पंकज सोनी, भिवानी :
गांव पालुवास हरिपुर के बाबा धुणीवाला मंदिर में हर वर्ष की भांति बाबा धूणीवाले की याद में हवन व भंडारे का आयोजन किया गया। जिसमें गांव के
बाबा धूणीवाले सेवा समिति के सदस्यों व ग्रामीणों ने हवन में आहूति डाली और बाबा से गांव की भलाई, सुख समृद्धि के लिए मन्नत मांगी। हवन में बाबा धूणीवाले सेवा समिति के सदस्य एवं बैंक महाप्रबंधक नरेश तंवर, सरपंच प्रतिनिधि नरेश कुमार, महंत विश्वेश्वरानंद महाराज, अनिल तंवर, पूर्व सरपंच धोलू, भंवर सिंह, मोनू तंवर, हरि सिंह, रणबीर फौजी, जेई पवन कुमार,
अधिवक्ता रमन, रमेश मास्टर, प्रमोद, दिनेश फौजी आदि श्रद्धालुओं ने हवन में
आहुति डाली। नरेश तंवर ने बताया बाबा धूणी वाला सिद्ध महात्मा थे। लगभग 300 वर्ष पूर्व की बात है कि गांव में अकाल पड़ गया था और गांव के जोहड़ तालाब सब सुख गए थे, पशु पक्षी पानी के अभाव के कारण मरने लगे थे। तभी बाबा धूणी वाले ने तपस्या की। बाबा धूणीवाला तपस्या और आशीर्वाद से गांव के तालाब व जोहड़ पानी से लबालब हो गए। सुबह उठकर ग्रामीणों ने जब यह सब देखा तो वह आश्चर्यचकित रह गए कि रात को बिल्कुल सूखे हुए तालाब पानी से कैसे लबालब हो गए। ऐसे ही गांव में कोई महामारी फैलने पर भी बाबा झाड़ा लगाते थे और उस महामारी से ग्रामीणों, पशु पक्षियों को बचाते थे। बाबा से कोई भी श्रद्धालु सच्चे मन से प्रार्थना करता है तो बाबा उनकी मनोकामना पूर्ण करते हैं। इसके बाद बाबा की प्रतिमा के समक्ष प्रसाद का भोग लगाकर भंडारे का शुभारंभ किया गया। सबसे पहले साधु-संतों को भोजन करवाया गया उसके बाद गांव आसपास के क्षेत्रों से आए लोगों श्रद्धालुओं को भंडारे का प्रसाद खिलाया गया।
गांव पालुवास हरिपुर के बाबा धुणीवाला मंदिर में हर वर्ष की भांति बाबा धूणीवाले की याद में हवन व भंडारे का आयोजन किया गया। जिसमें गांव के
बाबा धूणीवाले सेवा समिति के सदस्यों व ग्रामीणों ने हवन में आहूति डाली और बाबा से गांव की भलाई, सुख समृद्धि के लिए मन्नत मांगी। हवन में बाबा धूणीवाले सेवा समिति के सदस्य एवं बैंक महाप्रबंधक नरेश तंवर, सरपंच प्रतिनिधि नरेश कुमार, महंत विश्वेश्वरानंद महाराज, अनिल तंवर, पूर्व सरपंच धोलू, भंवर सिंह, मोनू तंवर, हरि सिंह, रणबीर फौजी, जेई पवन कुमार,
अधिवक्ता रमन, रमेश मास्टर, प्रमोद, दिनेश फौजी आदि श्रद्धालुओं ने हवन में
आहुति डाली। नरेश तंवर ने बताया बाबा धूणी वाला सिद्ध महात्मा थे। लगभग 300 वर्ष पूर्व की बात है कि गांव में अकाल पड़ गया था और गांव के जोहड़ तालाब सब सुख गए थे, पशु पक्षी पानी के अभाव के कारण मरने लगे थे। तभी बाबा धूणी वाले ने तपस्या की। बाबा धूणीवाला तपस्या और आशीर्वाद से गांव के तालाब व जोहड़ पानी से लबालब हो गए। सुबह उठकर ग्रामीणों ने जब यह सब देखा तो वह आश्चर्यचकित रह गए कि रात को बिल्कुल सूखे हुए तालाब पानी से कैसे लबालब हो गए। ऐसे ही गांव में कोई महामारी फैलने पर भी बाबा झाड़ा लगाते थे और उस महामारी से ग्रामीणों, पशु पक्षियों को बचाते थे। बाबा से कोई भी श्रद्धालु सच्चे मन से प्रार्थना करता है तो बाबा उनकी मनोकामना पूर्ण करते हैं। इसके बाद बाबा की प्रतिमा के समक्ष प्रसाद का भोग लगाकर भंडारे का शुभारंभ किया गया। सबसे पहले साधु-संतों को भोजन करवाया गया उसके बाद गांव आसपास के क्षेत्रों से आए लोगों श्रद्धालुओं को भंडारे का प्रसाद खिलाया गया।