Bharatiya Kisan Union Chaduni Group : प्रदेश भर में भारतीय किसान यूनियन चढूनी ग्रुप ने 2 घण्टो के लिए किया रोड जाम,खनौरी बॉर्डर पर युवा किसान की मौत से गुस्साए किसान

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प्रदेश भर में भारतीय किसान यूनियन चढूनी ग्रुप ने 2 घण्टो के लिए किया रोड जाम,खनौरी बॉर्डर पर युवा किसान की मौत से गुस्साए किसान
प्रदेश भर में भारतीय किसान यूनियन चढूनी ग्रुप ने 2 घण्टो के लिए किया रोड जाम,खनौरी बॉर्डर पर युवा किसान की मौत से गुस्साए किसान

Aaj Samaj (आज समाज),Bharatiya Kisan Union Chaduni Group,करनाल, 21 फरवरी ,इशिका ठाकुर: किसान आंदोलन के दौरान हुई युवक की मौत से भड़के किसानों ने लगाया जाम, सरकार के खिलाफ की नारेबाजी । चढूनी ग्रुप ने करनाल कैथल और इंद्री यमुनानगर रोड पर जाम लगाया कर जताया विरोध । बीते दिनों भारतीय किसान यूनियन चढूनी के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने किसान आंदोलन के दौरान खनोरी बॉर्डर पर किसान युवा की मौत के बाद वीरवार को प्रदेशभर के सभी जिलों में 2 घंटे तक रोड जाम करने का आह्वान किया था।

इसी कड़ी में करनाल जिले के निसिंग कस्बे में में किसानों ने बुधवार को खनौरी बॉर्डर पर हुई तनाव में युवा किसान की मौत के विरोध में 2 घंटे के लिए हरियाणा की सड़कों को जाम कर दिया । जहां एक और किसानों ने करनाल में कैथल निसिंग रोड जाम किया तो वही इंद्री यमुनानगर रोड पर बैठकर किसानों ने धरना दे दिया और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की । किसानों का कहना है कि सरकार किसानों के साथ ठीक नही कर रही है। किसान एमएसपी की मांग कर रहा है और बदले में किसानों को गोलियां मिल रही है।

किसानों का कहना है कि सरकार किसानों के साथ ठीक नही कर रही है किसान एमएसपी की मांग कर रहा था और बदले में किसानों को गोलियां मिल रही है। किसानो पर गोलियां चलाई जा रही हैं आंसू गैस के गोले छोड़े जा रहे है। जिसको लेकर किसानों में रोष है कल किसान साथी की मौत से सभी मे गहरा रोष है। हमारी मांग एमएसपी है और ये हमे गोलियां मार रहे है जिसको लेकर हमने आज 2 घण्टे का रोड जाम किया है । अगर सरकार अभी भी नही समझी तो सरकार को समझाना हमे अच्छी तरह से आता है । वहीं चढूनी ग्रुप के द्वारा कल मीटिंग करके किसान आंदोलन को लेकर कोई बड़ा निर्णय लिया जाएगा।

वहीं सयुंक्त किसान मोर्चा के द्वारा वीरवार को चंडीगढ़ में एक आपात मीटिंग की गई है जिसमें आंदोलन को लेकर रणनीति बनाई जाएगी। किसानों की मांग है कि उनका 23 फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य दिया जाए और उनकी अन्य सभी मांगों को पूरा किया जाए। सरकार के साथ किसानों की चार बार वार्ता हो चुकी है लेकिन कोई भी निष्कर्ष नहीं निकला । देखने वाली बात यह होगी कि सरकार किसानों की बात मानती है या फिर किसान दिल्ली जाते हैं।

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