वितीय प्रतिभा के साथ विकसित हुआ, जिसने अभूतपूर्व खोजों और नवीन तकनीकों का मार्ग प्रशस्त किया जो दुनिया भर के गणितज्ञों को प्रेरित और प्रभावित करते रहे।
उन्होंने कहा कि भारतीय गणितीय विरासत की समृद्ध प्रतिभा, रचनात्मकता और समय और स्थान से परे संख्यात्मक अवधारणाओं की गहरी समझ से बुनी गई है। उन्होंने बताया कि गणितीय गवेषणा का महत्वपूर्ण भाग भारतीय उपमहाद्वीप में उत्पन्न हुआ है। संख्या, शून्य, स्थानीय मान, अंकगणित, ज्यामिति, बीजगणित, कैलकुलस आदि का प्रारंभिक कार्य भारत में सम्पन्न हुआ। उन्होंने कहा गणित-विज्ञान न केवल औद्योगिक क्रांति का बल्कि परवर्ती काल में हुई वैज्ञानिक उन्नति का भी केंद्र बिन्दु रहा है।
बिना गणित के विज्ञान की कोई भी शाखा पूर्ण नहीं हो सकती। भारत ने औद्योगिक क्रांति के लिए न केवल आर्थिक पूंजी प्रदान की वरन् विज्ञान की नींव के जीवन्त तत्व भी प्रदान किये जिसके बिना मानवता विज्ञान और उच्च तकनीकी के इस आधुनिक दौर में प्रवेश नहीं कर पाती।
विदेशी विद्वानों ने भी गणित के क्षेत्र में भारत के योगदान की मुक्तकण्ठ से सराहना की है। स्वपोषित विभाग की निर्देशिका डॉ प्रोमिला सुहाग ने इस व्याख्यान के सफल आयोजन के लिए सभी स्टाफ सदस्यों का धन्यवाद प्रकट करते हुए गणित विषय की महता पर प्रकाश डाला। विस्तार व्याख्यान में गणित विभागाध्यक्ष डॉ श्रुति रानी, डॉ इंदु, रितेश गोयल, डॉ विष्णुकांत, डॉ सतबीर सिंह, रिंकू, पूजा राठी, मनीष भारद्वाज, दुर्गा, रीना सहित महाविद्यालय परिवार के काफी सदस्य उपस्थित थे।
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