Aaj Samaj (आज समाज), Asha workers’ strike, मनोज वर्मा, कैंथल :
सरकारी स्वास्थ्य ढांचे की सरकार लगातार अनदेखी कर रही है। स्वास्थ्य संस्थानों मे डॉक्टरों की बेहद कमी है और सहायक स्टाफ भी कम है। टेस्टिंग मशीनों व दवाइयों का भी टोटा है, जिससे मरीजों को उचित सुविधाए न मिलने वे बहुत परेशान होते हैं।इस प्रकार से स्वास्थ्य सुविधाए नाकाफी व ढांचे को नकारा बनाया जा रहा हैं। दूसरी और आशा वर्करो की हड़ताल जिसकी जिम्मेदार सरकार है, उस वजह से भी सरकारी स्वास्थ्य सिस्टम की जनता मे लगातार साख गिर रही है।
वास्तव मे सरकार यही चाहती है जनता परेशान होकर प्राइवेट हॉस्पिटलों मे जाये व अपनी इलाज देने की जिम्मेदारी किनारा किया जाये। लेकिन हम आशा जहां अपने हको की मांग कर रही है, वहीं हम यह भी चाहती है आम जनता व गरीब जनता बढ़िया इलाज मिले। आज़ आशाओ की हड़ताल के 64वें दिन गुहला ब्लॉक व अर्बन कैंथल कि वर्कर सचिवालय मे धरने पर पहुंची। धरने की अध्यक्ष्ता सुरेंद्र कौर व सुमनलता ने संयुक्त रूप मे की।
आशाओ के मुद्दे भी जन संवाद के दायरे मे आते है
धरने को संतोष सुल्तानिया, लखविंदर भागल व मीणा कैंथल ने सम्बोधित करते हुए बताया कि आज़ हिसार मे आशाओ की नेताओ को मुख्यमंत्री के संवाद कार्यक्रम मे जब वे अपनी बात कर रही थी, गिरफ्तार करने पर अफ़सोस प्रकट किया व सरकारी दमन की निंदा की गई। उन्होंने कहा कि आशाओ के मुद्दे भी जन संवाद के दायरे मे आते है, फिर सरकार व मुख्यमंत्री क्यों नही उनका समाधान करते।फिर तो यह जन संवाद की बजाए जन स्वाद है, जोर जबरदस्ती से आशा वर्करो के मुद्दों व आवाज को नही दबाया जा सकता। सरकार को उनकी बात सुननी ही होगी।
यूनियन नेत्रिओ गुरजीत कौर, कविता सुदेश, मलकीत, पूनम, उषा ने भी अपनी बात रखी व कहा कि सरकार को जनतंत्र मे विश्वाश रखते हुए आशाओ कि मांगो का तुरंत समाधान करना चाहिए। जबकि सरकार के वरिष्ठ अधिकारी उनका पक्ष जान चुके है आज़ एक सप्ताह के समाधान के टाइम को दस दिन बीत चुके है यह सरकार की संवाद हीनता है।
सीटू नेता नरेश रोहेड़ा, मास्टर जयप्रकाश शास्त्री, बसाउ राम, रिटायर्ड कर्मियों के प्रधान रमेश हरित व किसान सभा के नेता सतपाल आनंद ने भी आशा यूनियन के धरने मे अपनी अपनी बात रखते हुए कहा की हरियाणा सरकार मेहनतकश जनता को सभी बुनियादी सुविधाओं से वंचित होती जा रही है। उनके सामने रोजगार, काम धंधो, आवास, बच्चो की पढाई व इलाज की दिक़्क़त लगातार बढ़ती जा जा रही है। विभागों के निजी हाथो मे देने से जीसमस्याए दिन प्रतिदिन बढ़ रही है और सरकार के विकाश के नारे खोखले साबित हो रहे है।
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