52 शक्तिपीठों में से एक भद्रकाली शक्तिपीठ Bhadrakali Shaktipeeth

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Bhadrakali Shaktipeeth
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आज समाज डिजिटल, अम्बाला
Bhadrakali Shaktipeeth: हरियाणा राज्य के कुरुक्षेत्र में स्थित मां काली के 52 शक्तिपीठों में से एक है जिसे देवीकूप भद्रकाली शक्तिपीठ के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर के बारे में ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का संबंध भगवान कृष्ण से भी है।

साथ ऐसा भी कहा जाता है कि महाभारत के युद्ध में इस मंदिर की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका थी। ये मंदिर भारत के उन प्राचीन मंदिरों में से एक है जिससे जुड़ी कथाओं के चर्चें आज भी होते हैं। हरियाणा राज्य के कुरुक्षेत्र में स्थित है और माता के 52 शक्तिपीठों में से एक है जिसे देवीकूप भद्रकाली शक्तिपीठ के नाम से जाना जाता है।

Bhadrakali Shaktipeeth
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देवीकूप भद्रकाली शक्तिपीठ कथा Bhadrakali Shaktipeeth

देवीकूप भद्रकाली शक्तिपीठ के पीछे की कहानी ये है कि जब माता सती ने अपने पिता के अपशब्दों से आहत होकर आत्मदाह किया तो भगवान शिव उनके वियोग को सह नहीं सके और उनका शरीर लेकर ब्रम्हांड में घूमने लगे तब भगवान विष्णु ने अपने चक्र सुदर्शन से उस शरीर को 52 खण्डों में विभाजित कर दिया था और सभी 52 खंड पृथ्वी पर अलग-अलग स्थान पर जाकर गिरे जिससे उन स्थानों पर शक्तिपीठ का निर्माण हुआ।

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देवी सती का दायां पैर गिरा था Bhadrakali Shaktipeeth

देवीकूप भद्रकाली शक्तिपीठ स्थान पर माता सती के दाहिने पैर के घुटने के नीचे का भाग गिरा था और इसी कारण से इस मंदिर का पौराणिक महत्व है। साल की दोनों नवरात्रि धूम धाम से मनाई जाती है।

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अर्जुन ने की थी पूजा Bhadrakali Shaktipeeth

महाभारत युद्ध के पूर्व भगवान कृष्ण ने अर्जुन से युद्ध में विजय की कामना से यहीं पर माता भद्रकाली की पूजा करने को कहा था। तब अर्जुन ने अपनी आराधना के समय युद्ध में विजय हासिल करने के बाद माता को घोड़ा चढ़ाने का प्रण लिया था।

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मां लक्ष्मी की होती है पूजा Bhadrakali Shaktipeeth

अर्जुन ने कहा कि आपकी कृपा से मेरी विजय हो और युद्ध के उपरांत मैं यहां पर घोड़े चढ़ाने आऊंगा। शक्तिपीठ की सेवा के लिए श्रेष्ठ घोड़े अर्पित करूंगा। श्रीकृष्ण व पांडवों ने युद्ध जीतने पर ऐसा किया था तभी से मन्नत पूर्ण होने पर श्रद्धालु भी ऐसा करते हैं।

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भगवान कृष्ण का हुआ था मुंडन Bhadrakali Shaktipeeth

ऐसा माना जाता है कि इस शक्तिपीठ के प्रसिद्ध होने का एक वजह यह भी है कि यहां भगवान कृष्ण का मुंडन हुआ था। इसी कारण से लोग अपने बच्चे का मुंडन कराने के लिए इस मंदिर में आते हैं।

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