• शारीरिक पीड़ा झेल रहे मानव की सहायता करना भी गौरक्षा दल भिवानी की नैतिक जिम्मेदारी : परमार

(Bhiwani News) भिवानी। गौसेवकों को अधिकतर लोग गाय व अन्य पशुओं की सेवा के लिए जानते है, लेकिन गौरक्षा दल भिवानी ने एक बार फिर से मानवता का एक अनूठा उदाहरण पेश किया है। स्थानीय सराय चौपटा निवासी एक पीडि़त व्यक्ति के पैर में पिछले चार वर्षों से जख्म ठीक नहीं हो रहा था, जिसमें अब कीड़े पनपने शुरू हो गए थे, जिससे वह गंभीर पीड़ा और उपेक्षा का शिकार हो रहा था तथा अस्पताल के चक्कर काट-काटकर व्यवस्था से परेशान हो चुका पीड़ित आखिरकार गौरक्षा दल भिवानी संचालित गौशाला में उपचार की उम्मीद लेकर स्वयं पहुंचा।

समाज के लिए प्रेरणास्रोत

इस परिस्थिति में गौरक्षा दल भिवानी के सदस्यों ने जो करुणामयी कदम उठाया, वह ना केवल सराहनीय है, बल्कि समाज के लिए प्रेरणास्रोत भी है। गौरक्षा दल भिवानी के प्रधान एवं भिवानी परिवार मैत्री संघ के आजीवन सदस्य संजय परमार ने बताया कि बुधवार सुबह स्थानीय विजय नगर स्थित गौरक्षा दल भिवानी द्वारा संचालित गौशाला में एक व्यक्ति आया, जिसके पैर का जख्म सडऩे की वजह से पैर में कीड़े पड़े शुरू हो गए थे।

जिसे गौरक्षा दल भिवानी के सदस्यों ने निकाला। पीडि़त ने बताया कि वह पिछले चार वर्षो से पैर में बने जख्म में कीड़े पनपने की समस्या शुरू हो गई थी, जिसके चलते उन्हे अत्यंत पीड़ा के साथ-साथ समाज व सरकारी व्यवस्था का तिरस्कार भी झेलना पड़ रहा था। परमार ने बताया कि पीड़ित की हालत को देखते हुए गौरक्षा दल भिवानी के सदस्यों ने तुरंत प्रभाव से उसका उपचार शुरू किया तथा करीब चार वर्षो से बने जख्म के सडऩे से पड़े कीड़ों को बाहर निकाला और आवश्यक उपचार किया।

गौरक्षा दल भिवानी की टीम सिर्फ गायों की रक्षा तक सीमित नहीं हैं

गौरक्षा दल भिवानी के प्रधान संजय परमार ने बताया कि गौरक्षा दल भिवानी की टीम सिर्फ गायों की रक्षा तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे जरूरतमंद मरीजों की सेवा में भी सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने कहा कि वे गायों की सेवा को ही मानव सेवा मानते हैं। अगर कोई मानव भी पीड़ा में है, तो नर सेवा-नारायण सेवा के भाव को अपनाते हुए उसकी सहायता करना भी गौरक्षा दल भिवानी अपनी नैतिक जिम्मेदारी समझता है।

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