भिवानी : श्रीमहंत डा. अशोक गिरी जी महाराज के सानिध्य में मनाया गुरु पूर्णिमा महोत्सव

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Shri Sadguru Siddha Baba Shankar Giri Ji Maharaj
Shri Sadguru Siddha Baba Shankar Giri Ji Maharaj

पंकज सोनी, भिवानी :

सिद्ध पीठ बाबा जहरगिरी आश्रम में आश्रम पीठाधीश्वर श्रीमहंत डा. अशोक गिरी जी महाराज के सानिध्य में गुरु पूर्णिमा महोत्सव एवं सदगुरुदेवों अभिषेक, पूजन अर्चन किया गया। सर्वप्रथम श्रीमहंतजी ने अपने गुरु देव श्री सद्गुरू सिद्ध बाबा शंकर गिरी जी महाराज एवं मंदिर के अधिष्ठात्री प्रधान देव श्रीश्री 1008 परमहंस बाबा जहगिरी गिरी जी महाराज का पूजन, अभिषेक किया गया। सर्वप्रथम सद्गुरुओं का गंगाजल, दूध, दही, घी, मधु, शर्करा, (पंचामृत) सहित केसर, सुगंधित द्रव्य, गंध, चन्दन, हरिद्रा, कर्पूर, सर्वोषधि, गोमय, गोअर्क, पंचगव्य, युक्त जलों सहित द्वादश ज्योतिर्लिंग के जल तथा कैलाश मानसरोवर के जल से अभिषेक किया। वैदिक मंत्रों द्वारा षोडशोपचार विधि से पूजन करने के पश्चात सिद्ध बाबा शंकर गिरी जी महाराज के समाधि पीठ पर प्रतिष्ठित अतिदुर्लभ, श्रीपारदेश्वर महादेव का रुद्राभिषेक कर शिव सहस्त्रनाम से सहस्त्रार्चन किया।

गुरु पूर्णिमा की महिमा बताते हुए श्रीमहंत जी ने बताया कि भारतीय संस्कृति में गुरु देवता को तुल्य माना गया है। गुरु को हमेशा से ही ब्रह्मा, विष्णु और महेश के समान पूज्य माना गया है। वेद, उपनिषद और पुराणों का प्रणयन करने वाले वेद व्यास जी को समस्त मानव जाति का गुरु माना जाता है। महर्षि वेदव्यास का जन्म आषाढ़ पूर्णिमा को हुआ उनके सम्मान में ही हर वर्ष आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा मनाया जाता है। कहा जाता है कि इसी दिन व्यास जी ने शिष्यों एवं मुनियों को सर्वप्रथम श्री भागवतपुराण का ज्ञान दिया था। अत: यह शुभ दिन व्यास पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इसी दिन वेदव्यास के अनेक शिष्यों में से पांच शिष्यों ने गुरु पुष्पमंडप में उच्चासन पर गुरु यानी व्यास जी को बिठाकर पुष्प अर्पित कर आरती की तथा अपने ग्रन्थ अर्पित किए इसी कारण हर वर्ष लोग इसी दिन को वेदव्यास जी के चित्र का पूजन कर और उनके द्वारा रचित ग्रंथों का अध्ययन करते हैं और मठों आश्रमों ,मंदिरों में लोग ब्रह्मलीन संतों की मूर्ति या समाधि की पूजा करते हैं वर्ष की अन्य सभी पूर्णिमाओं में इस पूर्णिमा का महत्व सबसे ज्यादा है। इस पुर्णिमा को इतना श्रेष्ठता प्राप्त है कि इस मात्र एक पुर्णिमा का पालन करने से वर्ष भर की पुर्णिमा का फल प्राप्त होते हैं । गुरु पूर्णिमा एक ऐसा पर्व है जिसमें हम अपने गुरुजनों, महापुरुषों, माता, पिता और श्रेष्ठ जनों के लिए कृतज्ञता और आभार व्यक्त करते है।