पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने सुनाया अहम फैसला
Punjab-Haryana High Court (आज समाज) चंडीगढ़: यदि कोई उधारकर्ता समय पर बैंक की किश्तों का भुगतान नहीं करता है, तो बैंक को उस संपत्ति की सार्वजनिक नीलामी करने का पूरा अधिकार है। यह फैसला पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने सुनाया। खंडपीठ ने कहा कि जब एक बार संपत्ति को गिरवी रखने की अनुमति मिल जाती है, तो नीलामी के लिए अलग से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं होती।
यह फैसला एक याचिका पर सुनवाई के दौरान आया, सुनील कुमार व अन्य ने गुरुग्राम स्थित प्लॉट के लिए हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण से नो आॅब्जेक्शन सर्टिफिकेट और भूखंड के हस्तांतरण की मांग की थी। स्टेट बैंक आॅफ इंडिया ने इस संपत्ति को सार्वजनिक नीलामी के माध्यम से 2.28 करोड़ में बेचा था। सफल बोलीदाता को बिक्री प्रमाण पत्र जारी किया गया था। अक्टूबर 2021 में गुरुग्राम के जिलाधिकारी ने उन्हें संपत्ति का कब्जा भी सौंप दिया।
हरियाणा सरकार ने यह दी दलील
जब याचिकाकर्ताओं ने हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण से एनओसी और पुन: आवंटन पत्र मांगा, तो अधिकारियों ने यह कहकर इनकार कर दिया कि बैंक ने संपत्ति की नीलामी के लिए उनकी पूर्व अनुमति नहीं ली थी। हरियाणा सरकार की ओर से दलील दी गई कि बैंक को केवल गिरवी रखने की अनुमति दी गई थी, लेकिन बिक्री की अनुमति नहीं दी गई थी, इसलिए यह नीलामी अवैध है।
हाईकोर्ट ने सरकार के तर्क को किया खारिज
हाईकोर्ट ने सरकार के इस तर्क को खारिज करते हुए कहा कि जब किसी बैंक या वित्तीय संस्थान को किसी संपत्ति को गिरवी रखने की अनुमति दी जाती है, तो इसका अर्थ यह भी होता है कि यदि उधारकर्ता ऋण नहीं चुका पाता, तो बैंक को उस संपत्ति की नीलामी करने का भी पूरा अधिकार होता है।
एनओसी जारी करने के भी दिए निर्देश
कोर्ट ने कहा कि इस मामले में केवल यह तर्क देना कि नीलामी के लिए अलग से एनओसी नहीं ली गई, कोई ठोस आधार नहीं है। राज्य सरकार यह साबित नहीं कर पाई कि नीलामी में किसी भी तरह की गड़बड़ी या अनियमितता हुई थी। इस फैसले के बाद कोर्ट ने हरियाणा सरकार को निर्देश दिया कि वह याचिकाकर्ताओं को एनओसी जारी करे और भूखंड का उचित हस्तांतरण सुनिश्चित करे।
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