Bhiwani News : एक्सपेरिमेंटल लर्निंग प्राचीन भारतीय शिक्षण पद्धति का हिस्सा : प्रो. बलदेव राज कंबोज

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Bhiwani News : एक्सपेरिमेंटल लर्निंग प्राचीन भारतीय शिक्षण पद्धति का हिस्सा : प्रो. बलदेव राज कंबोज
चौधरी बंसी लाल विश्वविद्यालय में अतिथियों का स्वागत करते हुए कुलपति प्रो. दीप्ति धर्माणी।
  • विद्यार्थी अपने अंदर विज्ञान के प्रति जिज्ञासा एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोण पैदा करें : प्रो दीप्ति धर्माणी

(Bhiwani News) भिवानी। चौधरी बंसीलाल विश्वविद्यालय के फिजिक्स डिपार्टमेंट द्वारा आयोजित दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान कार्यशाला के पहले दिन मुख्य अतिथि के रूप में आए हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बलदेव राज कंबोज ने अपने संबोधन में कहा कि लर्निंग साइंस विद फन आज की अवधारणा नहीं है बल्कि हमारी भारतीय संस्कृति के शिक्षण का हिस्सा थी।

जिसके अनुसार देख कर और प्रायोगिक रूप से ज्ञान विज्ञान को सरल बनाकर रोज के जीवन में उतारा जाता था। उन्होंने अपने वक्तव्य में पश्चिम के दर्शन में भी एक्सपेरिमेंटल लर्निंग के महत्व को कन्फ्यूशियस के उदाहरण से समझाते हुए कहा कि ‘ तुम मुझे कहोगे और मैं भूल जाऊंगा, तुम मुझे दिखाओगे हो सकता है मैं याद रखूं लेकिन मैं कर के देखूंगा तो समझ जाऊंगा।

हमारी शिक्षा अगर हमारे समस्या का निदान न करे और वह जीवन में काम न आए तो वह शिक्षा पूर्ण नहीं हो सकती

उन्होंने कहा चौधरी बंसी लाल विश्वविद्यालय का यह प्रयास सराहनीय है कि विद्यार्थियों को खुद से विज्ञान को कर के सीखने का अवसर दे रहे हैं और यह कार्यशाला इस उद्देश्य को पूरा करने में सक्षम हो रहा है। कुलपति प्रो. दिप्ती धर्माणी ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि हमारी शिक्षा अगर हमारे समस्या का निदान न करे और वह जीवन में काम न आए तो वह शिक्षा पूर्ण नहीं हो सकती। आगे उन्होंने कहा कि इस कार्यशाला द्वारा विद्यार्थी अधिक रचनात्मक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से युक्त हो सकेंगे ।

कॉन्टम फिजिक्स के सिद्धांत को कई दैनिक जीवन के उदाहरणों से समझाया

हमारा विश्वविद्यालय ने राष्ट्रीय शिक्षण नीति 2020 के एक्सपेरिमेंटल लर्निंग को पूरी तरह से व्यावहारिक रूप से भी लागू करने का काम किया है। वहीं अमेरिका से आए प्रो. एन. एल. शर्मा ने मुख्य वक्ता के रूप में विद्यार्थियों को संबोधित किया और कॉन्टम फिजिक्स के सिद्धांत को कई दैनिक जीवन के उदाहरणों से समझाया। इस कार्यक्रम की रूपरेखा कार्यशाला के संयोजक प्रो. विपिन कुमार जैन ने प्रस्तुत की, वहीं डीन एकेडमिक अफेयर्स प्रो. दिनेश कुमार मदान ने अतिथियों का स्वागत किया।

वहीं टेक्निकल सेशन के मुख्य वक्ता राजस्थान विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. वाय. के. विजय ने विज्ञान के प्रयोगों को कर के समझाया जिसमें विद्यार्थियों ने फिजिक्स के सिद्धांतों को उनके साथ करके सीखा। वहीं एक साइंस इनोवेशन लैब का भी उद्घाटन अतिथियों द्वारा किया गया जिससे स्थानीय विद्यार्थियों के बीच भी बेसिक साइंस स्किल्स विकसित हो सके और विज्ञान के प्रति अभिरुचि बढ़े। विद्यार्थियों को इस कार्यशाला में निशुल्क प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

यूनिवर्सिटी ऑफ जेनेवा, इटली से आए प्रो.गुस्तावो सांचेज ने लर्निंग इंडस्ट्रियल डिजिटल ट्विंस इन एजुकेशन विषय पर विद्यार्थियों का मार्गदर्शन किया। इस अवसर पर कुलसचिव डॉ. राहुल त्रिपाठी ने धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम में मंच संचालन डॉ. स्नेहलता ने किया। इस अवसर पर फिजिक्स डिपार्टमेंट से प्रो. संजीव कुमार, प्रो. ललिता गुप्ता, प्रो. सुरेन्द्र कुमार, प्रो.मयंक किंगर, प्रो. सोनू मदान, प्रो. सुरेश मलिक डॉ विनोद कुमार, डॉ विजय सहित सभी शिक्षक एवं विद्यार्थी, शोधार्थी उपस्थित रहे।

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