सुखबीर सिंह बादल एक बार फिर से बने शिरोमणि अकाली दल के प्रधान

Punjab News Update (आज समाज), चंडीगढ़। पंजाब के पूर्व डिप्टी सीएम सुखबीर बादल को एक बार फिर से शिरोमणि अकाली दल का प्रधान चुन लिया गया है। इससे एक बार फिर से यह साबित हो गया है कि अभी भी शिअद में बादल परिवार का दबदबा कायम है। शिरोमणि अकाली दल के नेता भी यही चाहते हैं कि सुखबीर बादल की अध्यक्षता में वह प्रदेश के लोगों की लड़ाई लड़ें। एक बार फिर शिरोमणि अकाली दल के प्रधान चुन लिए गए हैं। किसी और नाम की अनुपस्थिति में सर्वसम्मति से सुखबीर के नाम पर मुहर लग गई। अकाली दल का दोबारा अध्यक्ष बनने पर सुखबीर बादल ने सभी से इकट्ठे होकर चलने का आह्वान किया।

शिअद को खत्म करने की रची गई साजिश

सुखबीर ने कहा कि एक राजनीतिक साजिश के तहत अकाली दल को खत्म करने की योजना लागू हो रही थी। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय पार्टियों का मजबूत होना समय की जरूरत है। सुखबीर ने कहा कि सभी को एकजुट होकर अकाली दल को खत्म करने वाली पार्टियों का विरोध करना होगा। वरिष्ठ नेता बिक्रम मजीठिया ने कहा कि कांग्रेस हमेशा अकाली दल को तोड़ने की साजिश करती रही है। मजीठिया ने कहा कि बागी भी अकाली विरोधी पार्टियों के हाथों में खेल रहे हैं। सुखबीर 2008 से लगातार शिअद के प्रधान थे। पिछले साल नवंबर में उन्होंने शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद से पार्टी में नए अध्यक्ष के नाम की चचार्एं तेज थीं।

प्रकाश सिंह बादल की मौत के बाद बदले नेताओं के सुर

पंजाब में शिअद के पतन भले ही बेअदबी की घटनाओं के बाद शुरू हो गया था लेकिन जब तक प्रकाश सिंह बादल जीवित रहे, पार्टी में विरोधी सुर मुखर नहीं हुए। उनके निधन के बाद से ही वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी प्रधान सुखबीर बादल पर निशाना साधना शुरू कर दिया। पार्टी प्रधान को बदलने की मांग उठने ली। कहा जाता है कि सुखबीर प्रधानगी छोड़ने को राजी नहीं हुए तो कई वरिष्ठ नेताओं ने शिअद का साथ छोड़ अलग पार्टी बना ली। प्रेम सिंह चंदूमाजरा, गुरप्रताप वडाला और बीबी जागीर कौर समेत कई नेताओं ने सुधार लहर को शिअद के बराबर खड़ा कर दिया।

बेअदबी के मामलों को लगातार उठाकर सुखबीर पर इस्तीफे के लिए दबाव डाला। शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल पर बागी अकालियों ने एक जुलाई को लिखित शिकायत देकर आरोप लगाए थे कि अकाली दल की सरकार के दौरान विभिन्न धार्मिक गलतियां की गई हैं। इसके लिए अकाली दल का नेतृत्व पूरी तरह जिम्मेदार है। सरकार में सुखबीर बादल डिप्टी सीएम थे। इसके बाद सुखबीर बादल 30 अगस्त को जत्थेदार रघबीर सिंह द्वारा तनखाहिया घोषित किए गए थे। इसके बाद सुखबीर को धार्मिक सजा दी गई थी। इसी सजा के दौरान चार दिसंबर को श्री हरमंदिर साहिब में सुखबीर बादल पर जानलेवा हमला हुआ।

ये भी पढ़ें : Punjab Breaking News : पंजाब में धान सीजन में मिलेगी पर्याप्त बिजली : सीएम