- 2019 से पूर्व नवाबी नगरी होने के बावजूद नवाब के ठाठ बाठ हासिल करने के लिए तरसता रहा लोहारू,
- पूर्व मुख्यमंत्री चौ. बंसीलाल परिवार का रहा है प्रभावशाली वोट बैंक, प्रदेश का सबसे बडा विधानसभा क्षेत्र है लोहारू
(Bhiwani News) लोहारू। लोहारू हल्के की पहचान इतिहास के पन्नों में भी स्वर्ण अक्षरों में अंकित है। नवाबी रियासत का नगर लोहारू जहां स्वतंत्रता आंदोलनों का गवाह रहा है वहीं आर्य समाज के आंदोलनों का भी गवाह है। लोहारू का ऐतिहासिक नवाब का किला हो या फिर सिंघानी गोलीकांड का मूक गवाह ऐतिहासिक कुआं, लोहारू इतिहास के झरोखों को अपने अंदर समेटे हुए है। विश्व विख्यात गजल गायक मिर्जा गालिब की ससुराल होने के साथ-साथ लोहारू नवाबी हुकूमत की रियासत रहा है। बावजूद इसके लोहारू हल्के को 2019 से पूर्व तक मूलभूत सुविधाओं के लिए तरसना पड़ा।
दक्षिण हरियाणा के अंतिम छोर पर राजस्थान की सीमा से सटे लोहारू विधानसभा क्षेत्र संख्या 54 भौगोलिक दृष्टि से जहां प्रदेश का सबसे बड़ा विधानसभा क्षेत्र होने का दर्जा रखता है वहीं भिवानी जिले की राजनीति का प्रमुख केंद्र बिंदु भी रहा है। चाहे सत्ता पक्ष में भागीदारी रही हो या नहीं बावजूद इसके लोहारू विधानसभा क्षेत्र पर प्रत्येक राजनीतिक दल की निगाहें रहती है। देखा जाए तो लोहारू में पूर्व मुख्यमंत्री चौ. बंसीलाल परिवार का दबदबा रहा है। यह और बात है कि यहां जब भी बंशीलाल परिवार या समर्थकों में फूट हुई तो इसका फायदा इनेलो को मिला क्योंकि इनेलो का भी यहां प्रभावशाली वोट बैंक है। गत 2019 के विधानसभा चुनाव में यहां भाजपा के जेपी दलाल को जीत मिली तथा सरकार में विधायक जेपी दलाल को कैबिनेट मंत्री के रूप में उचित प्रतिनिधित्व मिलने के बाद लोहारू ने विकास के नए आयाम छुए तथा हर क्षेत्र में विकास हुआ जिसकी गूंज प्रदेश के अन्य हलको में भी सुनाई दी।
भौगोलिक स्थिति :
लोहारू विधानसभा क्षेत्र प्रदेश का सबसे बड़ा विधानसभा क्षेत्र होने के साथ-साथ दो उपमंडल लोहारू व सिवानी के गांवों को मिलाकर बना है। हल्के में करीब 125 गांव, 108 ग्राम पंचायतें हैं तथा कुल 242 पोलिंग बूथ हैं। लोहारू हल्के में कुल 205489 मतदाता है, जिनमें पुरुष 107997 और महिला 97490 मतदाता है। इसमें 2 ट्रांसजेंडर शामिल है। इनमें अनुसूचित जाति वर्ग के करीब 42 हजार, पिछड़ा वर्ग के करीब 33 हजार, सामान्य वर्ग करीब 130000 मतदाता हैं। लोहारू हल्का श्योराण बाहुल्य होने के कारण यह वोट बैंक निर्णायक स्थिति में रहता है।
विशेषताएं :
लोहारू हल्का प्रदेश की राजनीति में पहचान के साथ-साथ सीमावर्ती राजस्थान राज्य के लोगों के लिए भी व्यापारिक गतिविधियों का प्रमुख केंद्र माना जाता है। सीमा से सटा होने के कारण मरुस्थलीय विशेषता रखने वाले लोहारू हल्के के लोगों का प्रमुख कार्य कृषि है तथा क्षेत्र की पहचान कृषि प्रधान क्षेत्र के रूप में होती है। किसान आंदोलनों की जन्मभूमि रहे लोहारू हल्के में बिजली-पानी व कृषि मुद्दों को लेकर किसान संगठन सक्रिय रहते है तथा यहां की राजनीतिक दिशा तय करने में किसानों की भी अहम भूमिका रहती है।
