- हिंदी में अनुवाद किए गए चार वेद को श्रीमहंत डा. अशोक गिरी महाराज को किए भेंट
(Bhiwani News) भिवानी। विश्व हिंदू परिषद के 10 वर्षों के अथक परिश्रम के बाद देश के वैदिक विद्वानों द्वारा चारों वेदों का हिंदी में अनुवाद किया। हिंदी में अनुवादित इस ग्रंथ का लोकार्पण मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी द्वारा स्वामी चिदानंद मुनि एवं स्वामी धर्मदेव, वैदिक विद्वानों एवं गुरुकुल के सानिध्य में गुरूग्राम में किया गया था। जिसके बाद हिंदी में अनुवादित चारों वेदों को प्रदेश भर के विभिन्न गुरुकुल में पहुंचाया जा रहा है।
इसी कड़ी में विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक दिनेश चंद्र के संरक्षण तथा कार्यक्रम संयोजक दिनेश शास्त्री के नेतृत्व में डा. मुरलीधर शास्त्री एवं सुनील शास्त्री सोमवार को स्थानीय जहर गिरी आश्रम में पहुंचे तथा आश्रम के पीठाधीश्वर अंतरराष्ट्रीय श्री महंत डॉ. अशोक गिरी महाराज को हिंदी में अनुवादित चार वेद भेंट किए।
भारतीय धर्म और संस्कृति के सबसे प्राचीन और महत्वपूर्ण ग्रंथ
इस मौके पर श्रीमहंत डा. अशोक गिरी महाराज ने कहा कि सनातन धर्म के चार वेद ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, और अथर्ववेद। भारतीय धर्म और संस्कृति के सबसे प्राचीन और महत्वपूर्ण ग्रंथ हैं। ये वेद ना केवल आध्यात्मिक और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इनमें जीवन के हर क्षेत्र से जुड़ी गहन और व्यापक ज्ञान की परंपरा भी छिपी हुई है।
उन्होंने कहा कि ऋग्वेद में प्राचीन ऋषियों द्वारा रचित 1028 सूक्त (स्तुतियां) हैं। ये देवताओं की प्रार्थना, यज्ञों के महत्व और ब्रह्मांड के रहस्यों पर आधारित हैं। यजुर्वेद यज्ञ और अनुष्ठानों से संबंधित है, इसमें मंत्रों और अनुष्ठानों के विधि-विधान का वर्णन है।
सामवेद में ऋग्वेद के कुछ मंत्रों को संगीतमय शैली में प्रस्तुत किया गया है। यह भक्ति और ध्यान का आधार है तथा अथर्ववेद में चिकित्सा, आयुर्वेद, ज्योतिष, रक्षा और सामाजिक जीवन से संबंधित ज्ञान है। इस मौके पर डा. मुरलीधर शास्त्री एवं सुनील शास्त्री ने कहा कि चारों वेद मिलकर मानव जीवन के सभी पहलुओं आध्यात्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक के लिए मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। इन वेदों का अध्ययन करना और इनके संदेश को