आक्सीजन थैरेपी के लिए साफ और जीवाणु रहित जल का ही इस्तेमाल करें। एंटीबायोटिक और एंटीफंगल दवाओं का सोच समझ कर इस्तेमाल करे। जिले में कोविड के केस लगातार घट रहे हैं, परंतु ब्लैक फंगस को लेकर लोगों में डर का माहौल बना है। उन्होंने कहा कि डरने की जरूरत नहीं बल्कि सजगता से कार्य करने की जरूरत है। आमजन इस बीमारी को लेकर पूरी तरह से सजग रहे। आशंका होने पर अस्पतालों में जाकर टैस्ट करवाएं। प्रशासन का सहयोग करते हुए यदि कहीं भी इस बीमारी के मरीज की सूचना मिले तो स्वास्थ्य विभाग व जिला प्रशासन को सूचना दें।
करनाल (प्रवीण वालिया) सिविल सर्जन डा. योगेश शर्मा ने कहा कि सरकार द्वारा ब्लैक फंगस (म्यूकोरमाईकोसिस) को एक अधिसूचित बीमारी घोषित किया गया है। इस बीमारी पर नियंत्रण के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे है। ब्लैक फंगस के लक्षणों में आंख और कान के आसपास दर्द या लालिमा, सिरदर्द, सांस लेने में परेशानी, मानसिक भ्रम, बुखार, खांसी एवं उल्टी में खून शामिल है। यह लक्षण दिखाई देते ही डॉक्टर से सम्पर्क करें। सिविल सर्जन ने बताया कि हालांकि जिले में कोरोना संक्रमण की रफ्तार कम पड़ गई है, लेकिन इस बीच अब ब्लैक फंगस बीमारी के मामले भी सामने आ रहे है, जोकि बेहद चिंता का विषय है। प्रदेश सरकार ने ब्लैक फंगस को अधिसूचित किया है।
इस बीमारी के इलाज के लिए कोविड केयर सैंटर की तर्ज पर ब्लैग फंगस मरीजों के लिए अलग से सैंटर बनाए गए हैं, ताकि बीमारी की गंभीर स्थिति में मरीजों को तुरंत स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध हो सके। कोरोना महामारी पर अंकुश की दिशा में हम निरंतर आगे बढ़ रहे है। संक्रमण से बचाव व इसकी रोकथाम में समाजसेवियों, सामाजिक संस्थाओं व जिलावासियों का सक्रिय सहयोग मिल रहा है। उन्होंने कहा कि ब्लैक फंगस की बीमारी से बचाव के लिए धूल भरे निर्माण स्थलों पर जाते समय मास्क का प्रयोग करें, मिट्टी, काई या खाद इत्यादी का कार्य करते समय जूते, लम्बी पतलून, लम्बी बाजू की शर्ट एवं दस्ताने पहने, व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखें एवं प्रतिदिन अच्छे से स्नान करे, खून में ग्लूकोज की मात्रा को नियंत्रित रखें। उन्होंने कहा कि कोविड से ठीक होने के बाद मधूमेह के रोगी ब्लड ग्लूकोज का ध्यान रखें, स्टेरोयड का इस्तेमाल डॉक्टर की सलाह पर व सही समय, सही खुराक और सही अवधि के साथ ही करे।