भिवानी : हिरानंद आर्य राजनेता नहीं ईमानदारी व सादगी की मिसाल

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जिसने विधानसभा में पूछा क्या कोई मेंबर शराब पीकर हाऊस में आ सकता है
विधानसभा से लेकर गांव तक आज भी गुंजते हैं आर्य के ईमानदारी के किस्से
पवन शर्मा, भिवानी :
देश की राजनीति में बहुत से ऐसे नेता हुए हैं जिनकी ईमानदारी की मिसाल आज भी दी जाती हैं। उनकी सादगी के किस्से हमेशा लोगों के बीच रहते हैं। ऐसे ही किस्सों को लेकर मनीराम खरबास द्वारा पूर्व मंत्री स्व. हिरानंद आर्य के जीवन पर लिखी गई किताब एक सहज व्यक्तित्व का विमोचन 11 अगस्त को भिवानी में आर्य प्रतिनिधि सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी आर्यवेश करेंगे।
लोहारू से चार बार विधायक प्रदेश में शिक्षा, वित्त जैसे महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री रहे हिरानंद आर्य के बारे में कौन नहीं जानता। चौधरी चरण सिंह, अटल बिहारी वाजपेयी, जयपाल रेड्डी व देवीलाल जैसे नेताओं के बेहद नजदीकी रहे हिरानंद आर्य ने इलाके के किसानों के लिए हमेशा लड़ाई लड़ी। स्वामी दयानंद के जीवन से प्रभावित रहे हिरानंद आर्य के जीवन पर आर्य समाज का किस कदर प्रभाव था यह सब इस किताब में बताया गया है। उनके जीवन के शुरूआत से लेकर इमरजेंसी के हालात, उनके जेल से लिखे गए पत्रों तक का जिक्र लेखक ने किताब में किया है। विधानसभा के कार्रवाई के किस्से इस बात को बयां करते हैं कि वे अपने इलाके के विकास व सामाजिक कार्यों के लिए कैसे तत्पर रहते थे।
पत्नी वीरमती बोली सरल था जीवन
स्व. आर्य के जीवन पर लिखी गई किताब में उनकी पत्नी वीरमती ने अपने संस्मरण में बताया कि हिरानंद आर्य राजनीति में भले ही शिखर पर रहे हो मगर उनकी सादगी हमेशा उनके साथ रही। ईमानदारी उनके लिए सबसे सर्वोपरि थी। उनका जीवन सेठ किरोड़ी मल ट्रस्ट के छोटे से मकान से शुरू हुआ था और आज भी वहीं ठहरा हुआ है। बच्चों को बेहतरीन शिक्षा दी,  यही कारण है कि उनके बेटे संदीप को सेना में कमिशन मिला। विंग कमांडर से रिटायर होने के बाद आज भी जॉब कर रहे हैं। बेटियों ने सारी शिक्षा भिवानी में ही पूरी की। आर्य जी हमेशा तड़क भड़क के खिलाफ थे। यहां तक की घर में फोटो सेशन तक नहीं होता था। आर्य जी के समय में जो जीवन में रूटीन बनी उन्ही की प्रेरणा से आज भी वह कायम है।
विधानसभा में उठाया शराब पीकर आने का मामला
हिरानंद आर्य कट्टर आर्य समाजी थे। शराब व हर प्रकार के नशे के वे बेहद खिलाफ थे। एक बार विधानसभा में भी उन्होंने एक विधायक की ओर उंगली करते हुए पूछ लिया था कि क्या डिप्टी सपीकर सर कोई मेंबर हाऊस में शराब पीकर आ सकता है। इस प्रश्न के बाद पूरे सदन में सन्नाटा छा गया था। इतना ही नहीं इस किताब में बहुत सारी ऐसी बातें हैं जिनको पढ़ने के बाद आज के नेआतों और पुराने नेताओं के बीच का फासला महसूस होगा।
बेटे संदीप बोले: पिता जी बेमिसाल थे
सेनो में विंग कमांडर रहे स्व. हिरानंद आर्य के बेटे संदीप पायलट का कहना है कि उनके पिता का जीवन बेहद सादगी व ईमानदारी से ओतप्रोत था। बचपन से ही वे पढ़ाई को लेकर गंभीर थे। यही कारण रहा कि उन्हे एनडीए में स्थान मिला। जब वे सेना में गए तो पिता ने कहा था कि देश की सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं है और इस धर्म को तुम पूरी निष्ठा से निभाना। उनकी ये बातें आज भी कानों में गुंजती थी। वे मंत्री रहे या विधायक इसका प्रभाव हम बहन भाइयों के जीवन पर कभी नहीं पड़ा। इस पुस्तक से लोग जान पाएंगे कि उनके पिता ने कैसा जीवन व्यतीत किया। खासकर युवाओं को इससे बहुत प्रेरणा मिलेगी।
पूर्व मंत्रियों, विधायकों व समाज सेवियों ने बताए अपने अनुभव
पुस्तक की खास बात यह है कि इसमें स्व. हिरानंद आर्य के जीवन के बारे में बारीकी से बताया गया है। लेखक मनीराम का कहना है उनका प्रयास है कि आर्य जी के जीवन के मुल्यों को आमजन तक पहुंचाया जाए। युवा जान सकें कि ईमानदारी क्या होती है। इसमें उन लोगों को कोट किया गया है जो आर्य जी के बेहद करीब रहे। इसमें अधिकारियों से लेकर नेताओं और समाज सेवियों ने अपने संस्मरण बताएं हैं। विधानसभा में आर्य जी ने जिस तरह से प्रश्न किए और अपना पक्ष रखा। मुख्यमंत्री तक से भिड़ने से वे कतई नहीं हिचकते थे।  यही सब बाते इस  एक सहज व्यक्तित्व   में बताई गई हैं।
11 अगस्त को होगा पुस्तक का विमोचन
एक सहज व्यक्तित्व पुस्तक का विमोचन 11 अगस्त को भिवानी की जाट धर्मशाला में होगा। जिसमें मुख्य अतिथि आर्य समाज के तेज तरार वक्ता व आर्य प्रतिनिधि सभा राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी आर्य वेश होंगे।