जनता से किए गए वादे पर खरा उतरे जेपी दलाल :
वर्ष 2019 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी जेपी दलाल ने जो वादे जनता के समक्ष किए थे उससे कहीं ज्यादा लोहारू हलके के लोगों के लिए कार्य करवाने व नई नई योजनाएं क्रियान्वित करवाने में वे सफल रहे। जेपी दलाल द्वारा करवाए गए विकास कार्यो व लोहारू की दशकों से सूखी पड़ी नहरों में पानी लाने का श्रेय उन्हीं ही जाता है। हालांकि किसान आंदोलन के दौरान उनके बयानों से जनता में नाराजगी भी दिखाई दी परंतु विपक्ष भी दबी जुबान से जेपी दलाल द्वारा लोहारू हलके में करवाए गए विकास कार्यो की सराहना करते है। इसके अलावा आमजन के बीच रहकर उनकी समस्याओं का समाधान करने की बात हो या जनता दरबार लगाकर जनसुनवाई की। हलके के लोग वर्तमान विधायक के कार्यों से खुश नजर आ रहे है। इससे पहले लोहारू में इतने विकास कार्य पूर्व विधायक चौ. सोमवीर सिंह ही करवाने में कामयाब हुए थे। अन्य विधायक अपने कार्यकाल के दौरान हलके के लिए कुछ खास नहीं करवा पाए।
लोहारू में पांच वर्ष के दौरान हुए विकास कार्य :
गांव खरकड़ी में 120 एकड़ में महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय का उत्कृष्टता केंद्र, गिगनाऊ में 60 एकड़ भूमि पर इंडो इजरायल तकनीक पर आधारित बागवानी का एक्सीलेंस सेंटर, बहल में 10 करोड़ रुपए की लागत से लुवास के हरियाणा पशु विज्ञान केंद्र की स्थापना, गांव सलेमपुर में 10 करोड रुपए की लागत से वीटा का प्लांट, गांव गरवा में 100 करोड़ रुपए की लागत से उत्तर भारत का सबसे बड़ा मछली पालन अनुसंधान केंद्र, गोकुलपुरा में हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा 50 करोड़ की लागत से मोटे अनाज अनुसंधान केंद्र की स्थापना, लोहारू में बकरी प्रजनन केंद्र, महिला महाविद्यालय का नया भवन, लघु सचिवालय कर्मियों के लिए नए रिहायशी आवास सहित शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी व सडक़ निर्माण से संबंधित अनेक उल्लेखनीय कार्य करवाए गए है।
वायदे नहीं हुए पूरे :
विधायक जेपी दलाल द्वारा किए गए कुछ वायदे ऐसे भी है जो पूरे नहीं हो पाए तथा हलका वासी उनके पूरा होने की बाट जोहते रहे। लोहारू के अस्पताल को 100 बिस्तर में अपग्रेड करवाकर नए भवन निर्माण, बहल में सीएचसी निर्माण, क्षेत्र में कोई बड़ा उद्योग स्थापित करवाने, लोहारू-दिल्ली की नए राष्ट्रीय राजमार्ग के माध्यम से कनेक्टिविटी, लोहारू में सरकारी आवासीय सेक्टर विकसित करने, बंद पड़ी ऊन मिल को चालू करवाना आदि योजनाएं धरातल पर नहीं उतर पाई तथा ये वादे अधूरे ही रहे।
