Bhiwani News : पूर्व सीएम चौ. बंसीलाल के नाम से होती है भिवानी की पहचान

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Bhiwani is known by the name of former CM Choudhary Bansi Lal
पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी बंसीलाल।
(Bhiwani News) लोहारू। पूर्व मुख्यमंत्री चौ. बंसीलाल के जन्मदिवस पर प्रदेशभर में राजनेताओं, सामाजिक संगठनों व उनके समर्थकों द्वारा कार्यक्रमों का आयोजन कर अपने प्रिय नेता को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है। उल्लेखनीय है कि संयुक्त हरियाणा-पंजाब के तत्कालीन महेंद्रगढ़ जिले के गोलागढ़ गांव के रेतीली धरती से उठकर साधारण किसान के घर से जन्म लेकर पहले मुनीम, फिर वकील व बाद में मुख्यमंत्री व केंद्र में रक्षा मंत्री, रेल मंत्री सहित अनेक बडे मंत्रालयों में अपनी ईमानदारी व काबिलियत के बल पर धाक जमाने वाले स्व. चौ. बंसीलाल की छाप आज भी लोगों के दिलों में विराजमान है। प्रदेश के विकास में अपना अहम योगदान देने वाले चौ. बंशीलाल ने पूरे हरियाणा की जनता को अपना परिवार माना तथा भाई भतीजावाद की लीक से परे हटकर आम आदमी को मुलभूत सुविधाएं प्रदान की। प्रदेश में सड़कों का जाल बिछाने की बात हो या फिर दक्षिण हरियाणा के रेगिस्तानी क्षेत्र में नहरों व बिजली लाइनों का जाल बिछाने का कारनामा, हर क्षेत्र में प्रदेश के विकास के लिए कृतसंकल्प चौ. बंशीलाल ने सदैव विकासपरक व स्वच्छ राजनीति की जो मिसाल कायम की उसी के बलबूते पर देश व विदेश में लोग हरियाणा को बंशीलाल का हरियाणा के नाम से जानने लगे। उनकी विकासपरक नीतियों व हरियाणा निर्माण में उनके योगदान को देखते हुए ही उन्हें हरियाणा निर्माता की संज्ञा दी गई तथा प्यार से लोग उन्हें बाऊजी कहकर पुकारते है।

प्रदेश व देश में भिवानी के नाम को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिला गए चौ. बंशीलाल

हरियाणा के भिवानी जिले के गांव गोलागढ़ में एक साधारण किसान मोहर सिंह के घर पर 26 अगस्त 1927 को जन्मे चौ. बंसीलाल की प्रारम्भिक शिक्षा भिवानी में ही सम्पन्न हुई। इसके बाद उनकी वकालत की पढ़ाई तत्कालीन लाहौर में हुई। उनके शिक्षण काल में ही उनका विवाह विद्या देवी से हुआ तथा उनके सुरेंद्र व रणबीर के रूप में दो पुत्र व चार लडकियां सरोज सिवाच, सुनीता देवी आईएएस, सुमित्रा देवी व सविता देवी है जो उच्च पदों पर कार्यरत रही। चौ. बंसीलाल ने लोहारू अनाज मंडी जो उस समय एक प्रख्यात मंडी हुआ करती थी, से अपना कारोबार आरंभ किया लेकिन 1955 में भिवानी में वकालत के दौरान उनकी मुलाकात पूर्व प्रधानमंत्री प. जवाहरलाल नेहरू व गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल से हुई। इसके बाद उनकी रूचि राजनीति में जागृत हुई तथा उन्होंने वकालत छोड़कर कांग्रेस की सभाओं में भाग लेना आरंभ कर दिया। उनके राजनीतिक कौशल से प्रभावित होकर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने 1960 में उन्हे सांसद के रूप में राज्यसभा भेज दिया। इस प्रकार चौ. बंसीलाल के राजनीतिक सफर की शुरुआत देश की सबसे बडी पंचायत से हुई। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा तथा राज्यसभा सांसद के रूप में उन्होंने क्षेत्र में विकास, रोजगार व मूलभूत सुविधाओं में भेदभाव का मामला पुरजोर उठाया तथा हरियाणा का अलग प्रदेश बनाने की जोरदार पैरवी की जिस पर 1 नवंबर 1966 को पंजाब से अलग कर हरियाणा को अलग प्रदेश बना दिया गया व प्रदेश की बागड़ोर प. भगवत दयाल शर्मा को सौंपी गई। उनकी अगुवाई में 1967 में बंसीलाल ने तोशाम विधानसभा से चुनाव जीतकर हरियाणा के मुख्यमंत्री के रूप में विराजमान हुए। चौ. बंशीलाल के मुख्यमंत्री बनने के बाद देश व प्रदेश की राजनीति में भूचाल आ गया तथा नेताओं को चिंता सताने लगी कि एक अनुभवहीन नए नेता को प्रदेश की बागडोर संभाल देने से प्रदेश का भविष्य खतरें में पड़ जाएगा, लेकिन कम समय में ही पंजाब की मशीनरी को हरियाणा में लगाकर प्रदेश में नहरों, सडक़ोंं व बिजली लाईनों का जाल बिछाकर चौ. बंसीलाल ने अपनी अद्भुत प्रतिभा का लोहा मनवाया। प्रदेश में विकास कार्यो को होते देख उनकी लोकप्रियता लगातार बढ़ती ही चली गई तथा पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, राजीव गांधी सहित अनेक राष्ट्रीय नेता उनके नेतृत्व में विश्वास जताने लगे।

लौह पुरुष व हरियाणा निर्माता के रूप में जाने जाते है चौ. बंसीलाल, लोहारू से शुरू किया था अपना कारोबार

1 दिसंबर 1975 को वे भारत के रक्षा मंत्री व 1984 में वे रेल मंत्री बने तथा उनके कार्यकाल में सैनिक, भूतपूर्व सैनिकों के कल्याण के लिए अनेक कदम उठाए गए व हरियाणा, पंजाब व राजस्थान में रेल लाइनों का जाल बिछाया गया। इसके बाद उन्हें 1986 में कांग्रेस पार्टी ने हरियाणा की बागड़ोर पुन: सौंप दी। उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता था कि उन्होंने 1996 में हरियाणा विकास पार्टी का गठन किया व अपने दम पर हरियाणा के मुख्यमंत्री के रूप में विराजमान हुए। प्रदेश व देश में विभिन्न पदों पर रहते हुए उन्होंने जापान, अमेरिका, रूस, फ्रांस, चीन, स्पेन, ऑस्ट्रेलिया, अफगानिस्तान सहित अनेक देशों की यात्राएं की तथा वहां की परियोजनाओं को हरियाणा में लागू करने का प्रयास किया। दक्षिण हरियाणा के खेतों में ईख व धान उगाने के लिए एसवाईएल का पानी लाने का उन्होंने आजीवन प्रयास किया। चौ. बंसीलाल की छाप आज भी हरियाणा के आमजन के मानस पटल पर विद्यमान है तथा विरोधी भी उनके राजनीतिक जीवन व राजनीतिक प्रयासों के कायल है। आज भले ही पूर्व मुख्यमंत्री चौ. बंशीलाल हमारे बीच नही है लेकिन देश व प्रदेश में उनके द्वारा किए गए विकास कार्यो को याद कर आज भी प्रदेशवासियों की आंखें नम हो जाती है।