राज चौधरी: पठानकोट
आयुर्वेद विश्व की प्राचीनतम चिकित्सा प्रणालियों में से एक है। आयुर्वेद नाम का अर्थ है जीवन से संबंधित ज्ञान। आयुर्वेद भारतीय आयुर्विज्ञान है। आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति से लोगों को जागरूक करवाने और इसमें इस्तेमाल की जाने वाली जड़ी बूटियों से लोगों को जानकारी देने हेतु मुख्य सरपरस्त डॉ अरुण खेड़ा सरपरस्त सतीश महेंद्रू चेयरमैन चाचा वेद प्रकाश के आशीर्वाद से प्रोजेक्ट चेयरमैन कुलवंत सिंह के निर्देशन तथा संजीव महाजन की अध्यक्षता में बनाए जा रहे हर्बल पार्क मे विभिन्न प्रकार के औषधीय पौधे पॉकेटस के रूप में लगाए जा रहे हैं।
आयुर्वेद विश्व की प्राचीनतम चिकित्सा प्रणालियों में से एक
आज सुबह रखे विशेष कार्यक्रम में चिकित्सीय पौधों व चिकित्सा पद्धति के ज्ञाता तथा पतंजलि योग समिति के तहसील प्रभारी रघुबीर सिंह जी मुख्य रूप से शामिल हुए। कार्यक्रम में निर्माण के वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ तरसेम सिंह तथा डॉ एमएल अत्री भी विशेष रूप से शामिल हुए। महासचिव सुनील महाजन द्वारा मुख्य अतिथि का सभी पदाधिकारियों से परिचय करवाते हुए हर्बल पार्क का उद्देश्य सामने रखा।
मुख्य अतिथि रघुवीर सिंह ने कहा कि आयुर्वेद विश्व की प्राचीनतम चिकित्सा प्रणालियों में से एक है जिसमें सभी प्रकार के असाध्य रोगों का उपचार भी जड़ी बूटियों के माध्यम से संभव है। सुगमता से उपलब्ध तुलसी एंटीबायोटिक के साथ वास्तु दोष को दूर करने, प्रचुर मात्रा में आक्सीजन पैदा करने, बुखार व निमोनिया और सिर में जुएं खत्म करने में सहायक है। हर कहीं उपलब्ध नीम का पेड़ 24 घंटे आक्सीजन पैदा करने के साथ खून साफ करने चर्म रोग फोड़े फुंसी के इलाज में सक्षम तथा इसकी दातुन दांतो को कीड़े से बचाती है।
उन्होंने आयुर्वेद में जड़ी बूटियों द्वारा ऐसे कई रोगों के उपचार की जानकारी निर्माण के पदाधिकारियों को उपलब्ध करवाई। निर्माण के अध्यक्ष संजीव महाजन के साथ सभी पदाधिकारियों ने रघुवीर सिंह जी से निर्माण के साथ जुड़कर हर्बल पार्क को उनके निर्देशन से सही दिशा में अग्रसर करने का विनम्र निवेदन किया जिसे उन्होंने सहर्ष स्वीकार किया। इस अवसर पर उपाध्यक्ष सुरेंद्र सैनी, केशव अग्रवाल मीडिया एडवाइजर संजीव घई, करण आदि उपस्थित थे।