- 57 दिनों से जारी है आशा वर्कर्स की हड़ताल
Aaj Samaj (आज समाज),Asha workers strike,नीरज कौशिक, महेंद्रगढ़: सरकार से अपनी मांगे मनवाने को लेकर आशा वर्कर्स डोर टू डोर लोगों से मिल रही हैं और समर्थन जुटा रही हैं। इस कड़ी मे आज शहर में आशा वर्कर्स डोर टू डोर मोहल्ला बिढाटान, मेन बाजार, खटीकान, महायचान, बाल्मीकि, बगीची, बांस मोहल्ला व शहर के बाजार में गई और अपनी मांगों बारे में आम लोगों को समझाया ओर आंदोलन में समर्थन मांगा।
यूनियन की जिला सचिव संतोष व जिला कमेटी की सदस्य राजबाला ने बताया कि आशा वर्कर्स की हड़ताल आज 57वें दिन में प्रवेश कर गई है। मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव आरके खुल्लर की अध्यक्षता मे दो दौर की वार्ता हो चुकी है। खुल्लर ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया था की 2 अक्टूबर के तुरंत बाद सहानुभूतिपूर्वक विचार करते हुए मुख्यमंत्री के साथ बैठक करते हुए मांगों का समाधान किया जाएगा।
यूनियन के फैसले अनुसार जब तक मांगों का लिखित में समाधान नही होता है तब तक हड़ताल, प्रदर्शन, धरने जारी रहेंगे। वहीं हरियाणा की आशा वर्कर्स अपनी मांगों को लेकर जनता के बीच डोर टू डोर जाती रहेंगी।
आशा वर्कर्स ने जनता को बताया की 2018 के बाद महंगाई लगातार बढ़ी है लेकिन आशा वर्कर्स के मानदेय में सरकार ने कोई बढ़ोतरी नहीं की। सरकार ने आशा वर्कर्स को वर्ष 2005 में जच्चा-बच्चा के स्वास्थ्य का ध्यान रखने के लिए लगाया था। 2005 में एक हजार जीवित जन्म पर 58 मौत हो जाती थी। 2023 में यह दर 26 रह गई।
2005 में एक लाख प्रसव पर 167 महिलाओं की मौत हो जाती थी। जिसका मुख्य कारण जागरूकता का अभाव व घर पर प्रसूति था। लेकिन आशा वर्कर्स के जागरूक करने के कारण प्रसव के समय बच्चा की मृत्यु दर 167 से कम हो कर यह संख्या 95 रह गई।
संस्था गत प्रसूति 2005 में 43 प्रतिशत थी। 2023 में 99 प्रतिशत हो गई है।लेकिन दुख की बात है जब आशा वर्कर्स गर्भवती महिला को प्रसव के लिए लेकर जाती हैं तो पीएचसी, सीएचसी पर महिला डॉक्टर नहीं हैं। इस लिए हरियाणा की आशा वर्कर्स मांग करती हैं कि हर पीएचसी,सीएचसी पर दो महिला डॉक्टर एक सिफ्ट में होनी चाहिएं आदि अनेक मांगे हैं।
इस अवसर पर यूनियन की जिला सचिव व जिला कमेटी की सदस्य सहित काफी संख्या में आशावर्कर उपस्थित रही।
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