Aaj Samaj (आज समाज), Baba Baukhnag Rol, देहरादून: उत्तरकाशी की सिलक्यारा टनल के अंदर मजदूरों को सुरक्षित रखने में वहां के बाबा बौखनाग का भी अहम रोल बताया जा रहा है। गौरतलब है कि 20 से ज्यादा राहत एजेंसियों ने मजदूरों को बाहर निकालने के लिए कई प्रयास किए। लेकिन राहत के काम में हर बार बाधा उत्पन्न होने के बाद उत्तरकाशी के लोगों ने इसे दैवीय प्रकोप बताया।
- मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी कल मंदिर में पूजा की थी
टनल बनाने के लिए तोड़ा गया था बाबा का मंदिर
उत्तरकाशी के लोगों ने कहा कि बाबा बौखनाग की वजह से ही सुरंग ढही है और और उनकी कृपा से ही मजदूर बाहर आएंगे। उन्होंने कहा कि सुरंग बनाने के लिए बाबा बौखनाग का मंदिर तोड़ा गया है और जब तक यह मंदिर नहीं बनाया गया तब तक मजदूर बाहर नहीं आ सकेंगे। इसके बाद आखिर सुरंग के मुहाने पर बाबा बौखनाग का मंदिर बनाया गया और इसमें पूजापाठ शुरू हुई।
अंतरराष्ट्रीय टनल विशेषज्ञ अर्नाल्ड भी कल पहुंचे थे बाबा के दर
मंगलवार को जब मजदूरों तक राहत टीम के पहुंचने की सूचना मिली, उससे पहले राहत के काम को लीड कर रहे अंतरराष्ट्रीय टनल विशेषज्ञ अर्नाल्ड डिक्स भी बाबा बौखनाग के मंदिर में पूजा करने पहुंचे थे। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी मंदिर में कल पूजा की थी और मजदूरों के सकुशल बचने को बाबा की कृपा बताया था। बता दें चार धाम प्रोजेक्ट के तहत उत्तरकाशी में यमुनोत्री राष्टÑीय राजमार्ग पर सिलक्यारा सुरंग बनाई जा रही है। 12 नवंबर को सुरंग का एक हिस्सा ढह गया था जिस कारण मजदूर फंस गए थे। हादसे के बाद से ही तमाम राहत दल व कर्मचारी मजदूरों के बचाव में जुट गए थे।
श्रमिकों का हौसला बनाए रखने के लिए उन्हें दिए गए थे मोबाइल
सुरंग के भीतर मजदूरों को बाहरी दुनिया की मुश्किलों की जानकारी नहीं दी गई थी। उनका हर वक्त हौसला बढ़ाया जाता रहा, जिससे वे परेशानी महसूस न करें। सभी मोबाइल पर गाने सुनते थे। उन्हें वीडियो गेम खेलने के लिए मोबाइल भेजे गए थे। वे कुछ दिन से बीएनएलएल के लैंडलाइन फोन से अपने परिजनों से बातचीत भी कर पा रहे थे, क्योंकि उन्हें सरकार ने यह सुविधा उपलब्ध करवाई थी। सुरंग में फंसे बिहार के सबा अहमद के भाई नैयर अहमद ने बताया कि वह जब भी सबा से बात करते थे तो उसे समझाते थे कि सब कुछ ठीक चल रहा है।
डॉक्टर भी दो चरणों में 5 घंटे कर रहे थे बातचीत
डॉक्टर की टीम सुबह और शाम दो चरणों में पांच घंटे मजदूरों से बातचीत कर रही थी। डॉक्टर प्रेम पोखरियाल ने बताया कि वह हर मजदूर की स्वास्थ्य संबंधी समस्या सुनते थे। उसी हिसाब से दवाई भीतर भेज रहे थे। उन्होंने बताया कि मजदूरों को लगातार ओआरएस का घोल पीने की सलाह दी जा रही थी। उन्हें समय से नाश्ता, लंच, डीनर भी भेजा जा रहा था। शुरू में एनर्जी ड्रिंक भेजी गई थी, फिर पूरा भोजन दिया गया। मजदूर खुद को स्वस्थ रखने के लिए भीतर ही योगा कर रहे थे। वे सुरंग के भीतर सुबह-शाम टहल रहे थे। सुरंग के भीतर जियो टेक्सटाइल शीट थी, जो मजदूरों के सोने के काम आई।
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