Assembly Elections: हरियाणा फतेह करने में राजस्थान के पूनिया की रणनीति कारगर

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Assembly Elections: हरियाणा फतेह करने में राजस्थान के पूनिया की रणनीति रही कारगर
Assembly Elections: हरियाणा फतेह करने में राजस्थान के पूनिया की रणनीति रही कारगर

Haryana Assembly elections 2024, (अजीत मेंदोला), (आज समाज), नई दिल्ली: हरियाणा में मिली शानदार जीत में राजस्थान भाजपा के पूर्व अध्यक्ष सतीश पूनिया की भी प्रभारी महामंत्री के रूप में अहम भूमिका रही।पूनिया की रणनीति ने पार्टी की जीत में अहम भूमिका निभाई। जब पूनिया को हरियाणा का प्रभारी महामंत्री बनाया गया तो किसी को उम्मीद नहीं थी कि बीजेपी इतनी शानदार जीत हासिल करेगी।

  • संघ ने चुपचाप किया काम

चारों तरफ निराशा का भाव था

दस साल की एंटी इंकन्वेंसी, लोकसभा चुनाव में पार्टी की उम्मीद से कम सीट आना चारों तरफ निराशा का भाव था।लेकिन पूनिया ने प्रभार संभालते ही दावा किया था कि हम तीसरी बार सरकार बनायेंगे। सबसे अहम वे पहले नेता थे जिन्होंने पिछड़ों और दलित की राजनीति पर कांग्रेस को सीधे चुनौती दी थी कि हिम्मत हो किसी पिछड़े को सीएम घोषित करें। उनकी इस चुनौती के बाद बीजेपी ने कांग्रेस को उसी की पिच पर खिलवाना शुरू कर दिया।

कांग्रेस को दलित की राजनीति में उलझाया

दलित और पिछड़ों के मुद्दे के साथ आरक्षण को लेकर भी बीजेपी हमलावर हो गई। उसका नतीजा यह रहा कि कांग्रेस दलित की राजनीति में उलझ गई। कांग्रेस की वरिष्ठ नेता शैलजा की नाराजगी बीजेपी का बड़ा हथियार बन गया।सतीश पूनिया ने पिछड़ों की राजनीति को तो मुद्दा बनाया ही साथ ही जाटों की राजनीति को भी साधा। कांग्रेस की सबसे ज्यादा उम्मीदें जाट वोटरों को लेकर थी बीजेपी आलाकमान ने पूनिया को हरियाणा की जिम्मेदारी दे पहला दांव चला।

कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद किया

पूनिया ने हर विधानसभा सीट का दौरा कर कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद किया और निराश हो चुके कार्यकर्ताओं को धीरे धीरे रिचार्ज करना शुरू कर दिया। पूनिया को पार्टी आलाकमान ओर संघ का पूरा साथ मिला। हालांकि लोकसभा चुनाव के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद संघ ने हरियाणा को अपने कब्जे में ले अपने तरीके से काम शुरू कर दिया। संघ ने छोटी बड़ी 1500 से ज्यादा छोटी बड़ी सभाएं अपने तरीके से की। जिसका कांग्रेस को कोई आभास नहीं हुआ। संघ के बड़े नेता अरुण कुमार खुद हरियाणा पर नजर रख रहे थे। इधर पूनिया जाट वोटरों को साधने पर लगे रहे।

सभी बड़े नेता अपने ढंग से सक्रिय हुए 

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह,संगठन महामंत्री बी एल संतोष,केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान,पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर सभी बड़े नेता अपने ढंग से सक्रिय हो गए।जहां एक तरफ पूरी बीजेपी एक जुट हो कांग्रेस पर हमलावर थी वहीं कांग्रेस में आपसी संघर्ष चल रहा था।कांग्रेस पूनिया और बीजेपी के दांव में फंस चुकी थी।कांग्रेस को जब आभास हुआ दलित वोटर हाथ से छिटकने लगा है आनन फानन में अशोक तंवर की कांग्रेस में वापसी कराई लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।बीजेपी ने दलित वोटरों को तो साधा ही जाट वोटों में भी सेंध लगाने में सफल रही।बीजेपी ने कांग्रेस की रणनीतिक गलतियों का पूरा फायदा उठाया।

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