कुछ लोग मामूली स्वास्थ्य समस्या को भी किसी गंभीर बीमारी का संकेत समझकर भयभीत हो जाते हैं। कहीं यह किसी मनोरोग का लक्षण तो नहीं है? इसके बारे में जानने के लिए एक्सपर्ट से बात की आइए जानते हैं उनका क्या कहना है इस बारे में। छोटी-मोटी बीमारी को लेकर दिन-रात परेशान रहना हाइपोकॉन्ड्रियासिस नामक मनोवैज्ञानिक समस्या का लक्षण हो सकता है। कोविड- 19 के बाद जहां लोगों में सेहत के प्रति जागरूकता बढ़ी है, वहीं कुछ लोग स्वास्थ्य के प्रति अनावश्यक रूप से चिंतित रहने लगे हैं। जरा सी छींक, खांसी आई नहीं कि वो बेचैन हो उठते हैं। डॉक्टर उन्हें ठीक बता दें तो भी उनके दिमाग में वहम बना रहता है। जो ठीक नहीं और आजकल लोगों को यह मनोवैज्ञानिक समस्या परेशान करने लगी है।
प्रमुख लक्षण
– हमेशा हेल्थ संबंधी वेवसाइट्स पर बीमारियों के बारे में सर्च करना।
– बेवजह बार-बार डॉक्टर के पास जाना
– इंफेक्शन या एलर्जी के डर से अनावश्यक रूप से अति सशंकित होना।
क्या है वजह
– अति संरक्षण भरे माहौल में परवरिश
– बचपन में किसी गंभीर बीमारी का अनुभव या किसी बीमारी से करीबी व्यक्ति की आकस्मिक मृत्यु के कारण व्यक्ति में इसके लक्षण पैदा हो सकते हैं।
जीवन पर प्रभाव
– यह मनोरोग कई स्तरों पर व्यक्ति के जीवन को प्रभावित करता है।
– बीमारी की अनावश्यक चिंता के कारण भूख-प्यास और नींद में कमी आती है।
– इसके अलावा रिश्तों में तनाव और डिप्रेशन जैसी समस्या भी हो सकती है।
– मूड चिड़चिड़ा रहता है।
कैसे करें बचाव
– मरीज को यह एहसास न होने दें कि वह मानसिक रूप से बीमार है।
– परिवार का माहौल पॉजिटिव और खुशनुमा बनाए रखें।
– मरीज को बिजी रखने के कोशिश करें। उनकी पसंद की चीज़े करने के लिए उन्हें प्रेरित करें।
– मरीज की बातों पर ओवर रिएक्ट करने से बचें। इससे वो और ज्यादा परेशान हो सकते हैं।
– अगर किसी व्यक्ति में लगातार छह महीने तक ऐसे लक्षण नजर आएं तो परिवार के सदस्यों की यह जिम्मेदारी बनती है कि वे पीड़ित व्यक्ति को क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट के पास ले जाएं। काउंसलिंग के जरिए इसका समाधान संभव है।