समागम की समाप्ति पर हवन पूजन कर लगाया भंडारा

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Bhandara performed by performing havan-worship

नीरज कौशिक, महेंद्रगढ़ :

स्वामी रामदेव निवास गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर वितराज, परमहंस, योगिराज स्वामी दयानंद गिरी जी महाराज के परम् शिष्य स्वामी स्वरुपानंद के सानिध्य में हवन यज्ञ आयोजन कर श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरण किया गया।

सद्विचार होने के कारण मन मे स्थित विकार, वासनाएं नहीं रहती

आयोजित यज्ञ में विद्धान सत्यनारायण शास्त्री ने मंत्रों के स्वर उच्चारण से यज्ञ में श्रद्धालुओं से पूर्णहुति डलवा कर ईश्वन्दना से विधिवत समापत किया गया। इस अवसर पर स्वामी स्वरूपानंद महाराज ने भारी संख्या में उपस्थित महिला-पुरूष श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए अपने आशीष वचनों के उद्बोधन में कहा कि साधक भक्त को किस प्रकार रहना चाहिए । उसका स्वरूप कैसा होना चाहिए, इस जिज्ञासा का उत्तर देते हुए स्वामी जी ने समझाया कि उसका सवरूप त्यागमय होना चाहिए । उसके सद्विचार होने के कारण मन मे स्थित विकार, वासनाएं नहीं रहती। वह ईश्वर के शरणागत रहकर उनका आश्रय लेकर रहता है और प्रभु से प्रेम करता है । भगवान की भक्ति में उनके आनंद में विभोर रहकर वह अंतर्मुख रहता है। उसकी बाहर संसार की भटकन बन्द हो जाती है। वह अपने भगवत्प्राप्ति के उद्देश्य को समुख रखकर आध्यात्मिक जीवन व्यतीत करता है और कमल के फूल की तरह जग से निराला होकर रहता है और अपना मनुष्य जन्म सफल कर लेता है। उन्होंने कहा कि जब शिष्य, भक्त के मन मे सद्गुरु देव के प्रति अटूट श्रद्धा, विश्वास और निष्ठा जागृत हो जाती है । तब उस पर सदगुरुदेव भगवान की कृपा बरसने लगती है अंत में उसे ईश्वर की प्राप्ति हो जाती है।

मौके पर यह रहे मौजूद

धार्मिक भक्त समाज महेंद्रगढ़ द्वारा आयोजित इस समागम की समाप्ति पर शुक्रवार को हवन, पूजन एवं विशाल भंडारे का आयोजन किया गया जिसमें बड़ी संख्या में भक्तों ने सम्मिलित होकर सदगुरुदेव का आशीर्वाद प्राप्त किया और भंडारे का प्रसाद ग्रहण किया। इस कार्यक्रम में पूर्व प्रधान अक्खिराम सैनी, डॉ. शिवचरण गुप्ता, नरेंद्र गोयल, हिमांशु गोयल, पुलकित गोयल, सौरभ गोयल, भूपेंद्र गोयल, शंकरलाल गोयल, महेंद्र गोयल, प्रीति, पुष्पा, पूनम यादव, कविता, सुनीता, सरला, कृष्णा, शीतल तथा अन्य श्रद्धालु भक्तों का पूर्ण सहयोग रहा।