Business News : मार्च के अंतिम सप्ताह में बैंक कर्मियों की हड़ताल बढ़ाएगी परेशानी

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Business News : मार्च के अंतिम सप्ताह में बैंक कर्मियों की हड़ताल बढ़ाएगी परेशानी
Business News : मार्च के अंतिम सप्ताह में बैंक कर्मियों की हड़ताल बढ़ाएगी परेशानी

यूएफबीयू ने की दो दिवसीय हड़ताल की घोषणा, आईबीए के साथ बातचीत के बाद लिया फैसला

Business News (आज समाज), बिजनेस डेस्क : किसी भी फाइनेशियल वर्ष का अंतिम माह मार्च होता है। इस माह में लोग अपने पूरे वर्ष के पेंडिंग कार्य निपटाने की कोशिश करते हैं। इसपर भी सबसे ज्यादा अहम मार्च का अंतिम सप्ताह होता है। लोगों के जो पेंडिंग कार्य होते हैं उनमें से ज्यादात्तर बैंकों से संबंधित होते हैं। लेकिन इस फाइनेंशल वर्ष का अंतिम सप्ताह लोगों की परेशानी बढ़ा सकता है।

इस कारण है बैंक कर्मियों की दो दिवसीय राष्टÑ व्यापी हड़ताल। दरसअल मांगों को लेकर यूनाइटेड फोरम आॅफ बैंक यूनियंस (यूएफबीयू) ने 24 व 25 मार्च को देश व्यापी हड़ताल की घोषणा कर दी है। इसका अभिप्राय यह हुआ कि 23 से लेकर 25 तक सभी बैंक बंद रहेंगे। जिसके कारण लोगों के बहुत सारे कार्य प्रभावित होने के आसार हैं।

इसलिए की हड़ताल पर जाने की घोषणा

यूनाइटेड फोरम आॅफ बैंक यूनियंस (यूएफबीयू) ने दो दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल की घोषणा की है। यह फैसला भारतीय बैंक संघ (आईबीए) के साथ हुई बातचीत में कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकलने के कारण लिया गया है। यूएफबीयू के सदस्य विभिन्न मुद्दों पर बातचीत करने के लिए आईबीए से मिले थे, जिसमें सभी कैडर में भर्ती और पांच दिवसीय कार्य सप्ताह जैसी मांगें शामिल थीं।

एनसीबीई के महासचिव ने दी जानकारी

नेशनल कन्फेडरेशन आॅफ बैंक एम्प्लाइज (एनसीबीई) के महासचिव एल चंद्रशेखर ने कहा कि इन प्रमुख मुद्दों पर कोई समाधान नहीं निकला है। यूएफबीयू, जो नौ बैंक कर्मचारी संघों का एक छत्र निकाय है, पहले ही इन मांगों को लेकर हड़ताल की घोषणा कर चुका था।

ये है यूएफबीयू की मुख्य मांगें

इसके अलावा, यूनियन ने वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) के हाल के निर्देश को वापस लेने की भी मांग की है। उनका कहना है कि इन निर्देश से कर्मचारियों की नौकरी की सुरक्षा पर खतरा है। साथ ही इसका प्रतिकूल असर कर्मचारियों पर पड़ेगा। यूएफबीयू ने डीएफएस द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के सूक्ष्म प्रबंधन का भी विरोध किया है, और कहा है कि इससे बैंक बोर्ड की स्वायत्तता कमजोर हो रही है। साथ ही अन्य मांगों में आईबीए के साथ शेष मुद्दों को हल करना, ग्रेच्युटी अधिनियम में संशोधन करना और सीमा बढ़ाकर 25 लाख रुपये करना शामिल है। इसके अलावा, आयकर से छूट की भी मांग की गई है।

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