- सजधजकर पहुंची महिलाओं ने होली पर गोबर के बने बड़कुल्ले चढ़ाए, किया पूजन
- सामाजिक एकता के संदेश के साथ मनाना चाहिए होली का पर्व : डॉ. अशोक गिरी महाराज
(Bhiwani News) भिवानी। भिवानी में वीरवार को होली के त्यौहार को लेकर खासा उत्साह दिखाई दिया। लोगों ने शहर में कई जगह होली बनाई। सुबह से ही लोगों ने होली का पूजन करना शुरू कर दिया, जो शाम तक जारी रहा। लोगों ने होली पर गोबर के बने हुए बड़कुल्ले भी चढ़ाए। महिलाएं सज-धजकर पूजा करने के लिए पहुंची। महिलाओं ने धागा लेकर होली के चारों ओर चक्कर लगाया तथा होली को पानी चढ़ाया।
होली का पर्व पारंपरिक श्रद्धा एवं उल्लास के साथ मनाया गया
महिलाओं के साथ-साथ युवकों व पुरुषों ने भी होली पूजन किया। इस दौरान बाजारों में खासी भीड़ देखी गई तथा रंग-गुलाल की दुकानें भी सजी रही। देश प्रदेश में होली का पर्व पारंपरिक श्रद्धा एवं उल्लास के साथ मनाया गया। महिलाओं ने खासतौर पर होली पूजन किया। महिलाओं ने व्रत रखकर होली पूजन किया व संतान की दीर्घायु की प्रार्थना की। वही खेतों में तैयार हुई नई फसल गेहूं, चने, जौ का भोग लगाया और अच्छी फसल की कामना की गई। महिलाओं ने गोबर से बने ढ़ाल, बड़कुल्ले व नाल से पूजा कर प्राचीन परंपराओं के अनुसार पूजा की।
वही बच्चों में भी होली पर्व को लेकर उत्साह देखा जा रहा है। इस मौके पर जहरगिरी आश्रम के अंतरराष्ट्रीय श्रीमहंत डॉ. अशोक गिरी महाराज ने बताया कि ज्योतिष के अनुसार वर्ष 2081 के अनुसार वर्ष का अंतिम त्यौहार है, जिसे बड़ी उत्साह एवं श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। उन्होंने बताया कि होली रंगों का उत्सव है, जिसे बड़ी ही श्रद्धा एवं उल्लास के साथ मनाना चाहिए। उन्होंने नागरिकों से आह्वान किया कि वे रंगों के पर्व को नशा करके ना मनाएं तथा एक-दूसरे के साथ प्रेम से मनाते हुए एकता का संदेश देते हुए मनाना चाहिए।
होली पूजन को लेकर गहरी आस्था
पूजा करने आई महिलाओं सरिता, सरोज, रिया व रेखा ने बताया कि होली पूजन को लेकर उनकी गहरी आस्था है। महिलाओं का कहना था कि जिस तरह भक्त प्रहलाद की रक्षा भगवान ने की उसी तरह वे अपने बच्चों की रक्षा की कामना के लिए होली का पूजन करती हैं तथा व्रत रखती है।
यही नहीं होली की विधिवत पूजा के साथ-साथ नाल के धागे को रक्षा सूत्र के रूप में भी होलिका पर बांधा जाता है। उन्होंने कहा कि होली का मतलब सिर्फ और सिर्फ रंग हैं और होली का रंग इंसान के सिर्फ बाहरी आवरण को नहीं बल्कि मन को भी अंदर से रंग देता है।
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