पंकज सोनी, भिवानी :
ग्वार फसल में फलियों के स्थान पर गांठे बनने की समस्या पिछले कई वर्षों से किसानों को परेशान कर रही है, परन्तु अब इसका हल खोज लिया गया है। गांठे गाल मिज नामक कीटों के द्वारा फूलों के अंदर अंदर अंडे दिए जाने के कारण बनती है, जिससे पछेती फलियों में बहुत नुक्सान होता है। इस कीट की समस्या लगभग 20 अगस्त के आस-पास शुरू होती है तथा फसल पकने तक चलती रहती है, परन्तु प्रति एकड़ 150 लीटर पानी में 150 मि.ली. रोगार तथा 100 मि.ली. कान्फीडोर मिलाकर स्प्रे करने से गांठे बनना रूक जाती है। ये बात चौ. चरणसिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार से सेवानिवृत्त कीट विज्ञान विभाग के पूर्व अध्यक्ष डा. आरके सैनी ने कही। वे खंड लोहारू के गांव फरटिया केहर में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा हिंदुस्तान गम एंड कैमिकल्स भिवानी द्वारा आयोजित ग्वार फसल स्वास्थ्य शिविर में किसानों को संबोधित कर रहे थे। डॉ. सैनी ने ग्वार व नरमा कपास को हानि पहुंचाने वाले विभिन्न कीटों व बीमारियों तथा इनकी रोकथाम के बारे में किसानों को वैज्ञानिक जानकारी दी। उन्होंने किसानों द्वारा कृषि संबंधी पूछे गए प्रश्रों के उत्तर भी दिए। शिविर में फेस मास्क, साहित्य तथा झुलसा रोग की रोकथाम के लिए स्ट्रैप्टोसायक्लिन के सैंपल भी किसानों में वितरित किए गए। इस अवसर पर नंबरदार रामप्रसाद सहित दलबीर सिंह, विजय कुमार, इंद्र सिंह, राजेंद्र, सुमेर, जयभगवान, दलिप, धर्मबीर, वेदप्रकाश, दिलबाग, संतलाल, विकास, सोमबीर व अन्य 40 से अधिक किसान उपस्थित रहे।
ग्वार फसल में फलियों के स्थान पर गांठे बनने की समस्या पिछले कई वर्षों से किसानों को परेशान कर रही है, परन्तु अब इसका हल खोज लिया गया है। गांठे गाल मिज नामक कीटों के द्वारा फूलों के अंदर अंदर अंडे दिए जाने के कारण बनती है, जिससे पछेती फलियों में बहुत नुक्सान होता है। इस कीट की समस्या लगभग 20 अगस्त के आस-पास शुरू होती है तथा फसल पकने तक चलती रहती है, परन्तु प्रति एकड़ 150 लीटर पानी में 150 मि.ली. रोगार तथा 100 मि.ली. कान्फीडोर मिलाकर स्प्रे करने से गांठे बनना रूक जाती है। ये बात चौ. चरणसिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार से सेवानिवृत्त कीट विज्ञान विभाग के पूर्व अध्यक्ष डा. आरके सैनी ने कही। वे खंड लोहारू के गांव फरटिया केहर में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा हिंदुस्तान गम एंड कैमिकल्स भिवानी द्वारा आयोजित ग्वार फसल स्वास्थ्य शिविर में किसानों को संबोधित कर रहे थे। डॉ. सैनी ने ग्वार व नरमा कपास को हानि पहुंचाने वाले विभिन्न कीटों व बीमारियों तथा इनकी रोकथाम के बारे में किसानों को वैज्ञानिक जानकारी दी। उन्होंने किसानों द्वारा कृषि संबंधी पूछे गए प्रश्रों के उत्तर भी दिए। शिविर में फेस मास्क, साहित्य तथा झुलसा रोग की रोकथाम के लिए स्ट्रैप्टोसायक्लिन के सैंपल भी किसानों में वितरित किए गए। इस अवसर पर नंबरदार रामप्रसाद सहित दलबीर सिंह, विजय कुमार, इंद्र सिंह, राजेंद्र, सुमेर, जयभगवान, दलिप, धर्मबीर, वेदप्रकाश, दिलबाग, संतलाल, विकास, सोमबीर व अन्य 40 से अधिक किसान उपस्थित रहे।