BNP General Secretary Mirza Fakhrul Islam Alamgir, (आज समाज), नई दिल्ली/ढाका: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को शरण देने के भारत के फैसले से पड़ोसी देश की मौजूदा मोहम्मद यूनुस सरकार नाखुश है और वह शेख हसीना के प्रत्यर्पण पर विचार कर रही है। इसी बीच बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की प्रमुख खालिदा जिया के सिपहसालार मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने मामले को लेकर भारत के खिलाफ जहर उगला है। उसने कहा है कि भारत ने शेख हसीना को शरण देकर ठीक नहीं किया है।
बता दें कि बीएनपी बांग्लादेश की मुख्य विपक्षी पार्टी है। बीएनपी ने ही भारत से शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग की है, ताकि उन पर बांग्लादेश में मुकदमा चलाया जा सके। गौरतलब है कि बांग्लादेश में जुलाई से जारी विरोध-प्रदर्शनों के अगस्त के पहले सप्ताह में हिंसक होने के बाद शेख हसीना को बतौर बांग्लादेश पीएम इस्तीफा देना पड़ा है और उसके बाद वह देश छोड़कर भारत आई गई थीं। अपुष्ट सूत्रों के अनुसार तब से शेख हसीना भारत मे ही हैं। इसी को लेकर बांग्लादेश आगबबूला हो रहा है।
शेख हसीना के खिलाफ बांग्लादेश में हत्या समेत कई मामले दर्ज हैं। मंगलवार तक उनके खिलाफ दर्ज मामलों की संख्या करीब 25 पहुंच चुकी है। 5 अगस्त को छात्रों के हिंसक विरोध प्रदर्शन बांग्लादेश में करीब 100 लोगों की मौत हो गई थी। उस बवाल के बाद ही शेख हसीना को अपनी कुर्सी छोड़नी पड़ी थी और 6 अगस्त को वह बांग्लादेश छोड़कर भारत भाग आई थीं।
एक रिपोर्ट के अनुसार बीएनपी महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने कहा, हमारी भारत से अपील है कि वह शेख हसीना को कानूनी तरीके से बांग्लादेश सरकार को सौंप दे। उन्होंने कहा है कि बांग्लादेश की जनता ने उनके मुकदमे का फैसला सुना दिया है और उन्हें उस मुकदमे का सामना करने दें।
आलमगीर का कहना है कि भारत का शेख हसीना को शरण देना लोकतांत्रिक सिद्धांतों को बरकरार रखने की प्रतिबद्धता के अनुरूप नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि शेख हसीना भारत में रहकर बांग्लादेश में हुई क्रांति को विफल करने के लिए साजिशें रच रही हैं। आलमगीर ने कहा, मुझे नहीं लगता कि भारत को बांग्लादेश के लोगों के दुश्मन (शेख हसीना) को पनाह देकर ज्यादा प्यार मिल सकता है, जिसे देश से भागना पड़ा था।
बता दें कि भारत और बांग्लादेश के बीच एक प्रत्यर्पण संधि है। 2013 में प्रत्यर्पण संधि पर समझौता हुआ था, जिसके तहत दोनों देशों को उन लोगों को एक-दूसरे के हवाले करना जरूरी है, जिनके खिलाफ किसी भी अपराध के लिए अदालतों में कार्रवाई शुरू की गई हो। इस संधि के तहत कुछ भगोड़ों को भारत लाया गया है तो कुछ को बांग्लादेश वापस भी भेजा गया है। 2016 में इस प्रत्यर्पण संधि में संशोधन किया गया था. इन अपराधों में वित्तीय अपराध भी शामिल हैं, जिनमें एक साल या उससे अधिक की सजा हो सकती है। बीएनपी का कहना है कि शेख हसीना के खिलाफ दर्ज हत्या और जबरन एक्सटॉर्शन के मामले प्रत्यर्पण वाले कैटेगरी में हैं।
सूत्रों का कहना है कि भारत बांग्लादेश की शेख हसीना की प्रत्यर्पण की मांग को ठुकरा भी सकता है। यह द्विपक्षीय संधि उन मामलों पर लागू नहीं होती है जो ‘राजनीतिक प्रकृति के होते हैं। हालांकि, यह सबकुछ अपराध की प्रकृति पर निर्भर करता है। यह छूट मर्डर जैसे गंभीर अपराधों के आरोपियों के लिए नहीं है। यदि बांग्लादेश शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग करता है तो भारत के पास ठुकराने को सॉलिड जवाब हैं।
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