अब तक चुने हुए विधायक :
लोहारू विधानसभा क्षेत्र से पांडिचेरी की राज्यपाल रही चंद्रावती देवी 3 बार विधायक रह चुकी हैं वहीं हीरानंद आर्य भी लोहारू से 4 बार विधायक रह चुके हैं। वर्ष 1947 में भक्त बूजाराम पहले नॉमिनेटेड विधायक बने, 1952 के चुनावों में रामकुमार शर्मा, 1957 के चुनावों में चंद्रभान ओबरा, 1962 के चुनावों में जगन्नाथ, 1967 के चुनावों में हीरानंद आर्य, 1968 के चुनावों में चंद्रावती, 1972 के चुनावों में चंद्रावती, 1977, 1982 व 1987 के चुनावों में हीरानंद आर्य लगातार तीन बार विधायक बने। वर्ष 1991 के चुनावों में जनता दल की चंद्रावती ने जनता पार्टी के सोहनलाल को हराकर विधायक बनी, 1996 के चुनावों में हविपा के चौ. सोमवीर सिंह ने समाजवादी पार्टी के हीरानंद आर्य को हराया, 2000 के चुनावों में आईएनएलडी के चौ बहादुर सिंह ने हविपा के चौ. सोमवीर सिंह को हराकर विधायक बने, 2005 के चुनावों में कांग्रेस के चौ सोमवीर सिंह ने इनेलो के चौ बहादुर सिंह को हराकर विधायक बने तथा 2009 के चुनावों में इनेलो के मा. धर्मपाल ओबरा ने निर्दलीय विधायक जेपी दलाल को हराया। वहीं 2014 के चुनावों में इनेलो के ओमप्रकाश गौरा विधायक चुने गए। 2019 के चुनाव में भाजपा के जेपी दलाल ने कांग्रेस प्रत्याशी चौ. सोमवीर सिंह को हराकर जीत हासिल की।
1967 में स्व. चौ. हीरानंद आर्य (कांग्रेस)
1968 में चंद्रावती (कांग्रेस)
1972 में चंद्रावती (कांग्रेस)
1977 में स्व. चौ. हीरानंद आर्य (कांग्रेस)
1982 में स्व. चौ. हीरानंद आर्य (कांग्रेस)
1987 में स्व. चौ. हीरानंद आर्य (कांग्रेस)
1991 में चंद्रावती (जनता दल)
1996 में सोमवीर सिंह (हविपा)
2000 में बहादुर सिंह (इनेलो)
2005 में सोमवीर सिंह (कांग्रेस)
2009 में मा. धर्मपाल ओबरा (इनेलो)
2014 में ओमप्रकाश गौरा (इनेलो)
2019 में जयप्रकाश दलाल (भाजपा)
1967 में स्व. चौ. हीरानंद आर्य (कांग्रेस)
1968 में चंद्रावती (कांग्रेस)
1972 में चंद्रावती (कांग्रेस)
1977 में स्व. चौ. हीरानंद आर्य (कांग्रेस)
1982 में स्व. चौ. हीरानंद आर्य (कांग्रेस)
1987 में स्व. चौ. हीरानंद आर्य (कांग्रेस)
1991 में चंद्रावती (जनता दल)
1996 में सोमवीर सिंह (हविपा)
2000 में बहादुर सिंह (इनेलो)
2005 में सोमवीर सिंह (कांग्रेस)
2009 में मा. धर्मपाल ओबरा (इनेलो)
2014 में ओमप्रकाश गौरा (इनेलो)
2019 में जयप्रकाश दलाल (भाजपा)
सबसे अधिक मतों के अंतर से जीत :
हल्के की सबसे बड़ी जीत का रिकॉर्ड पूर्व मुख्यमंत्री चौ. बंसीलाल के दामाद सोमवीर सिंह के नाम पर है जो उन्होंने 1996 में हविपा प्रत्याशी के रूप में पूर्व मंत्री स्व. चौ. हीरानंद आर्य को 36433 मतों के अंतर से हराकर हासिल की थी।
सबसे कम मतों के अंतर से जीत :
विधानसभा चुनाव 2009 में इनेलो के मा. धर्मपाल ओबरा ने निर्दलीय प्रत्याशी जे पी दलाल को 623 मतों के अंतर से हराया।