(Bhiwani News) लोहारू। समूचे उपमंडल में कपास उत्पादक किसान परेशानी में है। बेमौसमी बरसात व उखड़े रोग के कारण किसानों की कपास की तैयार फसल बर्बाद हुई हैं। प्रकृति की बेरुखी ने किसानों की फसल को एक प्रकार से चौपट कर दिया है। ध्यान रहे कपास पर कहर बनकर बरपी ज्येष्ठ माह की तपत और सूर्यदेव की तल्खी ने पहले ही किसानों कपास की फसल को भारी नुकसान किया था। एक जून का आए अंधड़ के कहर से भी किसानों की कपास की फसल बहुत अधिक प्रभावित थी रही सही कसर कपास में आए उखड़ा रोग ने पूरी कर दी जिसके चलते कपास की पैदावार घटकर 50 फीसदी तक आ पहुंची है। क्षेत्र के किसानों ने प्रदेश सरकार से कपास के पंचनामा कराकर मुआवजे की मांग की है।
उल्लेखनीय है कि इस बार केवल 30 हजार एकड़ में ही कपास की बुआई हुई है। तेज अंधड़ व भयंकर गर्मी के कारण करीब 10 से 12 हजार एकड़ में बोई गई खेती तो पूरी तरह से बर्बाद हुई तथा अधिकतर किसानों ने खेत खाली होने के कारण उनकी जुताई भी कर दी थी। वहीं अगस्त, सितंबर व अक्टूबर में प्रकृति की बेरुखी के कारण कपास का उखड़ा रोग लगा जिसके कारण किसानों की कपास की उपज को प्रभावित किया है। इस बार गुलाबी सुंडी, सफेद मक्खी व पैरा विल्ट रोग और कपास के पौधों के उखड़ने की बहुत समस्याएं किसानों के सामने रही हैं। कुछ बेमौसमी बरसात ने भी कपास की फसल को पूरी तरह से प्रभावित किया है। हालांकि इस प्रकार की समस्या के आने की बात को कृषि विभाग मानने को तैयार नहीं हैं।
किसान मेवा सिंह आर्य, धर्मपाल बारवास, हवा सिंह बलौदा, रामसिंह शेखावत, आजाद सिंह भूगला, मंदरूप नेहरा, सूरत सिंह, बलवान सोहासडा, प्रभुदयाल काजला, विनोद शर्मा, सुमेर सिंह भूरिया, भीष्म काजला सुभाष सिंघानी, जयसिंह गिगनाऊ, इंद्राज सिंह दमकोरा, उमेद सिंह फरटिया, राजेश बरालु का कहना है कि इस बार किसानों की फसल पूरी तरह से चौपट हो गई है। उन्होंने बताया कि इस बार कपास की पैदावार न के बराबर है। किसानों को इस बार कपास की फसल से लागत भी नहीं वसूल पा रहा है।
उन्होंने बताया कि अच्छी पैदावार के लिए प्रति एकड़ 10 से 12 क्विंटल होनी चाहिए इस पैदावार से ही किसान कुछ मुनाफे में रह सकता है। परंतु इस बार 2 से 3 क्विंटल प्रति एकड़ की ही पैदावार हो रही है जिसके कारण किसान को भारी नुकसान हुआ है। बेमौसमी बरसात में आधे से ज्यादा फसल खराब हो गई। खेतों में पानी जमा होने से कपास की बांड सड़ गई इससे उन्हें लाखों का नुकसान हुआ हैं। किसानों का कहना है कि कपास के नुकसान अभी तक पंचनामा तक नहीं हुआ है। ऐसे में किसानों के घाटे की भरपाई कैसे हो पाएगी?
भाकियू के प्रदेश उपाध्यक्ष धर्मपाल बारवास का कहना है कि इस बार कपास की फसल कई कारणों से प्रभावित हुई है। किसान को कपास की बुआई, स्प्रे, हलवा से लेकर चुगाई 1500 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से प्रति एकड़ 15 हजार रुपये का खर्चा आ जाता है। उन्होंने बताया कि इस बार तो किसान को प्रति एकड़ 2 से 3 क्विंटल की ही पैदावार मिल रही है जिसके चलते किसान को केवल और केवल घाटा हुआ है।
कृषि अधिकारी विनोद सांगवान ने बताया कि इस बार मौसम की बेरुखी के कारण कपास की फसल में नुकसान जरूर हुआ है। कपास में कितना नुकसान हुआ है विभाग की ओर से इसका अभी आकलन नहीं किया गया है। उन्होंने बताया कि 10 से 12 क्विंटल प्रति एकड़ कपास की अच्छी पैदावार मानी जाती है इससे कम पैदावार किसान के लिए घाटे का सौदा है। सरकार की हिदायत आने के बाद आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।
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