Astrologer Sunil Kumar Arya, ज्योतिष व वास्तु के ग्रह दोषों शमन के लिए काली राई अत्यंत लाभदायक

0
367
Astrologer Sunil Kumar Arya
Astrologer Sunil Kumar Arya
आज समाज डिजिटल, पानीपत:
Astrologer Sunil Kumar Arya: निश्चित ही हवन सामग्री में प्रयोग होने वाली जड़ी बूटी/औषधि स्वास्थ्य के साथ-साथ तंत्रा वास्तु में विशेष दिशाओं और देवताओं के सकारात्मक फल प्राप्त करने के लिए अनेकानेक वर्षों से प्रयोग होते आ रही है। सैकड़ों ऐसी औषधियां है जो दिशा और देवताओं की सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त करने के लिए प्रयोग की जाती रही हैं एक एक औषधि का भी आप विशेष देवता या विशेष ग्रह/दिशा की सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त करने के लिए भी प्रयोग कर सकते हैं। थोड़ा सा विषय का गहन अध्ययन करने के उपरांत आपको पता चलेगा और आप जान पाएंगे औषधि किस तरह से दिशाओं की सकारात्मकता व देवताओं के आशीर्वाद को आप तक पहुंचाती है। वैसे तो देवताओं के लिए बहुत सारे विशेष ग्रंथों में जड़ी बूटी बताई गई है उनकी बलि के अंतर्गत जड़ी बूटी/औषधि का वाद पित्त कफ तीनों प्रवृत्तियों से संबंध है। Astrologer Sunil Kumar

 

Astrologer Sunil Kumar Arya
Astrologer Sunil Kumar Arya
कुछ जड़ी बूटी औषधियां एक एक प्रकृति को और कुछ एक व्यक्ति की तीनों प्रकृति को संतुलित करने में कार्य करती है।यदि बात हम राई की करें तो राई दो प्रकार की होती है। पीले रंग में और एक काले रंग में। दोनों ही राई के बहुत सारे औषधीय प्रयोग भी हैं, जो शरीर को स्वस्थ रखने में अति सहायक हैं। इसके साथ-साथ ज्योतिष और वास्तु, ग्रह दोषों का शमन करने के लिए भी इनका बहुत बड़ा योगदान रहता है, लेकिन दोनों ही राई के अंदर एक बड़ा अंतर है। उम्मीद है आप में से बहुत सारे विद्वान इस बात को जानते होंगे और जो नहीं जानते हैं, वह आज जान जाएंगे पीली राई दो प्रवृत्ति पित्त और कफ का समन करती है और काली राई तीनों प्रवृत्ति वात पित्त कफ का शमन करती है। देखा जाए तो ज्योतिष व वास्तु के ग्रह दोषों शमन के लिए काली राई अत्यंत लाभदायक है। Astrologer Sunil Kumar Arya

 

Astrologer Sunil Kumar Arya
Astrologer Sunil Kumar Arya
भारत के बहुत सारे राज्यों में काली राई को खाने में बहुत अधिक प्रयोग किया जाता है, क्योंकि हमारे यहां औषधियों को खाने में प्रयोग करके जाने अनजाने में हम बहुत सारे स्वस्थ लाभ निरंतर लेते रहते हैं। काली राई के अंदर वात के रोगों को शमन करने की एक अलग ताकत है और वात के रोगों के अंतर्गत ही चंद्र राहु केतु या फिर हवा से संबंधित और किसी भी प्रकार के दोष, भूत, प्रेत, पिशाच, नजर इत्यादि में काली राई का प्रयोग अधिक होता है। बहुत सारे विद्वानों ने देखा होगा कि मां बगलामुखी की पूजा अनुष्ठान में पीली राई का प्रयोग होता है। इसके विशेष कारण हैं और यह विशेष दिशाओं में लाभ देती है। Astrologer Sunil Kumar Arya
दोनों ही राई अपना विशेष प्रभाव रखती हैं और दोनों ही अलग-अलग दिशा में अलग-अलग देवताओं की सकारात्मक प्रभाव लेने के लिए अपना प्रभुत्व रखती हैं। इसी तरह से बाकी की औषधियां भी अपना एक वास्तु व ग्रह दोष शमन के लिए विशेष स्थान रखती हैं। इसी तरह से लाल चंदन और सफेद चंदन का भी अपना एक प्रभाव है और दोनों ही अलग-अलग दिशा और अलग-अलग देवताओं के सकारात्मक प्रभाव को प्रदान करती हैं। Astrologer Sunil Kumar Arya