Ayurvedic Uses Of Tree Bark : जानिए पेड़ की छाल का आयुर्वेदिक इस्तेमाल

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पेड़ की छाल का आयुर्वेदिक इस्तेमाल
पेड़ की छाल का आयुर्वेदिक इस्तेमाल

Aaj Samaj (आज समाज), Ayurvedic Uses Of Tree Bark, अंबाला : 

अर्जुन की छाल का चूर्ण तीन से छह ग्राम गुड़, शहद या दूध के साथ दिन में दो या तीन बार लेने से दिल के मरीजों को काफी फ़ायदा होता है। वैसे अर्जुन की छाल के चूर्ण को चाय के साथ उबालकर ले सकते हैं। चाय बनाते समय एक चम्मच इस चूर्ण को डाल दें। इससे हाई ब्लड प्रेशर कंट्रोल होता है। रोजाना सुबह शाम 1 या 2 गिलास पिएं। इससे ब्लॉक हुई धमनियां खुल जाएंगी।

अशोक की छाल पीरिएड्स दर्द से दिलाए राहत

कहा जाता है कि जिस पेड़ के नीचे बैठने से शोक नहीं होता, उसे अशोक कहते हैं। अशोक का वानस्पतिक नाम सराका इंडिका है। अशोक की छाल को कूट-पीसकर कपड़े से छानकर रख लें। अगर महिलाएं अशोक की 10 ग्राम छाल को 250 ग्राम दूध में पकाकर पिएं तो उन्हें पीरियड्स के दर्द से राहत मिलेगी।

अशोक की छाल और फूल को बराबर मात्रा में रात में पानी में भिगोकर रख दें। सुबह इस पानी को छानकर पी लें। अशोक की छाल का 40 से 50 मिलीलीटर काढ़ा पीने से खूनी बवासीर में खून बहना बंद हो जाता है।

अमलतास की छाल बुखार और कमजोरी में कारगर

झूमर की तरह लटकते पीले फूल वाले इस पेड़ को सुंदरता के लिए अक्सर बाग-बगीचों में लगाया जाता है। अमलतास का वानस्पतिक नाम केस्सिया फ़िस्टुला है। अमलतास के पत्तों और फूलों में ग्लाइकोसाइड, तने की छाल टैनिन, जड़ की छाल में टैनिन के अलावा ऐन्थ्राक्विनीन, फ्लोवेफिन तथा फल के गूदे में शर्करा, पेक्टीन, ग्लूटीन जैसे रसायन पाए जाते है। पेट दर्द में इसके तने की छाल को कच्चा चबाया जाए तो दर्द में काफी राहत मिलती है। बुखार और कमजोरी से राहत दिलाने के लिए चुटकी भर दाने, हरड़, आंवला और अमलतास के फलों को समान मात्रा लेकर कूटकर पानी में उबालते हैं। इसमें करीब पांच मिली शहद भी डाल दिया जाता है और ठंडा होने पर मरीज को दिया जाता है।

नीम की छाल से जूएं मारें

नीम का वानस्पतिक नाम अजाडिरक्टा इंडिका है। नीम में मार्गोसीन, निम्बिडिन, निम्बोस्टेरोल, निम्बिनिन, स्टियरिक एसिड, ओलिव एसिड, पामिटिक एसिड, एल्केलाइड, ग्लूकोसाइड और वसा अम्ल आदि पाए जाते हैं। नीम की निबौलियों को पीसकर रस तैयार कर लिया जाए और इसे बालों पर लगाया जाए तो जूएं मर जाती हैं।

नीम के गुलाबी कोमल पत्तों को चबाकर रस चूसने से शुगर की बीमारी में आराम मिलता है। इसकी छाल स्किन पर होने वाले फोड़े-फुंसी, दाद, खुजली को ठीक करने के लिए इस्तेमाल होते हैं। इसके लिए इसे पानी में घिसकर इंफेक्शन वाली जगह पर लगाएं। खाना खाने से पहले रोज 1-1 चम्मच चूर्ण लेने से डायबिटीज कंट्रोल में रहती है।बबूल के पेड़ की छाल माता-पिता बनने में मददगार

बबूल का पेड़ औषधीय गुणों से भरपूर है। महिलाओं में बांझपन और पुरुषों में शुक्राणुओं की कमी को दूर करता है। 20 ग्राम बबूल की छाल को 400 मिली पानी में उबालकर बचे हुए काढ़े को दिन में तीन बार पीने से पीरियड्स की ब्लीडिंग कंट्रोल में रहती है।

कचनार के पेड़ की छाल

कचनार का वानस्पतिक नाम बाउहीनिया वेरीगेटा है। इसे सोना-चांदी की पत्तियां भी कहा जाता है। हर्बल के जानकार जोड़ों के दर्द और सूजन में आराम के लिए इसकी जड़ों को पानी में उबालकर पीने की सलाह देते हैं। इस पानी का लेप दर्द और सूजन वाली जगह पर काफी आराम पहुंचाता है। शुगर की शिकायत होने पर रोगी को रोजाना सुबह खाली पेट इसकी कच्ची कलियों चबाना चाहिए।

गुुंदा के पेड़ की छाल

यह एक विशाल पेड़ होता है जिसके पत्ते चिकने होते है। आदिवासी अक्सर इसके पत्तों को पान की तरह चबाते हैं। इसे रेठु के नाम से भी जाना जाता है। इसकी छाल की लगभग 200 ग्राम मात्रा लेकर इतने ही मात्रा पानी के साथ उबाला जाए और जब यह एक चौथाई बचे तो इससे कुल्ला करने से मसूड़ों की सूजन, दांतों का दर्द और मुंह के छालों में आराम मिल जाता है। छाल का काढ़ा और कपूर का मिश्रण तैयार कर सूजन वाले हिस्सों में मालिश की जाए तो फ़ायदा होता है।

जामुन के पेड़ की छाल

जामुन का वानस्पतिक नाम सायजायजियम क्युमिनी है। जामुन में लौह और फास्फोरस जैसे तत्व पाए जाते हैं। जामुन में कोलीन तथा फोलिक एसिड भी भरपूर होते हैं। जामुन के बीजों के चूर्ण की दो-दो ग्राम मात्रा बच्चों को देने से बच्चे बिस्तर पर पेशाब करना बंद कर देते हैं। जामुन के ताजे पत्तों की लगभग 50 ग्राम मात्रा लेकर पानी (300 मिली) के साथ मिक्सर में रस पीस लें और इस पानी को छानकर कुल्ला करें, इससे मुंह के छाले पूरी तरह से खत्म हो जाते हैं।

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