- गत वर्ष की तुलना में करीब 5 हजार एकड़ में सरसों की बुआई हुई कम
- अगेती सरसों की फसल में 35 से 40 दिन बाद पहला पानी उचित, प्रति एकड़ 35 किलोग्राम यूरिया पहले पानी के साथ देना बेहतर
(Bhiwani News) लोहारू। लोहारू की अधिकतम भूमि राजस्थान राज्य से सटी हुई रेतीली है। इस क्षेत्र में अगेती सरसों की फसल की बंपर पैदावार होती है। अगेती सरसों की बुआई में पहला पानी फेरने का समय आ गया है। कृषि विभाग द्वारा बेहतर पैदावार के लिए शेड्यूल जारी किया गया है।
अधिकतम तापमान 24 डिग्री सेल्सियस व न्यूनतम तापमान 15 डिग्री बना हुआ
कृषि विभाग के अनुसार तापमान सामान्य बना हुआ है। हाल में अधिकतम तापमान 24 डिग्री सेल्सियस व न्यूनतम तापमान 15 डिग्री बना हुआ है जो सरसों, गेहूं, व चने की फसल के लिए उपयोगी है। बता दें कि इस बार गत वर्ष की तुलना में सरसों की करीब 5 हजार एकड़ में कम बुआई हुई है किसान अभी भी गेहूं की बिजाई के लगे हुए हैं जिसके चलते गेहूं का रकबा बढ़ने की संभावना है।
सरसों की अच्छी पैदावार के लिए 20 से 22 डिग्री तापमान अनुकूल
कृषि अधिकारी डॉ. विनोद सांगवान से बात की गई तो उन्होंने बताया कि वर्तमान में तापमान सरसों, गेहूं, व चने की फसल के अनुकूल बना हुआ है। उन्होंने बताया कि इस बार लोहारू खंड में 48 हजार एकड़ में सरसों व 30 हजार में गेहूं व करीब 300 एकड़ में चने की बुवाई हो रखी है। उन्होंने बताया कि सरसों की अच्छी पैदावार के लिए 20 से 22 डिग्री तापमान अनुकूल माना जाता है।
तापमान में आई गिरावट सरसों के लिए वरदान सिद्ध हो रही है। अनुकूल मौसम के चलते सरसों की पैदावार ज्यादा होने की उम्मीद की जा रही है। उन्होंने बताया कि इस समय क्षेत्र में तापमान 24 डिग्री सेल्सियस व न्यूनतम तापमान 15 डिग्री बना हुआ है अब किसानों को इन फसलों में पहला पानी फेरने के लिए सावधानी बरतने की जरूरत हे।
कृषि अधिकारी डॉ. विनोद सांगवान ने बताया कि अगेती सरसों की फसल में 35 से 40 दिन बाद पहला पानी फेरना उचित माना गया हे। उन्होंने बताया कि यदि किसान बची हुई आधी मात्रा 35 किलोग्राम यूरिया प्रति एकड़ डालते हैं तो सरसों की फसल के लिए काफी फायदेमंद है। पहला पानी फेरते समय हल्का पानी ही फेरना चाहिए सरसों की किसी भी फसल में पानी खड़ा नहीं रहना चाहिए यह सरसों के पौधे के लिए हानिकारक है।
उन्होंने बताया कि जिन क्षेत्रों मेें सरसों के तना गलन रोग का प्रकोप है वहां बिजाई के 40 से 45 दिन बाद कार्बेंडाजिम का 0.1 प्रतिशत की दर से पहला छिडक़ाव करना फायदेमंद होगा। तना गलन रोग की रोकथाम के लिए दो छिडक़ाव करने आवश्यक है दूसरा छिडक़ाव करीब 60 दिन के अंतराल के बाद करना चाहिए।
सरसों में सफेद रतुआ बीमारी का भय
हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा जारी की गई एडवाईजरी के अनुसार तापमान में लगातार गिरावट होने से सरसों में सफेद रतुआ रोग होने की संभावना बनी हुई है। एसे में किसानों को सतर्क होने की जरूरत है।
इसके यदि कहीं भी लक्षण दिखाई दें तो किसान 600 से 800 ग्राम मैंकोजेब यानी डाइथेन एम 45 को 200 से 300 लीटर पानी में मिलाकर 15 दिन के अंतराल से दो से तीन बार छिडक़ाव करना बेहतर होगा। कृषि अधिकारी डॉ. विनोद सांगवान ने बताया कि गेहूं की फसल में यदि कहीं पर भी सफेद रतुआ रोग की शिकायत मिलती है तो किसानों को घबराने की आवश्यकता नहीं हैं। उपचार से इसका समाधान संभव है।
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