Legally News : अतीक और अशरफ हत्याकांड मामला: अदालत ने चार दिनों की एसआईटी रिमांड पर भेजा

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Atiq and Ashraf murder case
Atiq and Ashraf murder case

आज समाज डिजिटल ,दिल्ली:

1. अतीक और अशरफ हत्याकांड मामला: अदालत ने चार दिनों की एसआईटी रिमांड पर भेजा

प्रयागराज की निचली अदालत ने बुधवार को माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ के हत्या के तीनों आरोपियों को चार दिन की एसआईटी की रिमांड पर भेज दिया है। आज कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच तीनों आरोपियों लवलेश तिवारी, सनी सिंह और अरुण मौर्या को प्रतापगढ़ जेल से लाकर पुलिस ने सीजेएम कोर्ट में पेश किया गया था, जहाँ एसआईटी की तरफ से अर्जी दाखिल कर सात दिनों की कस्टडी रिमांड मांगी गई थी। सूत्रों की मानें तो एसआईटी ने आरोपियों से पूछताछ के लिए सवालों की एक लंबी लिस्ट तैयार की है।

वही सूत्रों का कहना है कि अतीक-अशरफ हत्याकांड में एसआईटी विवेचना के जरिए सबूत जुटाएगी और क्राइम सीन रीक्रिएट करेगी। एसआईटी तीनों आरोपियों का बयान अदालत की अनुमति से दर्ज कर चुकी है। सीजेएम डीके गौतम की कोर्ट ने सुनवाई के बाद चार दिनों की कस्टडी रिमांड मंजूर की है। रिमांड पूरा होने के बाद 23 अप्रैल को आरोपियों को एसआईटी फिर अदालत में पेश करेगी।

किसी भी तरह की अनहोनी से बचने के लिए पुलिस ने भारी सुरक्षा के बीच तीनों आरोपियों को कोर्ट परिसर से दौड़ाते हुए बाहर निकाला। पुलिस को ख़ुफ़िया विभाग से हमले की सूचना मिली थी. लिहाजा पुलिस ने को भी पूरी सावधानी बरती। दरअसल इन तीनों आरोपियों ने 15 अप्रैल की शाम मेडिकल कराने के लिए काल्विन अस्पताल गए माफिया अतीक अहमद और अशरफ की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी थी।

2. अपनी मां से बलात्कार और आत्महत्या के लिए उकसाने वाले बेटे को अदालत ने सुनाई आजीवन कारावास की सजा

गुरुग्राम की एक अदालत के अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश ने एक बेटे को अपनी मां के साथ बलात्कार करने और उसे आत्महत्या के लिए उकसाने के लिए कठोर आजीवन कारावास की सजा सुनाई है साथ ही दोषी पर अदालत ने 20,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया। अदालत ने अपने में कहा कि, पीड़िता का बेटा होने के नाते दोषी को “उसकी सुरक्षा करनी चाहिए थी, लेकिन वह उसका उत्पीड़क बन गया और “एक जानवर की तरह काम किया” जिससे महिला के पास कोई विकल्प नहीं बचा लेकिन आत्महत्या करने के लिए।

पुलिस के अनुसार, व्यक्ति की मां ने 16 नवंबर, 2020 को हरियाणा के पटौदी जिले में अपने घर पर फांसी लगा ली थी। बाद में, महिला के पति ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, जिसमें आरोप लगाया गया कि उसे इतना बड़ा कदम उठाने के लिए मजबूर किया गया। व्यक्ति ने पुलिस को बताया कि मृतक का बड़ा बेटा नशे का आदी था और परिवार के लोगों से उसका अक्सर झगड़ा होता रहता था। करीब 20 साल पहले पति की मौत के बाद महिला ने अपने देवर से शादी कर ली। पुलिस के मुताबिक, महिला की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में उसके साथ रेप की बात सामने आई है। परिणामस्वरूप, उसके बेटे को 21 नवंबर, 2020 को गिरफ्तार कर लिया गया। अदालत में, 18 गवाहों तक ने गवाही दी, और अभियुक्तों के खिलाफ दावे सही साबित हुए।

3. कर्नाटक के पूर्व मंत्री गली जनार्दन रेड्डी को सुप्रीम कोर्ट से राहत नही, जमानत की शर्तों को बदलने से किया इंकार

सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक में आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर अपनी जमानत की शर्त में छूट की मांग करने वाली
पूर्व मंत्री और खनन कारोबारी गली जनार्दन रेड्डी की अर्जी बुधवार को खारिज कर दी है। जस्टिस एमआर शाह और सीटी रविकुमार की खंडपीठ ने जी जनार्दन रेड्डी द्वारा जमानत की शर्तों में ढील देने के नई अर्जी पर विचार करने से इनकार कर दिया। जी जनार्दन रेड्डी की वकील मीनाक्षी अरोड़ा ने कर्नाटक में आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर जमानत की शर्त में छूट देने की मांग की थी। इससे पहले, जी जनार्दन रेड्डी को अपनी बेटी और उसके नवजात बच्चे से मिलने की छूट दी गई थी। इससे पहले, शीर्ष अदालत ने आदेश दिया था कि गली जनार्दन रेड्डी के खिलाफ करोड़ों के अवैध खनन मामले की सुनवाई स्थानीय अदालत में दैनिक आधार पर की जानी चाहिए और गली जनार्दन रेड्डी को 6 नवंबर, 2022 तक बेल्लारी में रहने की अनुमति दी गई थी। , लेकिन सख्त निर्देश दिया कि वह 7 नवंबर, 2022 से इस मामले में सुनवाई जारी रहने तक बेल्लारी में नहीं रहेंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया कि वह 9 नवंबर, 2022 से दिन-प्रतिदिन के आधार पर सुनवाई करे और 9 नवंबर, 2022 से 6 महीने की अवधि के भीतर बिना असफल हुए मुकदमे का निपटारा करें। इससे पहले, अदालत ने कर्नाटक के पूर्व मंत्री और खनन कारोबारी गली जनार्दन रेड्डी को करोड़ों के अवैध खनन मामले में आरोपी कर्नाटक के बेल्लारी और आंध्र प्रदेश के कडपा और अनंतपुरम जिले में जाने और रहने की अनुमति देकर राहत दी थी। रेड्डी को सितंबर 2011 में गिरफ्तार किया गया था और जनवरी 2015 में उन्हें जमानत मिल गई थी। शीर्ष अदालत ने जमानत देते हुए उन पर इन जिलों का दौरा नहीं करने की शर्त लगाई थी। बाद में, उन्होंने एक आवेदन दायर कर उन पर लगाई जा रही जमानत शर्तों में ढील देने की मांग की थी।

4. दिल्ली दंगे 2020ः न्यायमूर्ति भंभानी के बाद न्यायमूर्ति अमित शर्मा ने भी खुद को मुकदमे से किया अलग

दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अमित शर्मा ने बुधवार को पूर्वोत्तर दिल्ली दंगों के आरोपी आसिफ इकबाल तन्हा द्वारा सांप्रदायिक हिंसा के पीछे “बड़ी साजिश” से संबंधित एक मामले में अपने “खुलासा बयान” के कथित लीक के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। पूर्वोत्त दिल्ली में हिंसा 2020 में हुई थी।

न्यायमूर्ति शर्मा ने कहा, “24 अप्रैल को मुख्य न्यायाधीश के आदेशों के अधीन एक और पीठ के समक्ष इस विषय को सूचीबद्ध किया जाए।”

पिछले सप्ताह न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंभानी के अलग होने के बाद याचिका को न्यायाधीश के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया था।

कार्यवाही के दौरान, न्यायमूर्ति शर्मा ने पूछा कि क्या यह मामला यूएपीए के तहत दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ द्वारा जांच की गई प्राथमिकी से उत्पन्न हुआ है।

याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व करने वाली वकील सौजन्य शंकरन ने कहा कि वर्तमान मामला दिल्ली दंगों की प्राथमिकी से “उठता” नहीं था, लेकिन तन्हा उस प्राथमिकी में एक आरोपी था और उसके कथित खुलासे के बयान को कुछ मीडिया संगठनों ने आरोप लगाने से पहले ही सार्वजनिक डोमेन में डाल दिया था।

