Aaj Samaj (आज समाज), Beant Singh Murder Case, नई दिल्ली: पंजाब के मुख्यमंत्री रहे बेअंत सिंह हत्याकांड में फांसी की सजा पाए बलवंत सिंह राजोआना को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है। राजोआना ने याचिका में मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदलने की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई के दौरान आज मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदलने से इनकार कर दिया। हालांकि, कोर्ट ने राजोआना की दया याचिका पर सक्षम प्राधिकारियों को जरूरत के हिसाब से फैसला लेने का निर्देश दिया।
31 अगस्त 1995 को की गई थी हत्या
बेअंत सिंह की 31 अगस्त 1995 को उस समय हत्या कर दी गई थी जब वह सचिवालय के बाहर अपनी कार में बैठने वाले थे। राजोआना ने 26 साल की लंबी कैद के आधार पर अपनी मौत की सजा को उम्रकैद में बदलने की मांग की थी। उसने कहा है कि वह 27 साल से जेल में है और यह उसके मौलिक अधिकारों का भी उल्लंघन है।
राजोआना ने याचिका में सुप्रीम कोर्ट से यह भी कहा है कि अगर उसकी दया याचिका पर फैसला नहीं होता है, तो विकल्प के रूप में तब तक उसे पैरोल पर छोड़ा जा सकता है। शीर्ष कोर्ट ने पिछले साल दो मई को केंद्र से राजोआना की ओर से दायर कम्युटेशन याचिका पर दो माह में फैसला करने को कहा था। हालांकि, केंद्र की तरफ से फैसला न होने पर पिछले साल 28 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने मामले को अपने हाथ में ले लिया था।
बेअंत सहित 18 लोगों की हत्या का मुख्य दोषी
शीर्ष अदालत ने राजोआना की ओर से शीर्ष अधिवक्ता मुकुल रोहतगी तथा अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल के एम नटराज की दलीलें सुनने के बाद दो मार्च को दोषी की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। एक विशेष अदालत ने राजोआना को जुलाई 2007 में मौत की सजा सुनाई थी। दरअसल राजोआना को पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह सहित कुल 18 लोगों की हत्या का मुख्य दोषी करार देते हुए सजा-ए-मौत सुनाई गई है।
अलगाववादी ताकतों पर काबू करने के लिए जाने जाते थे बेअंत
बेअंत सिंह को पंजाब में अलगाववादी ताकतों पर काबू करने के लिए जाना जाता था। 31 अगस्त 1995 को सचिवालय के बाहर एक खालिस्तानी मानव बम बनकर पहुंचा और खुद को उड़ा लिया। बेअंत की हत्या के साथ 16 और लोग भी मारे गए थे। राजोआना को 1995 में ही बेअंत सिंह की हत्या के लिए अदालत ने दोषी ठहरा दिया था।
राजोआना को पुलिस ने 1995 में गिरफ्तार किया था। 31 जुलाई 2007 को सीबीआई की अदालत ने मास्टरमाइंड जगतारा सिंह और राजोआना को सजा-ए-मौत की सजा सुनाई जबकि तीन दोषियों गुरमीत, लखविंदर और शमशेर को उम्रकैद मिली। एक दोषी नसीब सिंह को 10 साल की जेल मिली लेकिन हवारा और राजोआना की फांसी की सजा के खिलाफ कई सिख संगठनों ने देश व विदेश में विरोध करते हुए इसके खिलाफ मांग उठाई। जिसपर इन दोनों की मौत की सजा टलती गई।
राजोआना ने यह बताया था हत्या का कारण
राजोआना ने 1996 में कोर्ट में कहा था कि जज साहब, बेअंत सिंह खुद को मसीहा समझने लगा था और हजारों मासूमों की जान लेकर खुद को गुरु गोबिंद सिंह और राम जी की तरह मानने लगा था, इसलिए मैंने उसे खत्म करने का फैसला लिया। राजोआना ने आगे कहा था कि सिख दंगों में युवा सिखों की हत्या का बदला लेने के लिए उसने ऐसा किया।
लुधियाना जिले के गांव राजोआना में जन्म, पुलिस कांस्टेबल रहा
आपको बता दें कि बलवंत सिंह राजोआना पंजाब के लुधियाना जिले के गांव राजोआना में साधारण परिवार से था। वह बतौर कॉन्सटेबल 1987 में पंजाब पुलिस में भर्ती हुआ था। बेअंत सिंह हत्याकांड से पहले तक वह बलवंत सिंह नाम के साथ जाना जाता था लेकिन जैसे ही उसका नाम बेअंत सिंह हत्याकांड में आया तो वह देश-विदेश में बलवंत सिंह राजोआना के नाम से जाना जाने लगा। बेअंत सिंह हत्याकांड के लिए बलवंत सिंह राजोआना ने पंजाब पुलिस के एक अन्य कर्मचारी दिलावर सिंह ने मानव बम बनाने में अहम भूमिका निभाई थी। कहा जाता है कि यदि दिलावर उस दिन बेअंत सिंह की हत्या करने से चूक जाता तो फिर यह काम राजोआना को करना था।
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