Asha workers ने 73 दिन के बाद ढोल नगाड़ों से खत्म की हड़ताल, लेकिन 26000 वेतन के लिए जारी रहेगा संघर्ष

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73 दिन के बाद ढोल नगाड़ों से खत्म की हड़ताल
73 दिन के बाद ढोल नगाड़ों से खत्म की हड़ताल
  • हरियाणा सरकार के साथ सहमति बनने के बाद आज आशा वर्कर ने 73 दिन के बाद ढोल नगाड़ों से खत्म की हड़ताल, लेकिन 26000 वेतन के लिए जारी रहेगा संघर्ष

Aaj Samaj (आज समाज),  Asha workers Karnal, करनाल,20 अक्टूबर , इशिका ठाकुर
हरियाणा में अपनी विभिन्न मांगों के समर्थन में पिछले 73 दिनों से हड़ताल पर बैठी आशा कार्यकर्ताओं ने गुरुवार को मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से मुलाकात के बाद अपना आंदोलन समाप्त कर दिया. मुख्यमंत्री ने मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता (आशा) कार्यकर्ताओं के मासिक वजीफे में बढ़ोतरी और 2 लाख रुपये के सेवानिवृत्ति लाभ की घोषणा की. इसके बाद आशा वर्कर्स यूनियन के द्वारा आज पूरे प्रदेश में हड़ताल को खत्म कर दिया गया है, करनाल में आशा वर्कर ने इकट्ठा होकर ढोल नगाड़े बजाए और नाच गाना किया और उसके बाद अपनी 73 दिन की हड़ताल को खत्म कर दिया.

आशा वर्कर्स की 73 दिन से चल रही हड़ताल खत्म

आशा वर्कर्स यूनियन की सदस्य ने कहा कि, ढाई महीने से चली आ रही हड़ताल खत्म हो गई है और आशा वर्कर्स अब अपनी ड्यूटी में वापस से शामिल होंगी. उन्होंने कहा कि गुरुवार को यहां मुख्यमंत्री और राज्य सरकार के अन्य अधिकारियों के साथ हुई बैठक के नतीजे के कारण आज शाम कार्यकर्ताओं को राज्य स्तरीय समिति को अवगत कराया गया. हमने 73 दिन से चल रही हड़ताल खत्म कर दी है

उन्होंने आगे कहा कि आज सभी आशा कार्यकर्ता अपनी ड्यूटी में शामिल हो जाएंगी.’ उन्होंने कहा कि लगभग 20,000 आशा कार्यकर्ता पिछले 73 दिनों से हड़ताल पर हैं और उनका प्रतिनिधिमंडल अपनी विभिन्न मांगों को लेकर यहां खट्टर से मिला. एक आधिकारिक बयान के अनुसार, खट्टर सरकार ने आशा कार्यकर्ताओं के लिए मासिक वजीफा 2,100 रुपये बढ़ाने की घोषणा की, जिसके बाद उनका वेतन 6100 रुपये हो गया. उन्होंने इन कर्मियों के लिए 2 लाख रुपये के सेवानिवृत्ति लाभ की भी घोषणा की.

उन्होंने बोलते हुए कहा कि हमने अपने इतने दिनों की हड़ताल के दौरान काफी प्रताड़ना का सामना भी करना जिला प्रशासन के द्वारा पुलिस के द्वारा हमें काफी प्रताड़ित किया गया हमें लाठी तक मारी गई, लेकिन हम डटे रहे जिसका परिणाम यह रहा की सफल हो गए , सरकार के द्वारा हमारी यूनियन को तोड़ने का भी प्रयास किया जाए लेकिन हम एकजुट रहे. वही हमारी मुख्य मांग 26000 न्यूनतम वेतन की है सभी कर्मचारियों को पक्के कर्मचारी का दर्जा देने की है . जिस पर सरकार ने अभी सहमति नहीं जताई है उसके लिए हमारा संघर्ष आगे जारी रहेगा और हम 26000 पर न्यूनतम आवेदन देकर रहेंगे और कच्चे कर्मचारियों से पक्के कर्मचारी का दर्जा भी लेंगे.

उन्होंने कहा कि सरकार कुछ बकाया जारी करने पर भी सहमत हुई है जो 2018 से लंबित थे. इसलिए, सरकार हमारी कुछ मांगों पर सहमत हो गई है. हालांकि हम जो चाहते थे वह संभव नहीं हो सका. बैठक के दौरान हमें बताया गया था कि कुछ प्रोत्साहन हैं जो केंद्र के अधिकार क्षेत्र में आते हैं. इस पर सहमति बनी कि मुख्यमंत्री केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से बात करेंगे और इस संबंध में प्रस्ताव भेजा जायेगा. फिलहाल मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद अब पूरे हरियाणा में आज आशा वर्कर्स ने अपनी 73 दिन की हड़ताल को खत्म कर दिया है सभी सामाजिक हित में काम करते हुए अपने काम पर लौट गई है

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