विशेष लोक अभियोजक अमित प्रसाद द्वारा न्यायालय को सूचित किया गया कि इस मामले में अब आरोप पत्र दायर किया जा चुका है जिसकी जांच विशेष प्रकोष्ठ द्वारा की जा रही थी।

दिल्ली पुलिस की ओर से पेश हुए वकील रजत नायर ने कहा कि लीक के आरोपों की जांच की गई और अदालत के समक्ष एक रिपोर्ट पेश की गई। बाद में अदालत ने कहा कि इस मामले को दूसरे जज के पास भेजा जाना चाहिए।

इससे पहले 12 अप्रैल को, न्यायमूर्ति भंभानी ने मामले की सुनवाई से खुद को यह कहते हुए अलग कर लिया था कि अदालत के कृत्य का न्याय प्रणाली की विश्वसनीयता पर कभी भी हानिकारक प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए।

एनबीडीए ने इस आधार पर हस्तक्षेप करने की मांग की थी कि संबंधित याचिका में पत्रकारों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का अनुरोध किया गया है, जिसका प्रभाव पड़ेगा, और एक अच्छी तरह से मान्यता प्राप्त निकाय होने के नाते, यह इस मामले में अदालत की सहायता करना चाहता है।

याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ अग्रवाल ने पहले कहा था कि किसी आपराधिक मामले में किसी तीसरे व्यक्ति द्वारा कोई “हस्तक्षेप” नहीं किया जा सकता है और अदालत से इस तथ्य पर विचार करने का आग्रह किया कि आवेदन तभी दायर किया गया जब याचिका, जो 2020 में दायर किया गया था, निर्णय के लिए इस अदालत के समक्ष पहुंचने के लिए छह न्यायाधीशों के माध्यम से यात्रा की।

5.श्रद्धा मर्डर केसः दिल्ली हाई कोर्ट का निर्देश: कोई भी समाचार चैनल/पेपर आरोपपत्र की सामग्री प्रसारित न करे।

दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को सभी समाचार चैनलों को श्रद्धा वालकर हत्या मामले के आरोपपत्र की सामग्री को प्रसारित करने से बुधवार को रोक लगा दी है। न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर ने केंद्र सरकार को यह भी सुनिश्चित करने का निर्देश भी दिया कि दिल्ली पुलिस द्वारा दायर याचिका के निस्तारण तक कोई समाचार चैनल श्रद्धा वालकर हत्या मामले का आरोपपत्र न दिखाए। दिल्ली हाई कोर्ट ने यह आदेश दिल्ली पुलिस की एक याचिका पर पारित किया है, जिसमें आरोपपत्र और मामले में जांच के दौरान एकत्र की गई अन्य सामग्री से जुड़ी गोपनीय जानकारी को मीडिया संस्थानों द्वारा प्रकाशित करने, छापने और प्रसारित करने से रोकने का अनुरोध किया गया था।

दिल्ली पुलिस के वकील अमित प्रसाद ने अदालत को बताया कि एक समाचार चैनल को आरोपी आफताब पूनावाला के नार्को टेस्ट का वीडियो मिल गया है हालांकि निचली अदालत द्वारा चैनल को ऐसी कोई सामग्री दिखाने से रोक दिया गया था। लेकिन अन्य सभी चैनलों को भी मामले से जुड़ी गोपनीय जानकारी प्रकाशित या प्रसारित किए जाने से रोकने का आदेश पारित किए जाने की जरूरत है क्योंकि हो सकता है कि वीडियो दूसरों के साथ साझा किया गया हो और अगर इसे प्रसारित किया जाता है, तो इससे मामले पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। हाई कोर्ट ने अगली सुनवाई तीन अगस्त के लिए सूचीबद्ध की।

गौरतलब है कि दिल्ली के महरौली इलाके में आरोपी पूनावाला ने पिछले साल 18 मई को अपनी ‘‘लिव इन पार्टनर” श्रद्धा वालकर की हत्या कर दी थी। उसने वालकर के शव के लगभग 35 टुकड़े कर उन्हें लगभग तीन सप्ताह तक 300 लीटर की क्षमता वाले फ्रिज में रखा और फिर उन्हें दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में फेंक दिया था। लंबी जांच के बाद दिल्ली पुलिस ने इसी साल 24 जनवरी को 6,629 पन्नों का आरोप पत्र दाखिल किया था।

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