1 जुलाई से सिंगल यूज प्लास्टिक वस्तुओं के प्रयोग पर प्रतिबन्ध

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Ban On Single Use Plastic

आज समाज डिजिटल,धर्मशाला:

पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की अधिसूचना के अन्तर्गत सिंगल यूज प्लास्टिक (एसयूपी) वस्तुओं के निर्माण, आयात, भंडारण, वितरण, बिक्री और उपयोग को प्रभावी रूप से 01 जुलाई, 2022 से प्रतिबंधित किया है। ये जानकारी उपायुक्त कांगड़ा डॉ.निपुण जिंदल ने दी। उन्होंने बताया कि प्लास्टिक कचरा प्रंबधन नियम 2016 (संशोधित) नियम (4) के अनुसार पालीस्टायरीन सहित निम्नलिखित एकल उपयोग प्लास्टिक (एसयूपी) का निर्माण, आयात, स्टाकिंग, वितरण, बिक्री और उपयोग प्रतिबंधित है।

रिसाइकिल प्लास्टिक से बने कैरी बैग की मोटाई 75 माइक्रोन से कम नहीं होनी चाहिए

Ban On Single Use Plastic

उनहोने बताया कि प्लास्टिक की छड़ियों के साथ कान की कलियां, गुब्बारों के लिए प्लास्टिक की छड़,े प्लास्टिक के झंड़े, आइसक्रीम की छड़े, सजावट के लिए पालीस्टायरीन (थर्माकोल) एवं प्लेट, कप, गिलास, कटलरी जैसे कांटे, चम्मच, काकू, स्ट्रा, ट्रे, मिठाई के बक्से, आमंत्रण कार्ड और सिगरेट के पैकेट, प्लास्टिक या पीवीसी बैनर 100 माइक्रोन से कम पर प्रतिबन्ध रहेगा। उन्होंने बताया कि प्लास्टिक कचरा प्रंबधन नियम 2016 (संशोधित) नियम 4 (1) के अनुसार वर्जिन या रिसाइकिल प्लास्टिक से बने कैरी बैग की मोटाई 75 माइक्रोन से कम नहीं होनी चाहिए, जोकि 30 सितम्बर, 2021 से प्रभावी रहेगी और ये मोटाई 31 दिसम्बर, 2022 से माइक्रोन के कम नहीं होनी चाहिए।

अधिसूचना का उल्लघंन करने वालों के विरूद्ध की जाएगी कार्यवाही 

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उपायुक्त ने बताया कि सभी उत्पादकों, स्टाकिस्टों, खुदरा विक्रेताओं, दुकानदारों, ई-कामर्स कम्पनियों, स्ट्रीट वेंडरों, वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों (माल-मार्केट, प्लेस-शापिंग सेंटर/सिनेमा हाउस/पर्यटन स्थल /स्कूल/कालेजों/कार्यालय परिसरों/अस्पतालों और अन्य संस्थानों) और आम जनता को उक्त पर्यावरण वन और जलवायु मंत्रालय की अधिसूचना से निर्दिष्ट समय सीमा के अनुसार पहचान की गई सिंगल यूज प्लास्टिक वस्तुओं के उत्पादन, स्टाकिंग, वितरण, बिक्री और उपयोग को रोकने के लिए है। इसके अतिरिक्त 30 जून, 2022 तक उपरोक्त सिंगल यूज प्लास्टिक मद की शून्य सूची सुनिश्चित करने के लिए सम्बन्धित संस्थानों द्वारा आवश्यक कार्यवाही की जानी है। उन्होंने बताया कि अधिसूचना का उल्लघंन करने वालों के विरूद्ध पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत उचित समझी जाने वाली कार्यवाही, जिसमें माल की जब्ती, पर्यावरण क्षतिपूर्ति की बसूली, उद्योगों/वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों के संचालन के बंद करने जैसी कार्यवाही की जाएगी।