Aaj Samaj (आज समाज), Bharat Ratna, नई दिल्ली: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज चार शख्सियतों को मरणोपरांत देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न से सम्मानित किया। इस मौके पर राष्ट्रपति भवन में कार्यक्रम आयोजित किया गया था। जिन चार शख्सियतों को भारत रत्न दिया गया है उनमें पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह, पूर्व प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पुरी ठाकुर और कृषि वैज्ञानिक डॉ एमएस स्वामीनाथन शामिल हैं।
आडवाणी को 31 मार्च को घर जाकर सम्मानित करेंगी राष्ट्रपति
नरसिम्हा राव के बेटे पीवी प्रभाकर राव, चौधरी चरण सिंह के पोते जयंत चौधरी, कर्पुरी ठाकुर के बेटे रामनाथ ठाकुर और एमएस स्वामीनाथन की बेटी नित्या राव सम्मान लेने राष्ट्रपति भवन पहुंची थी। बीजेपी के वरिष्ठ नेता व पूर्व प्रधामनंत्री लालकृष्ण आडवाणी तबीयत खराब होने के कारण कार्यक्रम में नहीं आ सके, इसलिए राष्ट्रपति मुर्मू 31 मार्च को उनके घर जाकर उन्हें भारत रत्न से सम्मानित करेंगी। इस मौके पर आडवाणी के घर प्रधामनंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री शाह और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी मौजूद रहेंगे।
सम्मान हासिल करने वालों की संख्या 53
2014 में सत्ता संभालने के बाद से मोदी के कार्यकाल में मदन मोहन मालवीय, अटल बिहारी वाजपेयी, प्रणब मुखर्जी, भूपेन हजारिका और नानाजी देशमुख को भारत रत्न मिल चुका है। केंद्र सरकार ने इस साल उक्त 5 हस्तियों को भारत रत्न सम्मान देने का ऐलान किया था। इन्हें मिलाकर यह सम्मान हासिल करने वालों की संख्या 53 हो गई है।
डॉ एमएस स्वामीनाथन हरित क्रांति के जनक
पीएम मोदी ने 9 फरवरी को डॉ एमएस स्वामीनाथन, पीवी नरसिम्हा राव और चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न (मरणोपरांत) देने का ऐलान किया था। स्वामीनाथन एक कृषि वैज्ञानिक थे। उन्हें भारत में ‘हरित क्रांति’ का जनक कहा जाता है। पीएम मोदी ने 9 फरवरी को कहा था कि डॉ. स्वामीनाथन के दूरदर्शी नेतृत्व ने न केवल भारतीय कृषि को बदल दिया है, बल्कि देश की खाद्य सुरक्षा और समृद्धि भी सुनिश्चित की है। वह ऐसे व्यक्ति थे जिन्हें मैं करीब से जानता था और मैं हमेशा उनकी अंतर्दृष्टि और इनपुट को महत्व देता था।
1954 में हुई थी भारत रत्न देने की शुरुआत
भारत रत्न देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। यह राष्ट्रीय सेवा जैसे कला, साहित्य, विज्ञान, सार्वजनिक सेवा और खेल के लिए दिया जाता है। भारत रत्न देने की शुरुआत 2 जनवरी, 1954 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने की थी। पहले ये सम्मान केवल जीवित रहते दिया जाता था, लेकिन 1955 में मरणोपरांत भी भारत रत्न दिए जाने लगा। देश के प्रधानमंत्री भारत रत्न के लिए किसी व्यक्ति के नाम की सिफारिश राष्ट्रपति को करते हैं।
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